सीडब्ल्यूसी ने तीन माह में की 150 चाइल्ड को स्पॉन्सरशिप स्कीम से जोड़ने की अनुशंसा

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सीडब्ल्यूसी ने तीन माह में की 150 चाइल्ड को स्पॉन्सरशिप स्कीम से जोड़ने की अनुशंसा


दुमका, 8 अप्रैल (हि.स.)।बाल कल्याण समिति ने पिछले तीन माह के दौरान 150 बालक-बालिकाओं को मिशन वात्सल्य योजना के तहत स्पॉन्सरशिप स्कीम से जोड़ने की अनुशंसा स्पॉन्सरशिप एंड फोस्टर केयर अप्रवुल कमिटि (एसएफसीएसी) से की है। इनमें जिला बाल संरक्षण समिति की ओर से प्रस्तुत किये गये 67, चाईल्ड हेल्पलाईन के 59 और सीडब्ल्यूसी की ओर से पारित 24 प्रस्ताव शामिल हैं।

समिति सदस्य डॉ राज कुमार उपाध्याय ने मंगलवार काे बताया कि स्पॉन्सरशिप स्कीम के तहत देखरेख और संरक्षण के जरूरतवाले (सीएनसीपी) बालक-बालिका को तीन वर्ष तक या 18 वर्ष की आयु पूरी होने तक प्रत्येक माह डीबीटी के माध्यम से संयुक्त बैंक खाता में 4000 रुपये दिये जाते हैं। यह राशि बालक-बालिका को पोषण,स्वास्थ्य, शिक्षा के लिए दिये जाते हैं। समिति द्वारा अनुसंशा किये गये स्पॉन्सरशिप आवेदनों को उपायुक्त की अध्यक्षता में गठित एसएफसीएसी की बैठक में रखा जायेगा और वहां से पारित आवेदनों को समिति की ओर से स्पॉन्सरशिप की राशि बालक-बालिका एवं उसके अभिभावक के संयुक्त बैंक खाता में भगुतान करने का आदेश पारित किया जायेगा।

उन्होंने बताया कि कोरोना काल में पिता की मृत्यु होने पर 19 बालक-बालिकाओं को इस योजना से जोड़ा गया था। 2020 से 2024 तक 132 बालक-बालिका को स्पॉन्सरशिप स्कीम से जोड़कर योजना का लाभ दिया जा रहा था जिसमें से लगभग 50 बालक-बालिका 18 वर्ष की आयु पूरी होने या तीन वर्ष की अवधि पूरी होने के कारण इस योजना के तहत रिस्टोर किये जा चुके हैं। शेष 82 बालक-बालिका को मार्च 2025 तक स्पान्सरशिप की राशि डीबीटी के माध्यम से उनके संयुक्त बैंक खाते में प्रदान किया गया है। सदस्य डॉ उपाध्याय ने बताया कि दुमका जिले में स्पॉनसरशिप स्कीम प्राप्त करने के अर्हता वाले बालक-बालिकाओं की अच्छी खासी संख्या है पर तमाम जागरूकता कार्यक्रमों के बावजूद योग्य बालक-बालिका के अभिभावक इस योजना की जानकारी नहीं होने के कारण इसके लिए आवेदन नहीं दे पा रहे थे। कुछ समय पूर्व सोसल मीडिया में ‘स्पॉनसरशिप स्कीम’ को मिशन वात्सल्य की योजना के बजाय दूसरे नाम से प्रचारित किया गया और इसके पात्रता और मिलनेवाले लाभों को भी एक ग्रुप से दूसरे ग्रुप में शेयर किया गया। इसमें जो वांछित दस्तावेज बताये गये थे उनमें से कुछ की इस योजना के लाभ के लिए जरूरत नहीं है जैसे जाति प्रमाण पत्र। पर इसका एक अच्छा असर यह हुआ कि इस योजना की अर्हता रखनेवाले बालकों के अभिभावक या तो इसकी जानकारी लेने सीडब्लयूसी,डीसीपीयू,सीएचएल पहुंचे या फिर चाईल्ड हेल्पलाईन नंबर 1098 में इसे रजिस्टर करवाया। यही कारण है कि अचानक से इस स्कीम के तहत प्राप्त आवेदनों की संख्या बढ़ गयी।

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हिन्दुस्थान समाचार / नीरज कुमार

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