'माई मदर माइसेल्फ' : सुधा मूर्ति और उनकी बेटी अक्षिता मूर्ति की बातचीत ने किया भावुक

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'माई मदर माइसेल्फ' : सुधा मूर्ति और उनकी बेटी अक्षिता मूर्ति की बातचीत ने किया भावुक


जयपुर, 1 फ़रवरी (हि.स.)। जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल के मंच पर शनिवार को सेशन 'माई मदर माइसेल्फ' में सुधा मूर्ति और उनकी बेटी अक्षिता मूर्ति के बीच हुई बातचीत ने दर्शकों को भावुक कर दिया। सेशन के दौरान सुधा मूर्ति और अक्षिता के बीच मां-बेटी के प्यार और भावनात्मक जुड़ाव की झलक देखने को मिली। सुधा मूर्ति ने कहा कि माता-पिता को बच्चों को समय देना चाहिए। उन्होंने भी एक समय काम छोड़कर

बच्चों को समय दिया था। एक मां के लिए ये जरूरी है कि वो अपने बच्चों को

नैतिक मूल्य सिखाए। अक्षिता ने भी इस बात पर सहमति जताते हुए कहा कि एक साथ

दो काम नहीं किए जा सकते, इसलिए माता-पिता को बच्चों को प्राथमिकता देनी

चाहिए।

इस दौरान ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री और सुधा मूर्ति के दामाद ऋषि सुनक ने सेशन को सुना। साथ ही इन्फोसिस के सह-संस्थापक नारायण मूर्ति भी दामाद के साथ मौजूद रहे।

जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल की रेगुलर गेस्ट और बच्चों के लिए किताबें लिखने वाली लेखिका सुधा मूर्ति से जब अक्षिता ने पूछा कि उन्होंने काम और बच्चों की परवरिश के बीच संतुलन कैसे बनाया? इस पर सुधा मूर्ति ने कहा कि उनके पिता एक डॉक्टर थे और उनके लिए अस्पताल ही मंदिर था। उनसे ये सीखा कि काम के प्रति समर्पण कैसे रखा जाए। उनके पति नारायण मूर्ति ने हर कदम पर उनका साथ दिया और उनकी प्रोफेशनल लाइफ को आगे बढ़ाने में मदद की।

अक्षिता ने अपनी मां को उनके सिखाने और मार्गदर्शन के लिए धन्यवाद देते हुए कहा कि 'आप और पापा दोनों मेरे रोल मॉडल रहे हैं, आप दोनों ने एक-दूसरे का हमेशा साथ दिया।' सुधा मूर्ति ने जवाब में कहा कि उन्होंने हमेशा चाहा कि उनके बच्चे अच्छे नागरिक बनें। एक दिन तुम्हें भी ऐसा दिन देखने को मिलेगा, जब तुम्हारे पति और बच्चे तुम पर गर्व करेंगे।

अक्षिता ने सुधा मूर्ति से कहा कि वो बच्चों पर अधिक लिखें, ताकि युवा पीढ़ी उनसे सीख सकें। इस पर सुधा मूर्ति ने कहा कि वो एक शिक्षक हैं, पंडित नहीं। उन्हें सब कुछ नहीं पता, लेकिन उनका मानना है कि किताबें लोगों का जीवन बदलने की क्षमता रखती हैं। एक सफल महिला के पीछे एक समझदार पुरुष का हाथ होता है। उनके पति ने हमेशा उनका साथ दिया और उन्हें आगे बढ़ने में मदद की।

सेशन के दौरान सुधा मूर्ति और अक्षिता के बीच हुई बातचीत ने जीवन के महत्वपूर्ण सबक भी दिए। सेशन के बाद ऋषि सुनक ने हाथ जोड़कर सभी का अभिवादन किया और इस खास मौके पर शामिल होने पर खुशी जताई।

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हिन्दुस्थान समाचार / रोहित

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