शिवपुर विधानसभा सीट : मुंशी प्रेमचंद्र के गांव लमही और पंचकोश यात्रा का अंतिम पड़ाव कपिलधारा इस विधानसभा की है पहचान, एक बार बदल चुका है नाम 

साल 2012 में राजनीतिक परिसीमन हुआ तो साल 1952 में अस्तित्व में आयी वाराणसी की चिरईगांव विधानसभा सीट का नाम बदलकर शिवपुर विधानसभा (386) कर दिया गया। इस विधानसभा में मुंशी प्रेमचंद्र की जन्मस्थली और पंचकोश यात्रा का अंतिम पड़ाव कपिलधारा इसे खास बनाता है।  इसके अलावा चिरईगांव का पूरे देश में प्रसिद्द अचार- मुरब्बे का कुटीर उद्योग इस विधानसभा की जान है, साथ ही साथ फूलों की खेती भी इस विधानसभा में खुशबू फैलाती है। ज़्यादातर इलाका खेती-किसानी पर निर्भर है तो लोग वाराणसी और आस-पास के ज़िलों के अलावा गैर प्रदेशों में भी काम के सिलसिले में रह रहे हैं। 
 

वाराणसी। साल 2012 में राजनीतिक परिसीमन हुआ तो साल 1952 में अस्तित्व में आयी वाराणसी की चिरईगांव विधानसभा सीट का नाम बदलकर शिवपुर विधानसभा (386) कर दिया गया। इस विधानसभा में मुंशी प्रेमचंद्र की जन्मस्थली और पंचकोश यात्रा का अंतिम पड़ाव कपिलधारा इसे खास बनाता है।  इसके अलावा चिरईगांव का पूरे देश में प्रसिद्द अचार- मुरब्बे का कुटीर उद्योग इस विधानसभा की जान है, साथ ही साथ फूलों की खेती भी इस विधानसभा में खुशबू फैलाती है। ज़्यादातर इलाका खेती-किसानी पर निर्भर है तो लोग वाराणसी और आस-पास के ज़िलों के अलावा गैर प्रदेशों में भी काम के सिलसिले में रह रहे हैं। 

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वाराणसी की इस विधानसभा सीट पर चिरईगांव ब्लॉक के सभी गाँव, हरहुआ ब्लॉक के दो दर्जन से अधिक गाँव और काशी विद्यापीठ ब्लॉक के कुछ गाँव शामिल हैं। ज़्यादातर खेती-किसनी और कुटीर उद्योग से जुड़े लोग इस गाँव में रहते हैं या मुंबई, सूरत, लुधियान, दिल्ली, कोलकाता में काम के सिलसिले में रहते हैं। शिवपुर विधानसभा सीट मे क्या कुछ है खास और क्या है मतदाता का रुख जानिए Live VNS की इस ख़ास रिपोर्ट में...

पंचकोश का अंतिम पड़ाव कपिलधारा 
स्कंद पुराण के काशी खंड में कपिलधारा तीर्थ, कुंड और कपिलेश्वर महादेव का उल्लेख आता है। मान्यता है कि भगवान शिव ने काशी बसाई तो पहले यहां ही आए। कपिल मुनि ने यहां साधना की और देवों-ऋषियों के भी चरण पड़े।कपिलेश्वर महादेव तो यहां विराजमान हैं ही आठ भुजाओं वाले भगवान गणेश का विग्रह अपनी तरह का अलग और अनूठा है। चंडी देवी और मां दुर्गा भवानी की प्रतिमा के साथ ही तपस्यारत कपिल मुनि भी यहां विराजमान हैं। लोकगायन की बिरहा विधा के पुरोधा माने जाने वाले गुरु पत्तू, गुरु बिहारी व गुरु अक्षयवर का भी मंदिर स्थित है। यह मंदिर पंचकोश यात्रा का पांचवां और अंतिम पड़ाव है। 

