इंदौरः फसल अवशेष (नरवाई) प्रबंधन के संबंध में जन जागरूकता के लिए गांव-गांव घूमेगा प्रचार रथ

WhatsApp Channel Join Now
इंदौरः फसल अवशेष (नरवाई) प्रबंधन के संबंध में जन जागरूकता के लिए गांव-गांव घूमेगा प्रचार रथ


- कलेक्टर ने झंडी दिखाकर रथ को किया रवाना, जिले में 16 अप्रैल तक चलेगा जन जागरण अभियान

इन्दौर, 05 अप्रैल (हि.स.)। वर्तमान में जिले में गेहूं फसल की कटाई का कार्य लगभग पूर्णता की ओर है। गेहूं फसल की कटाई के पश्चात सामान्य तौर पर किसान नरवाई में आग लगा देते हैं, जिससे पर्यावरण में प्रदूषण के साथ-साथ मिट्टी की संरचना भी प्रभावित होती है। जिले में गेहूं की कटाई के बाद बचे हुए फसल अवशेष (नरवाई) जलाना खेती के लिये नुकसान दायक कदम है। नरवाई प्रबंधन हेतु किसानों को कृषि विभाग द्वारा लगातार जागरूक किया जा रहा है उनसे अपील की जा रही है कि वह नरवाई को जलाए नहीं।

गेहूं फसल के अवशेष नरवाई के सुरक्षित प्रबंधन के संबंध में जन जागरूकता के लिए कलेक्टर आशीष सिंह ने शनिवार को प्रचार रथ को झंडी दिखाकर प्रचार-प्रसार हेतु रवाना किया। यह रथ जिले के समस्त विकासखण्डों की ग्राम पंचायतों में जाकर प्रचार-प्रसार करेगा। इस अवसर पर उप संचालक कृषि सी.एल. केवडा, सहायक कृषि यंत्री मनोज भार्गव, सहायक संचालक कृषि एस.आर. एस्के, विजय जाट, सी.एल. मालवीय आदि विशेष रूप से उपस्थित रहे।

कृषक संवाद कार्यक्रम होंगे

कलेक्टर आशीष सिंह के निर्देशानुसार 16 अप्रैल तक प्रत्येक ग्राम पंचायत मुख्यालय पर कृषि से संबंधित मैदानी अधिकारियों एवं राजस्व विभाग के पटवारी/पंचायत विभाग के पंचायत सचिव के साथ समन्वय कर कृषक संवाद कार्यक्रम का आयोजन किया जायेगा। किसानों को नरवाई जलाने से होने वाले नुकसानों से अवगत कराया जायेगा तथा फसल अवशेष (नरवाई) प्रबंधन की तकनीकी जानकारी से अवगत कराया जायेगा।

नरवाई जलाने पर दंड का प्रावधान

किसानों से अपील की गई है कि नरवाई न जलाएँ। नरवाई जलाने से पर्यावरण को नुकसान होता है। किसान यदि नरवाई जलाता है तो मध्यप्रदेश शासन के नोटिफिकेशन प्रावधान अनुसार पर्यावरण विभाग द्वारा उक्त अधिसूचना अंतर्गत नरवाई में आग लगाने के विरुद्ध पर्यावरण क्षतिपूर्ति राशि दण्ड का प्रावधान निर्धारित किया गया है। ऐसा कोई व्यक्ति/निकाय/कृषक जिसके पास दो एकड़ तक की भूमि है तो उसकों नरवाई जलाने पर पर्यावरण क्षति के रूप में 2500 रुपये प्रति घटना के मान से आर्थिक दण्ड भरना होगा। ऐसा कोई व्यक्ति/निकाय/कृषक जिसके पास दो से पाँच एकड़ तक की भूमि है तो उसकों नरवाई जलाने पर पर्यावरण क्षति के रूप में पांच हजार रुपये प्रति घटना के मान से आर्थिक दण्ड भरना होगा। ऐसा कोई व्यक्ति/निकाय/कृषक जिसके पास पाँच एकड़ से अधिक भूमि है तो उसकों नरवाई जलाने पर पर्यावरण क्षति के रूप में 15 हजार रुपये प्रति घटना के मान से आर्थिक दण्ड भरना होगा।

नरवाई जलाने से होती है हानियां

कृषि उप संचालक सी.एल.केवड़ा ने बताया कि खेत में गेहूं एवं अन्य फसलों के अवशेषों ( नरवाई) को जलाने से अनेक हानियां होती है। जमीन में उपस्थित लाभदायक सुक्ष्म जीवाणु केंचुए नष्ट हो जाते है, जिससे जमीन की उर्वरा शक्ति कम होती है। भूमि कठोर हो जाती है, जिसके कारण भूमि की जल धारण क्षमता कम हो जाती है। नरवाई में आग लगाने से आस-पास की खड़ी फसलों में आग लगने से एवं जन/धन हानि की आशंका रहती है। पर्यावरण प्रदूषित हो जाता है। वातावरण के तापमान में वृद्धि होती है, जिससे धरती गर्म होती है।

नरवाई प्रबंधन के उपाय

1. स्ट्रॉरीपर (भूसा मशीन) से भूसा बनाया जा सकता है।2. वेलर मशीन द्वारा बेल बनाकर कागज उ‌द्योग, बायो मॉस डेयरी में भूसा की पूर्ति की जा सकती है।3. मल्चर मशीन द्वारा फसल अवशेषों को बारीक काट कर खेत में जैविक खाद के रूप में उपयोग किया जा सकता है।4. कम्बाईन हार्वेस्टर के साथ स्ट्रॉ मैनेजमेंट सिस्टम वाले हार्वेस्टर का प्रयोग करें।5. खेत में कल्टीवेटर, रोटावेटर या डिस्क हेरो आदि कि सहायता से फसल अवशेषों को भूमि में मिलाने से आने वाली फसलों में जीवांश खाद की बचत की जा सकती है।6. पशुओं के लिए भूसा और खेत के लिए बहुमूल्य पोषक तत्वों की उपलब्धता बढ़ने के साथ मिट्टी की संरचना को ब्रिगडने से बचाया जा सकता है।7. नरवाई में आग लगाने पर पुलिस द्वारा प्रकरण भी कायम किया जा सकता है।

नरवाई के उचित प्रबंधन से मिलेगी अतिरिक्त आय

किसानो से जिला प्रशासन, किसान कल्याण तथा कृषि विकास विभाग, कृषि अभियांत्रिकी विभाग ने आग्रह किया है कि फसल कटाई के पश्चात फसल अवशेष (नरवाई) में आग नहीं लगाये, नरवाई का उचित प्रबंधन कर भूमि वातावरण को नुकसान न पहुंचाते हुए पशुओं के लिये भूसा, जैविक खाद तैयार करे। जिससे फसल उत्पादन के अतिरिक्त भी आय प्राप्त की जा सकती है।

हिन्दुस्थान समाचार / मुकेश तोमर

Share this story