जम्मू के गजनसू गांव में शहीद अशोक स्मारक पर स्मरणोत्सव समारोह आयोजित

जम्मू,18 मार्च (हि.स.)। मंगलवार को भारतीय सेना ने 7 ग्रेनेडियर्स (अब 9 मैकेनाइज्ड इन्फैंट्री) के सेकेंड लेफ्टिनेंट अशोक प्रहलादराव मुटगीकर के सर्वोच्च बलिदान को पूरी निष्ठा से याद किया जिन्होंने 1971 के भारत-पाक युद्ध के दौरान असाधारण बहादुरी का परिचय दिया था। विपरीत परिस्थितियों में उनका पराक्रम और नेतृत्व सैनिकों की पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बना हुआ है। 1971 का भारत-पाक युद्ध दक्षिण एशियाई इतिहास में एक निर्णायक क्षण था जिसकी परिणति भारत की निर्णायक जीत और बांग्लादेश के निर्माण के रूप में हुई। पश्चिमी मोर्चे पर प्रमुख लड़ाइयों में से एक चिनाब एन्क्लेव में हुई भीषण लड़ाई में भारतीय सेना की चिनाब ब्रिगेड ने पाकिस्तान के फुकलियान एन्क्लेव पर सफलतापूर्वक कब्ज़ा किया। इसी ऑपरेशन के दौरान सेकेंड लेफ्टिनेंट मुटगीकर ने निडरता से अपने सैनिकों का नेतृत्व किया और अंततः राष्ट्र के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी।
उनके बलिदान को सम्मान देने के लिए जम्मू के गजनसू गांव में शहीद अशोक स्मारक पर एक स्मरणोत्सव समारोह आयोजित किया गया, जहाँ स्थानीय लोगों ने उनकी याद में एक युद्ध स्मारक बनाया था। इस कार्यक्रम में उनके परिवार के सदस्य, भारतीय सेना के वरिष्ठ अधिकारी, भूतपूर्व सैनिक, नागरिक प्रशासन के प्रतिनिधि, स्कूली बच्चे और स्थानीय गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। श्रद्धांजलि समारोह की शुरुआत पुष्पांजलि समारोह से हुई जिसके बाद एक स्मारक सेवा और सीमावर्ती क्षेत्रों का दौरा किया गया जहाँ द्वितीय लेफ्टिनेंट मुटगीकर और उनके साथियों ने युद्ध के दौरान जिस मार्ग से यात्रा की थी उसका पुनः अवलोकन किया गया। यह पवित्र अवसर राष्ट्र की रक्षा में भारत के वीर सपूतों द्वारा किए गए बलिदानों की याद दिलाता है।
भारतीय सेना के वरिष्ठ अधिकारियों, भूतपूर्व सैनिकों और गणमान्य व्यक्तियों ने द्वितीय लेफ्टिनेंट मुटगीकर के अटूट साहस और कर्तव्य के प्रति समर्पण को पहचानते हुए उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दी। उनके सर्वोच्च बलिदान को याद करने के लिए एक क्षण का मौन रखा गया। उनके परिवार को युद्ध के मैदान का एक निर्देशित दौरा भी कराया गया। कार्यक्रम का समापन उपस्थित लोगों द्वारा सेवा, बलिदान और देशभक्ति के आदर्शों को बनाए रखने की नई प्रतिज्ञा के साथ हुआ।
हिन्दुस्थान समाचार / राहुल शर्मा