डॉ. जमील अहमद ने तैयार की नई डिवाइस, मालूम होगी ऐतिहासिक स्थलों की उम्र

प्रयागराज, 26 मार्च (हि.स.)। ऐतिहासिक स्थलों और स्मारकों का सही उम्र पता करना इतिहासकारों के लिए सदैव से एक चुनौती रही है। ईश्वर शरण पोस्ट ग्रेजुएट कॉलेज के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ.जमील अहमद ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) आधारित एक ऐसी डिवाइस तैयार की है, जिससे ऐतिहासिक स्थलों व स्मारकों की प्राचीनता अथवा उम्र का सटीक पता लगाना सम्भव हो सकेगा।
कॉलेज के प्राचीन इतिहास, संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. जमील अहमद ने बताया कि उनके पेटेंट डिज़ाइन ‘‘एआई बेस्ड हिस्टोरिकल प्लेस एज डिटेक्शन डिवाइस’’ को भारत सरकार के पेटेंट कार्यालय ने स्वीकृत करते हुए रजिस्टर्ड कर लिया है।
उन्होंने बताया कि इस तकनीक के जरिए हाई-रिजॉल्यूशन फोटो कैप्चर और प्रोसेस किया जाता है ताकि विरासत की तमाम विशिष्टताओं और पैटर्न की पहचान की जा सके। इस डिवाइस के जरिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) की मदद से विभिन्न श्रोतों से प्राप्त डेटा का विश्लेषण किया जाता है। इसमें वास्तुशिल्प, स्थापत्य शैली, निर्माण सामग्रियां और अभिलेख आदि शामिल हैं। इसके द्वारा साइट (ऐतिहासिक स्थलों या स्मारकों) की हाई-रिजॉल्यूशन फोटो कैप्चर और प्रोसेस करना आसान होगा। ताकि विरासत की तमाम विशिष्टताओं और पैटर्न की पहचान की जा सके।
डॉ अहमद ने आगे बताया कि यह उपकरण एक डेटा बेस से संचालित होता है, जिसमें ऐतिहासिक स्थलों की विभिन्न जानकारियां मौजूद होती हैं। यह एक पोर्टेबल, कॉम्पैक्ट और हल्का उपकरण है जिसे आसानी से दूरस्थ स्थानों पर ले जाया जा सकता है। इसमें परिणाम तेजी से प्राप्त होते हैं, जिससे शोधकर्ता कई ज्ञात-अज्ञात स्थलों का मूल्यांकन और तिथि निर्धारण सटीक और आसान तरीके से कर सकते हैं।
कालेज के प्राचार्य प्रो. आनंद शंकर सिंह ने इसे कालेज के साथ-साथ इतिहास एवं पुरातत्व जगत के लिए गौरव बताया है। उन्होंने बताया कि डॉ. जमील के एक अन्य पेटेंट डिजाइन ‘‘डिजिटल मैपिंग डिवाइस फॉर आर्कियोलॉजिकल फील्ड वर्क्स’’ को भी पिछले शैक्षिक सत्र में पेटेंट कार्यालय, भारत सरकार ने स्वीकृत व रजिस्टर्ड किया गया है। दोनों ही पेटेंट डिजाइन पुरातात्विक सर्वेक्षण विधि एवं तकनीक पर आधारित है।
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हिन्दुस्थान समाचार / विद्याकांत मिश्र