कला शिक्षा में क्रिएटिव वर्क के लिए कौशलेश कुमार को मिला इनोवेटिव आर्ट टीचर ऑफ द ईयर अवार्ड

अवार्ड

वाराणसी। कला शिक्षा में विशेष नवाचार व रचनात्मक कार्यों के लिए केंद्रीय विद्यालय, काशी हिंदू परिसर, वाराणसी के कला शिक्षक व राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त चित्रकार कौशलेश कुमार को  30 अक्टूबर को वर्चुअल रूप से काइट्स क्राफ्ट प्रोडक्शन प्राइवेट लिमिटेड द्वारा आयोजित एजुकेशन आइकन अवार्ड 2021 में प्रदान किया गया। यह पुरस्कार डाक से मंगलवार को विद्यालय में प्राप्त हुआ। जिसे प्रसिंपल डॉ दिवाकर सिंह ने दिया।

इस उपलब्धि के लिए प्राचार्य ने बधाई देते हुए कहा कि यह पुरस्कार एक नए नवाचार के लिए प्रेरित करता है व आश्वस्त हैं कि छात्रों को नित नए कलात्मक प्रयोग कराने की इच्छा शक्ति और प्रविष्ट होगी। इस अवसर पर विद्यालय परिवार ने कौशलेश कुमार को बधाई दिया है।

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यह पुरस्कार लगातार तीन सालों से दिया जा रहा है, शिक्षा के क्षेत्र में व्यक्ति व संगठन को पेशेवर योगदान और अकादमीक उपलब्धि हेतु प्रदान किया जाता है। जिसमें इस वर्ष वर्चुअल रूप से कौशलेश कुमार के साथ पूरे देश भर से 225 शिक्षाविदों को उनके विशेष योगदान के लिए प्रदान किया गया है। इस पुरस्कार में प्रमाण पत्र व बहुत आकर्षक स्मृति चिन्ह (ट्रॉफी) प्रदान किया गया है।

इनकी विशेष उपलब्धियों में पूर्वांचल रत्न अलंकरण सम्मान 2020, पूर्वांचल क्षेत्र में चित्रकला के प्रोत्साहन के लिए भोजपुरी-द सोल ऑफ़ मिलियंस द्वारा सम्मान, जनवरी 2020 नई दिल्ली में आयोजित प्रधानमंत्री का कार्यक्रम, परीक्षा पे चर्चा-2020 है। जिसमें इस कार्यक्रम की संपूर्ण कला दीर्घा व्यवस्थित करने की जिम्मेदारी केंद्रीय विद्यालय संगठन (मुख्यालय) व शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार ने दी। 

साल 2018 में शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार ने नई दिल्ली में आयोजित राष्ट्रीय संगीत कला संगम-2018 में , इन्हें इनकी कलाकृति "हार्ड टू हार्डवेयर" के लिए क्रिएटिव कैटेगरी में राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है। मूल रूप से आरा (बिहार) के रहने वाले चित्रकार कौशलेश कुमार ने अपनी कला शिक्षा दृश्य कला संकाय, काशी हिंदू विश्वविद्यालय वाराणसी व कला व शिल्प महाविद्यालय, लखनऊ विश्वविद्यालय, पूरा से किया है। 

कौशलेश शुरुआत से ही बहुत सक्रिय कलाकार रहे हैं। देश की अनेक प्रतिष्ठित कला प्रदर्शनी व कार्यशाला में उन्होंने सराहनीय भागीदारी निभाई है। इसके लिए इनको अनेक पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है और इनके चित्रों की प्रदर्शनी देश के प्रतिष्ठित कला दीर्घाओं में आयोजित हो चुकी है।

यह ललित कला के साथ समाज सेवा में भी बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते रहे हैं। इनकी खासियत यह है कि वाराणसी शहर के साथ ही बाहर की सांस्कृतिक गतिविधियों में वे सक्रिय भागीदारी निभाते रहे हैं।

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