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मुंशी प्रेमचंद्र का पैतृक गाँव और घर 
भारतीय साहित्य के पुरोधा मुंशी प्रेमचंद्र का पैतृक गाँव लमही भी इसी विधानसभा सीट के अंतर्गत आता है। गांव लमही में आज भी प्रेमचंद का पैतृक आवास मौजूद है. जिस कमरे में बैठकर वह लेखनी करते थे, वह कमरा भी है। लोगों की मानें तो उनका घर और आंगन आज भी उनके होने का एहसास दिलाता है। उनके घर और स्मारक के बगल में एक संग्रहालय भी है, जहां पर उनकी लिखी किताबें और उपन्यास मौजूद हैं। 

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राजनीतिक उद्भव 
साल 1952 में हुए पहले आम चुनाव में वाराणसी की चिरईगांव विधानसभा सीट का उद्भव हुआ और तब यहां से कांग्रेस के बलदेव यादव ने अपना परचम लहराया था। इसके बाद उदयनाथ मौर्या, साल 1967 में कांग्रेस के हिम्मत बहादुर सिंह, साल 1969 से लेकर 1977 तक हुए तीन आम चुनाव में उदय नाथ ने दो बार बीकेडी और एक बार जेएनपी के टिकट पर चुनाव जीता। उसके बाद कांग्रेस के श्रीनाथ सिंह ने साल 1980 और 1985 में विजय पताका फहराई। 1989 में जनता दल के चंद्रशेखर ने यह सीट कब्जाई। उसके बाद लगातार दो बार 1991 और 1993 में हुए चुनाव में भाजपा के मायाशंकर पाठक ने जीत दर्ज की। उसके बाद साल 1996 में वीरेंद्र सिंह ने पहले कांग्रेस और 2002 में बसपा से विधानसभा का सफर तय किया। साल 2007 में चिरईगांव के नाम से अंतिम चुनाव हुए और बसपा के उदय लाल मौर्या ने जीत दर्ज की। साल 2012 में इस सीट का नाम शिवपुर कर दिया गया जिसके बाद यहां हुए पहले चुनाव में एक बार फिर बसपा के उदयलाल मौर्या ने सपा के डॉ पीयूष यादव को हराकर सीट पर कब्ज़ा जमाये रखा पर 2017 के चुनाव में यह सीट एक बार फिर भाजपा के खाते में चली गयी और अनिल राजभर विधायक हुए।

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मौजूदा परिदृश्य 
साल 2017 के चुनाव में मौजूदा कैबिनेट मंत्री अनिल राजभर ने भाजपा प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा और 1,10,453 मत प्राप्त कर सपा के आनंद मोहन यादव को हराकर विधानसभा पहुंचे। आनंद मोहन को सिर्फ 56,194 वोट मिले थे। बता दें की साल 2017 के चुनाव में उत्तर प्रदेश में भाजपा और सुभासपा ने गठबंधन किया था, राजनीतिक जानकारों की मानें तो इस सीट पर राजभर वोट का भी अनिल राजभर को फायदा मिला था। इस बार यह गठबंधन टूट चुका है और सुभासपा सपा के साथ गठबंधन कर चुकी है। 

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सामाजिक समीकरण
शिवपुर विधानसभा क्षेत्र यादव बाहुल इलाका है। हालांकि दलित, पटेल, राजभर और मुसलमान वोटरों की तादात भी कम नहीं है। इस विधानसभा क्षेत्र में ही बुनकर बाहुल्य लोहता इलाका भी आता है। यह क्षेत्र यादव व राजभर बहुल है पर अन्य पिछड़ी जातियां की मौजूदगी भी ठीक-ठाक है। 

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मतदाता 
शिवपुर विधानसभा क्षेत्र में कुल मतदाताओं की संख्या 3,68,374 है, जिसमें पुरुष मतदाताओं की संख्या 2,01,313 और महिलाओं की संख्या 1,67,050 है। इसके अलावा इस विधानसभा सीट पर 11 थर्ड जेंडर मतदाता भी है। वहीं इस चुनाव में पहली बार अपने मताधिकार का प्रयोग करने वाले युवा मतदाताओं की संख्या 4,346 है।

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