झज्जर : बेरी में सप्तमी पर एक लाख से अधिक लोगों ने किए मां भीमेश्वरी देवी के दर्शन

-शनिवार को अष्टमी पर कई गुना अधिक श्रद्धालुओं के पहुंचने की संभावना
झज्जर, 4 अप्रैल (हि.स.)। नवरात्रों के उपलक्ष में जिले की धर्म नगरी बेरी में देवी मां के भक्तों की भारी भीड़ उमर रही है। शुक्रवार को सप्तमी के अवसर पर 1 लाख से अधिक लोगों ने मां भीमेश्वरी देवी के दर्शन किए। शनिवार को अष्टमी के शुभ अवसर पर श्रद्धालुओं की संख्या कई गुना अधिक रहने की संभावना है। मां भीमेश्वरी देवी के बेरी कस्बा के अंदर स्थित पुराने मंदिर से देवी मां को शुक्रवार सुबह कड़ी सुरक्षा के बीच बाहर वाले मंदिर में लाया गया। मां के दरबार में पहले से ही हजारों श्रद्धालु मां के दर्शनों के लिए कतार में लगे हुए थे। प्रशासन ने जगह-जगह बड़ी एलईडी स्क्रीन लगवा रखी हैं। जिससे कतार में लगे हुए बड़ी संख्या में श्रद्धालुओ ने मां के दर्शन किए। शुक्रवार को देर रात तक हजारों श्रद्धालु दर्शन करेंगे। अनुमान है कि मां के मंदिर में लगभग एक लाख लोग हाजिरी लगा देंगे।
देवी मंदिर के पुजारी पुरुषोतम वशिष्ठ ने बताया कि नवरात्रों में अष्टमी की आरती का अलग महत्व होता है और लाभ भी मिलता है। उन्होंने बताया कि मां भीमेश्वरी का इकलौता मंदिर है जहां मां की मूर्ति एक है और मां दो मंदिरों में विरजमान होती है। मां को सुबह बाहर वाले मंदिर में लाया जाता है। जहां मां को स्नान करवाकर आरती की जाती है। उसके बाद मां के दर्शन भक्तों के लिए खोल दिए जाते हैं। वहीं दोपहर को पुजारी गोद में लेकर कस्बे के अंदर वाले मंदिर में जाता है, जहां मां को भोग लगाया जाता है।
माता भीमेश्वरी देवी के मंदिर परिसर में लगे मेले में माता के दर्शन के लिए आए भक्तों ने अपने बच्चों के लिए खिलौने आदि की जमकर खरीदारी की। महिलाओं ने भी खरीददारी की। दरअसल, झज्जर जिले के बेरी कस्बे में स्थित इस मंदिर का इतिहास महभारत कालीन है। कुरुक्षेत्र में हुए महाभारत युद्ध से पहले भगवान कृष्ण ने पाण्डु पुत्र भीम को कुलदेवी मां से विजय श्री का आशीर्वाद लेने के लिए भेजा था। मां भीम के साथ चलने को तो तैयार हो गईं, लेकिन शर्त रखी कि रास्ते में कहीं उतारना नहीं होगा, लेकिन जब भीम बेरी पहुंचे तो उन्हें लघुशंका जाने के लिए कुलदेवी की प्रतिमा को नीचे रख दिया। तभी से माँ भीमेश्वरी देवी यहां विराजमान हैं। मां की पूजा अर्चना का सिलसिला महाभारत काल से ही चला आ रहा है। यहाँ के मंदिर को महाभारत काल में स्थापित किया गया था।
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हिन्दुस्थान समाचार / शील भारद्वाज