काशी विकास समिति ने की पौराणिक अक्षय वट को पुन: प्रत्यारोपित करने की मांग

काशी विकास समिति ने की पौराणिक अक्षय वट को पुन: प्रत्यारोपित करने की मांग

वाराणसी। श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर परिसर में स्थित पौराणिक महत्व के विशाल वृक्ष अक्षय वट बुधवार को अचानक गि‍र गया। पौराणिक अक्षय वट को अब पुनः प्रत्यारोपित करने की मांग की जा रही है। काशी विकास समिति ने ऑनलाइन एक बैठक कर श्रीविश्वनाथ मंदिर के कार्यपालक अधिकारी को इसके लिए सुझाव भी दिया है। 

काशी विकास समिति ने बताया कि अक्षयवट वृक्ष पूरे भारत वर्ष में तीन जगह पर विराजमान है। काशी, गया और प्रयाग। पौराणिक काल से गया में वृक्ष के नीचे पिंडदान करने का, प्रयागराज में सिर मुंडन कराने और काशी में इसी वृक्ष के नीचे डंडी स्वामी को भोजन कराने का महात्म्य है।

तीनो स्थानों पर हनुमान जी तीन स्वरूप में विराजमान है। गया में बैठा हुआ, प्रयागराज किले के अंदर लेटा हुआ और काशी में खड़े हनुमान जी का विग्रह है। गया में वटवृक्ष के नीचे पिंडदान, प्रयागराज में वटवृक्ष के नीचे सर मुंडाने और काशी में वटवृक्ष के नीचे दंडी स्वामी को भोजन कराने का अपना महत्व रहा है। 

इस विषय में काशी विकास समिति ने एक ऑनलाइन आपात बैठक आहूत की, जिसमें ट्रस्टी मनीष ख़त्री द्वारा दिए गए सुझाव पर एवं पौराणिक अक्षय वट के पुन: प्रयारोपण के सम्बन्ध में गहन परिचर्चा की और यह निष्कर्ष पाया कि भारत के अत्याधुनिक कृषि विज्ञान में यह शक्ति है कि वो इसे पुन: उसी स्थान पर स्थापित कर सकती है। 

इसके लिए समिति के संदीप पंड्या ने कुछ कृषि विशेषज्ञों से भी सलाह ली गयी और उन्हें सकारात्मक उत्तर प्राप्त हुआ। काशी विकास समिति के चंद्रशेखर कपूर ने तत्काल इसकी जानकारी काशी विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट के कार्यपालक अधिकारी एवं आयुक्त को दी, जिन्होंने इस सुझाव को कार्यान्वित करने का आश्वासन दिया है।

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