जेल से कैदी को फर्जी तरीके से रिहा करने के मामले में वाराणसी के पूर्व जेल अधीक्षक सस्पेंड, जांच में पाए गए दोषी

उमेश सिंह पर आरोप है कि उन्होंने हाथरस के रहने वाले एक विचाराधीन बंदी सुनील कुमार को बिना न्यायालय के वैध आदेश के, फर्जी दस्तावेजों के आधार पर जेल से रिहा कर दिया। मामला तब सामने आया जब यह रिहा कैदी सार्वजनिक रूप से दिखा और मामले की जानकारी मीडिया और टीवी चैनलों में प्रसारित हुई।
इसके बाद पूरे घटनाक्रम की जांच वाराणसी परिक्षेत्र के कारागार पुलिस उपमहानिरीक्षक ने की, जिसमें उमेश सिंह की भूमिका संदिग्ध और लापरवाही पूर्ण पाई गई। जांच के निष्कर्ष के आधार पर कारागार प्रशासन के संयुक्त सचिव ने उन्हें तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया। अब उन्हें कारागार अधीक्षक, मुख्यालय कारागार प्रशासन एवं सुधार सेवाएं, उत्तर प्रदेश से संबद्ध कर दिया गया है। उनके खिलाफ उत्तर प्रदेश सरकारी सेवक (अनुशासन एवं अपील) नियमावली-1999 के तहत अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू की जाएगी।
उमेश सिंह के साथ ही तत्कालीन डिप्टी जेलर मीना कन्नौजिया को भी इस प्रकरण में सस्पेंड कर दिया गया है। मीना कन्नौजिया की बेटी नेहा शाह ने कुछ दिन पहले मीडिया के सामने आकर कहा था कि उसकी मां को उमेश सिंह लगातार मानसिक रूप से प्रताड़ित करते रहे हैं। दिसंबर 2024 में इस बारे में कारागार मुख्यालय में शिकायत की गई थी, लेकिन कार्रवाई नहीं हुई।
नेहा ने आरोपों को गंभीर रूप से उठाते हुए यहां तक मांग कर दी थी कि या तो उमेश सिंह को सस्पेंड किया जाए या फिर उसे इच्छा मृत्यु की अनुमति दी जाए, क्योंकि न्याय न मिलने की स्थिति में वह और उसकी मां दोनों मानसिक रूप से टूट चुकी हैं।