अंतरराष्ट्रीय बाजार में काला नमक चावल के निर्यात की संभावनाएं : डॉ. सुधांशु

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अंतरराष्ट्रीय बाजार में काला नमक चावल के निर्यात की संभावनाएं : डॉ. सुधांशु


—आइसार्क फार्मर्स कैफे में काला नमक चावल की मूल्य श्रृंखला पर परिचर्चा

वाराणसी, 28 मार्च (हि.स.)। अंतरराष्ट्रीय धान अनुसंधान संस्थान दक्षिण एशिया क्षेत्रीय केंद्र (आइसार्क), वाराणसी में शुक्रवार को काला नमक चावल मूल्य श्रृंखला: चुनौतियाँ एवं अवसर विषय पर एक फार्मर्स कैफे और राउंडटेबल परिचर्चा का आयोजन किया गया। जिसमें नीति-निर्माताओं, कृषि विशेषज्ञों, उद्योग प्रतिनिधियों और किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) ने भाग लिया। प्रतिनिधियों ने काला नमक चावल किस्म के उत्पादन और विपणन से जुड़ी अपनी राय और सुझाव साझा किए।

आइसार्क के निदेशक डॉ. सुधांशु सिंह ने काला नमक चावल को सांस्कृतिक धरोहर के रूप में प्रस्तुत किया। उन्होंने इसे बुद्ध के महाप्रसाद के रूप में उल्लेख करते हुए इसके ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व को रेखांकित किया। उन्हाेंने काला नमक चावल के उत्पादन और विपणन को बढ़ावा देने में यूपीएग्रीज परियोजना की भूमिका पर भी चर्चा की। कहा कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में काला नमक चावल के निर्यात की सम्भावनाएं उज्जवल हैं और इसके मूल्य वर्धन, ब्रांडिंग और प्रतिस्पर्धात्मक रणनीतियों के माध्यम से हम किसानों की आय में बढ़ोत्तरी सुनिश्चित कर सकते हैं।

विश्व बैंक के सलाहकार डॉ. मुकेश गौतम ने काला नमक चावल की पौष्टिकता और सुगंध की विशेषताएं उजागर करते हुए गुणवत्ता सुनिश्चित करने और मूल्य श्रृंखला को मजबूत बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया। सुझाव दिया कि किसानों को जैविक खेती के लिए प्रोत्साहित करना, भंडारण एवं विपणन सुविधाओं को सुदृढ़ करना और उन्हें एक स्थिर बाजार उपलब्ध कराना अत्यंत महत्वपूर्ण है। वहीं, विश्व बैंक के कृषि सलाहकार डॉ. बी. पी. सिंह ने इसके उत्पादन और वैश्विक पहचान के लिए सामूहिक प्रयासों और अनुसंधान की आवश्यकता पर बात की। उन्होंने काला नमक चावल की पारम्परिक किस्मों के संरक्षण और उनके औषधीय एवं पोषणात्मक गुणों के संवर्धन पर समान रूप से ध्यान देने की आवश्यकता पर बल दिया।

कृषि विशेषज्ञ, डॉ. अखिलेश कुमार सिंह ने बीज चयन, कीट एवं रोग प्रबंधन और फसल कटाई के बाद की वैज्ञानिक प्रक्रियाओं पर जोर दिया। ताकि चावल की गुणवत्ता और स्थायित्व बना रहे। उन्होंने कहा कि भविष्य में हमें अपने कार्यक्रमों का दायरा बढ़ाने की आवश्यकता है। जिसमें किसानों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम, उन्नत कृषि तकनीकों की जानकारी और उन्हें बाजार से जोड़ने के प्रयास किए जाने चाहिए, जिससे उनकी आय में स्थायी वृद्धि हो सके।

तकनीकी सत्र में इरी के वैज्ञानिक, डॉ. विक्रम पाटिल ने काला नमक चावल के उत्पादन की वर्तमान स्थिति और मूल्य श्रृंखला में मौजूद चुनौतियों को रेखांकित किया। किसान मंच में एफपीओ प्रतिनिधियों ने उत्पादन लागत, ब्रांडिंग, और बाजार से जुड़ी समस्याओं पर चर्चा की। विशेषज्ञों ने सामूहिक विपणन, गुणवत्ता प्रमाणीकरण और उपभोक्ता जागरूकता की रणनीतियाँ साझा कीं। कार्यक्रम में नाबार्ड, एपीडा, भारतीय पैकेजिंग संस्थान, आईआईटी बीएचयू, बीएचयू और पीक्यूएस वाराणसी जैसे प्रमुख संस्थानों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। चर्चा में गुणवत्ता नियंत्रण, फसल प्रसंस्करण, वित्तीय सहायता और निर्यात अवसरों पर महत्वपूर्ण सुझाव सामने आए, जो काला नमक चावल के वैश्विक विस्तार के लिए सहायक होंगे।

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हिन्दुस्थान समाचार / श्रीधर त्रिपाठी

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