सीएसजेएमयू में 60 लाख की राशि से आँखों के अंधेपन पर होगा शोध



कानपुर, 15मार्च (हि.स.)। छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय में आँखों के अंधेपन पर शोध होगा। शोध के ज़रिये हम जानने की कोशिश करेंगें कि आँखों में प्रोटीन में क्या समस्या होती हैं और उसका निस्तारण क्या हो सकता हैं। साथ ही यह शोध सबसे पहले मेंढकों पर होगा। इस शोध के लिए अनुसन्धान नेशनल रिसर्च ने 60 लाख की राशि प्रदान की हैं। यह रिसर्च लगभग तीन साल तक चलेगा। इस रिसर्च की ज़िम्मेदारी विश्वविद्यालय के लाइफ साइंस एंड बायोटेक्नोलॉजी विभाग के प्रोफेसर दीपेश कुमार वर्मा को दी गई हैं।
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प्रो. दीपेश बताते है कि आंखों के अंधापन के पीछे के कारण को सबसे पहले मेढ़कों पर रिसर्च कर प्रोटीन प्रॉब्लम को जानने की कोशिश करेंगें। आंखों में अंधापन क्यों हो जाता है। इसके पीछे के कई कारण होते हैं। इसमें काफी शोध भी चले हैं। इसके बाद सामने आया कि आंखों में प्रोटीन की कमी से होता है, लेकिन अब इसके आगे की रिसर्च प्रोटीन की कमी की समस्या पर खोज करेंगे। आखिर उस प्रोटीन में ऐसी क्या दिक्कत आ जाती है? अगर इसका पता चल जाएगा तो आंखों का इलाज भी संभव हो जाएगा।
आँखों में प्रोटीन की कमी पर कोई नहीं करता रिसर्च
प्रो. दीपेश का दावा है कि अभी प्रोटीन को लेकर तो कई लोगों ने रिसर्च की हैं, लेकिन प्रोटीन की प्रॉब्लम को लेकर किसी ने कोई रिसर्च नहीं की है। इसलिए हम उस चीज पर रिसर्च कर रहे हैं, जिसके के कारण अंधापन हो रहा हैं।
शोध में विदेशी तकनीक का करेंगे प्रयोग
प्रो. वर्मा ने बताया कि विदेशी तकनीक का प्रयोग अपनी इस रिसर्च में करेंगे। बताते चलें कि प्रो. वर्मा ने यूएसए के न्यूयार्क की एक यूनिवर्सिटी से पोस्ट डॉक्टरेट डिग्री हासिल की हैं। वहां पर भी उन्होंने इसको लर्न किया था। वहां पर ऑप्थोलॉजी आई साइंस विभाग में इस पर काफी शोध किया था । उसी शोध को अब कानपुर विश्वविद्यालय में वो आगे बढ़ाएंगे।
प्रो. दीपेश ने बताया कि जो शोध यूएसए में हमने किया था। उसमें पाया गया था कि प्रोटीन वीक होने के कारण आंखों की रोशनी चली जाती है, लेकिन उस प्रोटीन में क्या प्रॉब्लम होती है। इसको जानने के लिए अपनी शोध को यहां पर आगे बढ़ाएंगे।
सबसे पहले मेंढक पर शुरू होगा शोध
प्रोफेसर ने बताया कि हम इस शोध को सबसे पहले मेंढक पर करेंगे। सबसे पहले तो मेंढक में इंसानों के जीन डाले जाएंगे। इसके बाद उस प्रोटीन की प्रॉब्लम पर काम किया जाएगा। इसको लेकर अनुसंधान नेशनल रिसर्च (सरकार की फंडिंग एजेंसी) की ओर से 60 लाख रुपए की राशि शोध के लिए प्रदान की गई हैं। ये रिसर्च करीब 3 साल तक चलेगी। यदि प्रोटीन के पीछे का कारण पता चल जाता है तो इलाज भी आसान हो जायेगा।
हिन्दुस्थान समाचार / मो0 महमूद