चीनी आयात में उछाल से भारतीय सरसों खली को मिला नया बाजार, कनाडा पर टैरिफ बना वजह

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नई दिल्ली/बीजिंग, 08 अप्रैल (हि.स.)। चीन ने पिछले तीन सप्ताहों में भारत से 52,000 टन सरसों खली (रेपसीड मील) खरीदी है, जो कि 2024 में चीन द्वारा भारत से की गई कुल खरीद से चार गुना अधिक है। यह तेजी चीन द्वारा कनाडा पर 100 प्रतिशत प्रतिशोधात्मक आयात शुल्क लगाए जाने के बाद देखी गई है।

भारत की बढ़ती सरसों खली निर्यात ने चीन जैसे विश्व के सबसे बड़े उपभोक्ता को कनाडा की आपूर्ति का विकल्प दिया है, वहीं भारत में सरसों खली की अधिकता के कारण घरेलू कीमतों पर दबाव भी कम हुआ है।

एक प्रमुख निर्यातक कंपनी के अधिकारी ने बताया, “चीनी आयातकों की रुचि हाल ही में बढ़ी है क्योंकि कनाडा से आयात अब महंगा हो गया है।” चीन ने 20 मार्च से कनाडा से आयातित सरसों खली और तेल पर 100 प्रतिशत शुल्क लगा दिया है।

सूत्रों के अनुसार, चीन ने भारतीय सरसों खली की खरीद $220 से $235 प्रति टन (सीएफआर आधार पर) की कीमत पर की है।

भारत, जो विश्व का तीसरा सबसे बड़ा सरसों उत्पादक देश है, अभी तक चीन को उच्च मूल्य के कारण ज्यादा खली नहीं भेज पा रहा था। 2024 में चीन ने कनाडा से 20.2 लाख टन, यूएई से 5.04 लाख टन और रूस से 1.35 लाख टन खली खरीदी थी, जबकि भारत से केवल 13,100 टन ही खरीदी गई थी।

सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन (एसईए) के कार्यकारी निदेशक बी.वी. मेहता ने कहा, “भारत अपने कुल खली निर्यात को 20 लाख टन से बढ़ाकर 25 लाख टन तक पहुंचा सकता है।”

फिलहाल भारत में सरसों खली का स्थानीय मांग कमजोर है और कीमतें फरवरी के $248 प्रति टन से गिरकर अब लगभग $200 प्रति टन (एफओबी) रह गई है।

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हिन्दुस्थान समाचार / आकाश कुमार राय

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