वाराणसी कैंट विधानसभा सीट : सबसे ज्‍यादा पढ़े-लि‍खे मतदाताओं वाली सीट, 30 साल से एक ही परिवार पर पब्‍लि‍क का भरोसा

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वाराणसी। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव इस बार सात चरणों में पूरा होगा। इसमें सबसे अंतिम चरण 7 मार्च को प्रदेश की सबसे हॉट सीट वाराणसी की 8 विधानसभाओं पर भी मतदान होगा। वाराणसी की 8 में से 7 सीटों पर इस समय भाजपा और उसके घटक दलों का वर्चस्व है। काशी की इन आठ विधानसभा सीटों में से शहर की सबसे महत्वपूर्ण सीट कैंट विधानसभा (390) है, जहां सबसे अधिक मतदाता भी हैं। वैसे तो इस विधानसभा में शिक्षित समुदाय की अधिकता है, बावजूद इसके वोटिंग पर्सेंटेज भी यहां सबसे कम है, जोकि‍ चिंता का वि‍षय है। 

वाराणसी के कैंट विधानसभा के गठन, विधायक, पार्टियों के दबदबे के अलावा सामजिक तानाबाना और वोटर का क्या रुख है, इसपर पेश है Live VNS की ख़ास पेशकश। यहां हम आप को वाराणसी कैंट विधानसभा से तो रूबरू कराएंगे ही, बल्कि वोटरों का मूड भी बताएँगे। 

प्रधानमंत्री ने शुरू किया था स्वच्छता अभियान 
कैंट विधानसभा में पड़ने वाला अस्सी घाट साल 2014 के पहले बदहाल था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब 2014 में इस अस्सी घाट पर फावड़ा चलाया तो देश ही नहीं पूरी दुनिया में स्वच्छता का बिगुल बज उठा और आज अस्सी घाट शहर के घाटों में अपनी महत्वपूर्ण पहचान रखता है। इसके अलावा इसी विधानसभा में जापान और भारत की मैत्री का प्रतीक रुद्राक्ष इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर भी मौजूद है। इसके अलावा बनारस स्टेशन, रामनगर का दुर्ग, संकटमोचन मंदिर और कैंटोनमेंट बोर्ड भी इसी विधानसभा क्षेत्र में हैं। 

सर्व विद्या की राजधानी भी यहीं 
सर्व विद्या की राजधानी कहा जाने वाला, देश और दुनिया में अपनी चमक बिखेर रहा काशी हिन्दू विश्वविद्यालय भी इसी विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आता है। इसके अलावा महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ विश्वविद्यालय और कई ख्यातिलब्ध इंटर कालेज भी इसी विधानसभा क्षेत्र में हैं। 

राजनीतिक उद्भव 
शहर की यह सीट राजनीतिक दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण है। साल 1967 में जब यहां पहली बार विधानसभा के चुनाव हुए, तो यहां से भारतीय जन संघ के वारमेश्वर पांडेय ने विजय पताका फहराई थी। 1969 में कांग्रेस प्रत्याशी, तो साल 1974 में भारतीय क्रान्ति पार्टी से शतरुद्र प्रकाश सिंह ने जीत हासिल की थी। उसके बाद 1977 में शतरुद्र प्रकाश, 1980 में कांग्रेस और 1985 और 1989 में एक बार फिर शतरुद्र प्रकाश ने विजय पताका फहराई पर साल 1991 से यहां एक ही परिवार का कब्ज़ा है, जो भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर लड़ते आये हैं।

मां-पिता और बेटे का रहा वर्चस्व 
साल 1991 में हुए चुनाव में भाजपा ने ज्योत्सना श्रीवास्तव को टिकट दिया और उन्होंने जीत हासिल की, जिसके बाद यह सिलसिला आज तक नहीं टूटा और इस समय उनके बेटे सौरभ श्रीवास्तव इस विधानसभा से विधायक हैं। ज्योत्स्ना श्रीवास्तव ने 1993 में भी जीत हासिल की। उसके बाद उनके पति हरिश्चंद्र श्रीवास्तव ने 1996 और 2002 में चुनाव जीता। उसके बाद ज्योत्सना श्रीवास्तव ने एक बार फिर 2007 और 2012 में चुनाव जीता और साल 2017 में हुए चुनाव में सौरभ श्रीवास्तव ने चुनाव जीता। 

मौजूदा परिदृश्य 
2017 वि‍धानसभा चुनाव में सौरभ श्रीवास्तव ने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी कांग्रेस के अनि‍ल श्रीवास्तव को 61,326 मतों से परास्त किया। भाजपा ने एक बार फिर सौरभ श्रीवास्‍तव पर भरोसा जताते हुए विधानसभा चुनाव में उन्हें पार्टी का प्रत्याशी बनाया है, जबकि अन्य बड़े दलों में से केवल आम आदमी पार्टी ने इस सीट पर अपना प्रत्याशी राकेश पांडेय को घोषित किया है। 

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सामाजिक समीकरण 
2021 के रिकार्ड के मुताबिक वाराणसी कैंट विधानसभा की कुल आबादी 5,60,053 है, जिसमें पुरुष आबादी 2,997,82 है, जबकि महिला आबादी 2,666,89 है।  जहां तक मतदाताओं की बात है तो लगभग कुल मतदाता 4,475,51 हैं, जिसमें 24,566,3 पुरुष और 2,018,52 महिला मतदाता हैं। युवा मतदाता जो पहली बार अपने मतों का उपयोग करेंगे उनकी संख्या 4743 है। कायस्थ बहुल मतदाताओं वाली इस सीट पर मुस्लिम, ब्राह्मण , क्षत्रिय, भूमिहार, बंगाली, वैश्य, निषाद सहित अन्य समुदाय भी निर्णायक की भूमिका निभाते हैं। 

2017 चुनाव में दो बूथों पर हुई सबसे लो वोटिंग 
साल 2017 के चुनाव में वाराणसी की आठ विधानसभा सीटों में तीन सबसे लोवेस्ट पोलिंग वाले पोलिंग बूथ में कैंट विधानसभा के दो बूथ क्रमशः पहले स्थान पर पोलिंग स्टेशन नंबर 38 के पूर्व रेलवे जूनियर हाई स्कूल छित्तूपुर का कक्ष संख्या-8 और पोलिंग स्टेशन नंबर 372 के बालिका प्राथमक विद्यालय कैंटोनमेंट बोर्ड का कक्ष संख्या 1 रहा, जिसमें 24 और 31 प्रतिशत ही मतदान हुआ। 

वोटिंग पर्सेंटेज बढ़ाने के लिए चल रहा है अभियान 
इस विधानसभा में साल 2017 में मतदान का प्रतिशत कम रहा है। ऐसे में स्वीप के द्वारा कैंट विधानसभा क्षेत्र में लगातार मतदाताओं को मतदान के प्रति जागरूक करने के लिए अभियान चलाया जा रहा है। स्वीप की ब्रांड एम्बेस्डर नीलू मिश्रा स्वयं इस अभियान की कमान संभाल रही हैं।  


 

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