सुब्रह्मण्यम भारती के निवास स्थान को राष्ट्रीय स्मारक घोषित किया जाए : प्रो विजयनाथ मिश्र

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वाराणसी। अंतरराष्ट्रीय काशी घाटवाक विश्वविद्यालय की ओर से बुधवार को हनुमान घाट पर तमिल के प्रख्यात कवि सुब्रह्मण्यम भारती की स्मृति को जीवंत करने हेतु हिंदी व तमिल भाषा से जुड़े लोग जुटे और यहां लगी प्रतिमा के माल्यार्पण के उपरांत भारती जी के योगदान की चर्चा भी की गयी।

कार्यक्रम के आरंभ में स्वागत वक्तव्य देते हुए प्रसिद्ध न्यूरो चिकित्सक और घाटवाक विश्वविद्यालय के संस्थापक प्रो विजय नाथ मिश्र ने कहा कि सुब्रह्मण्यम भारती एक प्रख्यात कवि व पत्रकार होने के साथ स्वाधीनता आंदोलन से भी जुड़े थे। वे 1898 से 1902 के बीच हनुमान घाट के जिस भवन में रहे उसे तत्काल राष्ट्रीय स्मारक घोषित किया जाय जिससे हिंदी व तमिल भाषा व संस्कृति के बीच सार्थक संवाद कायम किया जा सके।

उनकी इस मांग को सभी लोगों ने करतल ध्वनि से स्वागत किया और तय हुआ कि इस आशय का एक प्रस्ताव भारत सरकार को शीघ्र ही प्रेषित किया जाएगा। 

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्रसिद्ध साहित्यकार प्रो. श्रीप्रकाश शुक्ल ने कहा कि राष्ट्रीय आंदोलन में सुब्रह्मण्यम भारती का अप्रतिम योगदान रहा है। वे तमिल भाषी होते हुए भी हिंदी के प्रबल समर्थक रहे और चाहते थे कि राष्ट्रीय भाषा के रूप में हिंदी स्वीकार्य हो। उन्होंने शिक्षा को आधुनिक बनाने के साथ कहा था कि शिक्षा मातृभाषा में होनी चाहिए जो राष्ट्र पुरुषों की जीवनी से जुड़ी होकर स्त्री शिक्षा से भी जुड़नी चाहिए। वे जड़ संस्कारों से लड़ते हुए स्त्री शिक्षा के प्रबल समर्थक रहे। 

इस अवसर पर बोलते हुए तमिल विभाग, बीएचयू के आचार्य डॉ.जगदीशन टी ने कहा भारती जी विश्व प्रसिद्ध कवि होने के साथ ही तमिल भाषा के गौरव थे जो एक समतावादी समाज व उदात्त सांस्कृतिक मूल्य की बात करते थे। उनको याद करना एक सहभागी संस्कृति को याद करना है। वे हमेशा पूरे विश्व को अपना परिवार मानते थे। वे खुद में एक राष्ट्रीय विचार थे। 

सुब्रह्मण्यम भारती की नतिनी जयंती कृष्णन ने भारत की आजादी विषयक मान्यता की चर्चा करते कहा कि वे बच्चों के लिए विद्यालय, कारखानों के लिए मशीन व अखबार के लिए कागज की उपलब्धता पर बहुत जोर देते थे। वे महिला शिक्षा के बड़े पक्षधर रहे।वे क्रांतिकारी परम्परा से जुड़े लेखक थे। 

कार्यक्रम के आरंभ में हनुमान घाट पर स्थित सुब्रह्मण्यम भारती की प्रतिमा का माल्यार्पण किया गया। तत्पश्चात युवा कवि गोलेन्द्र पटेल को पहले 'सुब्रह्मण्यम भारती युवा कविता सम्मान 2021' से सम्मानित किया गया, जिसमें इन्हें प्रशस्ति पत्र,सम्मान राशि व अंगवस्त्रम भेंट किया गया। 

उनकी कविताओं पर वक्तव्य देते हुए बीएचयू के हिंदी विभाग में सहायक आचार्य और युवा आलोचक डॉ विंध्याचल यादव ने कहा कि गोलेन्द्र  हिंदी कविता में एक  विस्फोट की तरह हैं।वे किसानी व श्रमिक चेतना के कवि हैं। उनकी परंपरा में किसान परंपरा दिखाई देती है जहां लोक के प्रति गहरी संसक्ति है। उन्होंने अपनी भाषा अर्जित की है, यह सुखद है।

इस अवसर पर गोलेन्द्र ने 'मल्लू मल्लाह' व 'होनी का होना' नामक कविताओं का पाठ किया। कार्यक्रम के अंत में संगीत की प्रस्तुति भी हुई जिसमें बीएचयू के कृष्ण कुमार तिवारी ने गणेश वंदना के साथ सुब्रह्मण्यम भारती के जीवन पर आधारित गीत की प्रस्तुति की। तबले पर काशी विद्यापीठ के सुमंत चौधरी ने संगत दी। कार्यक्रम का संचालन शोध छात्र उदय पाल ने किया। धन्यवाद लोक कलाकार अष्टभुजा मिश्र ने किया। इस अवसर पर अंकित, कविता गोंड, शिव विश्वकर्मा, आस्था वर्मा, जूही त्रिपाठी और कई घाटवाकर उपस्थित थे।

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