बलिया बीट्स पोएट्री फेस्टिवल में बही गीतों-गजलों की सरिता

बलिया, 24 मार्च (हि.स.)। बलिया बीट्स पोएट्री फेस्टिवल में रविवार की शाम गजलों और गीतों पर स्रोता झूमने को मजबूर हुए। शहर के आदर्श वाटिका में सजे मंच से पढ़ी गईं शायरों और कवियों की हर पंक्ति पर स्रोता वाह-वाह करते रहे।
जननायक चंद्रशेखर विवि के कुलपति प्रो. संजीत कुमार गुप्त द्वारा कवि सम्मेलन और मुशायरे का उद्घाटन करने के बाद संचालक देवांग ने सबसे पहले मशहूर शायरा हिमांशी बावरा को बुलाया। जिन्होंने 'वो तो सवाल पूछ के आगे निकल गया, अटकी हुई हूं मगर उसके सवाल में' और 'तुम आओगे नुमाइशे सामान देखकर तेरे जैसा शख्स मुंह फेर लेगा मुझको परेशान देखकर...' सुनाया तो दर्शक देर तक ताली बजाते रहे। फिर मंच पर आए आशु मिश्र ने 'जो पर्दादारी चली तो यारी नहीं चलेगी, तेरे जाने पर समेट लेंगे दिल, फिर इस सड़क पर कोई सवारी नहीं चलेगी...' सुनाकर खूब वाहवाही बटोरी। भोजपुरी में कविता सुनाने आये युवा कवि सुशांत शर्मा ने सामाजिक सरोकारों और पलायन के दर्द को बखूबी बयां किया। सुशांत शर्मा ने भगवान राम और सीता को लेकर फैलाई गईं भ्रान्तियों पर अपनी भोजपुरी कविता 'युगन्तर से बही जात बा पानी के धार पे माटी के दीया...' और 'हम ना मानब कि राघव तियागले सिया, देत नइखे गवाही हिया....' से करारा प्रहार किया। मशहूर शायर सारिक कैफ़ी ने 'मुझसे अच्छा कोई आंसू पोछने वाला नहीं, साथ रखले वापसी में काम आ सकता हूं मैं...' इसके बाद 'हमें पता है कि परचा बुरा नहीं आया मगर तुम्हारा पढ़ाया हुआ नहीं आया...' सुनाकर खूब प्रशंशा बटोरी। वयोवृद्ध शायर फरहत एहसास ने 'मेहरबाँ मौत ने मुर्दोँ को जिला रखा है, वरना जीने में यहां खाक रखा है...' और 'एक परिंदा है कैद मेरे सीने में उस परिंदे ने शोर बहुत मचा रखा है। मुझको खबर मिली कि मेरा घर नहीं रहा, मैं खुश हुआ कि मैं राह का पत्थर नहीं रहा...' सुनाया। फिर दर्शकों की मांग पर 'जीता हूं इस तरह कि नदी बहे, जीना है अगर काम तो जी नहीं रहा हूं मैं...' सुना कर भाव विभोर कर दिया। आयोजकों अलोक पाण्डेय और जयश मिश्र ने आभार जताया। इस दौरान वरिष्ठ साहित्यकार जनार्दन राय ने वैष्णवी राय, अयान और रानी वर्मा को सम्मानित किया।
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हिन्दुस्थान समाचार / नीतू तिवारी