वाराणसी : मां नेपाली भगवती का धाम, यहां पुत्र रत्न की प्राप्ति के लिए कई राज्यों  से आते हैं लोग

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रिपोर्ट-प्रवीण चौबे 

वाराणसी। चौबेपुर के गांव छित्तमपुर में स्थित मां नेपाली भगवती का धाम है। यह वाराणसी जनपद का अनूठा मंदिर है क्योंकि भारत में यह एकमात्र ऐसा मंदिर है, जिसमें की नेपाल की देवी विराजमान है। यहां के लोग इन्हें नेपाली माता के नाम से पूजते हैं। यह 8 एकड़ के विशालकाय प्रांगण  में स्थित है, जो कि एक तालाब व चारों ओर पेड़ पौधों से शोभायमान है। 

वहीं भगवान सिद्धेश्वर नाथ मंदिर, राधा कृष्ण मंदिर ,संतोषी माता मंदिर, बजरंगबली मंदिर, गणपति मंदिर, शंम्मो माता मंदिर भी विराजमान है, जो माता नेपाली भगवती के प्रांगण को सुशोभित करते हैं। 

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मंदिर के महंत डॉ शिव कुमार चौबे का कहना है कि हजारों वर्ष पूर्व उनके पूर्वज पंडित अर्जुन चौबे को एक स्वप्न आया। जिसमें एक देवी आकर यह कहती हैं कि हे ब्राम्हण मुझे चोर नेपाल के राजा के महल से चुरा लाए हैं और मैं तुम्हारे गांव के तालाब में पड़ी हुई हूँ। मुझे यहां से निकालकर स्थापित करो। मैं तुम्हारे कुल सहित गांव क्षेत्र की रक्षा करूंगी फिर सुबह होती है पंडित अर्जुन चौबे अपने सपने को चार मित्रों के साथ साझा करते हैं फिर सभी ने विचार कर तालाब पर जाने का निर्णय किया। वहां पहुंचने पर सभी लोग आश्चर्यचकित हुए क्योंकि वहां का दृश्य ही चकित करने वाला था। 

वह दृश्य था सपने में आई हुई देवी और उनके द्वारा कही हुई बातें कि मैं तुम्हारे गांव के तालाब में हूं और यह कथन सत्य हुआ, क्योंकि एक अलौकिक दिव्य देवी मां की मूर्ति तालाब किनारे पड़ी मिली। सभी ने आकर गांव के लोगों को स्वप्न की और आपबीती घटना के बारे में जानकारी दी। जिसके बाद आसपास के गांव की तमाम भीड़ इकट्ठा हो गई धीरे धीरे पूरे जनपद में इसकी चर्चा फैल गई। 

उसके बाद गांव के लोग और मुखिया ने निर्णय लिया कि माता को इसी तालाब के किनारे स्थापित किया जाए। उसके बाद माता का मंदिर बना कर उसमें मां को विराजमान किया गया और भव्य भंडारे का आयोजन किया गया। उसी दिन से मां माता के कथनों अनुसार मां भगवती को मां नेपाली के रूप में पूजा जाने लगा। मां के आशीर्वाद स्वरुप लोगों ने मन्नत मांगा और वह पूर्ण हुआ। 

महंत डॉ शिव कुमार चौबे का कहना है कि मां नैपाली भगवती के यहां मन्नत मांग कर कोई जाता है तो माता उसकी झोली अवश्य भर देती हैं। यहां की मान्यता है कि जो मां को घंटे की मन्नत मानकर जाता है उसको संतान की प्राप्ति अवश्य होती है मां के दरबार में आने वाला कोई भी व्यक्ति खाली हाथ नहीं जाता।  

नवरात्रि के महीने में विश्व शांति के लिए यहां यज्ञ और कन्या भोज का आयोजन होता है। चैत्र के महीने में रामनवमी के दिन मां के दरबार में जागरण एवं भजन कीर्तन का आयोजन किया जाता है। जो परंपरा के अनुसार अभी भी चला आ रहा है।

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