प्राचीन द्वारका की विरासत के लिए शोध आधारित अभियान, अंडरवाटर आर्कियोलॉजी विंग बना

द्वारका, 28 मार्च (हि.स.)। आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (एएसआई) ने द्वारका में प्राचीन विरासत की खोज के लिए शोध आधारित अभियान शुरू किया है। इसके तहत अंडरवाटर आर्कियोलॉजी विंग बनाया गया है। इस काम में फिलहाल तीन टीमें लगाई गई हैं, जिसमें दो टीमें बेट द्वारका और एक टीम द्वारका में शोध में जुटी हैं। प्रथम चरण में गोमती नदी के समीप डाइविंग ऑपरेशन शुरू किया गया है।
एएसआई ने प्रमुख आलोक त्रिपाठी ने शुक्रवार को यहां एक होटल में पत्रकारों को बताया कि शोध प्रक्रिया के लिए विभाग में नए सदस्यों की भर्ती और प्रशिक्षण का काम शुरू किया गया है। यहां हो रहे शोध का मुख्य उद्देश्य द्वारका के ऐतिहासिक महत्व को विश्व के समक्ष पेश करना है। सरकार की भविष्य की योजनाओं में समुद्र में डूबी द्वारका को देखा जा सके, इसके लिए अंडरवाटर व्यूइंग गैलेरी बनाना भी शामिल है। यह शोध कार्य सरकार के महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट को लागू करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
त्रिपाठी ने बताया कि ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और पुरातात्विक दृष्टि से द्वारका महत्वपूर्ण स्थान है। पुरातात्विकविद् और इतिहासकारों ने एक सदी से अधिक समय से यहां इस दिशा में काम किया है। भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण ने भी पहले 1979 और बाद में 2005 से 2007 तक यहां व्यवस्थित उत्खनन किया गया था। हालांकि यह बहुत ही सीमित क्षेत्र में किया गया था।
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उन्होंने बताया कि यहां के इतिहास को जानने के लिए अभी एएसआई की अंडरवाटर आर्किलॉजिकल विंग ने पुरातात्विक शोध शुरू किया है। अभी पहली बार समुद्र में गोमती नदी के किनारे डाइविंग ऑपरेशन किए हैं। पहले से मिले अवशेषों का अभी की स्थिति का अध्ययन किया गया है। इस क्षेत्र में आगे कार्य के लिए जगहों की पहचान की गई है। कुछ नए पुरातात्विकविदों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। द्वारका और आसपास के पुरातात्विक क्षेत्रों का भी अध्ययन किया जा रहा है।
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हिन्दुस्थान समाचार / बिनोद पाण्डेय