हवन पूजन से सम्पूर्ण वातावरण शुद्ध और औषधियुक्त हो जाता है- कुलपति प्रो हरेराम त्रिपाठी

हवन पूजन से सम्पूर्ण वातावरण शुद्ध और औषधियुक्त हो जाता है- कुलपति प्रो हरेराम त्रिपाठी

वाराणसी। सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर हरेराम त्रिपाठी ने गुरुवार को विश्व बन्धुत्व, संस्कृत कल्याण, विश्वविद्यालय परिवार के उत्थान के लिए 7 अक्टूबर से चल रहे नवरात्रि पर्व के महानवमी तिथि को षोडशोपचार विधि से माँ सिद्धिदात्री देवी का हवन-पूजन विधि पूर्वक किया।

कुलपति प्रो त्रिपाठी ने बताया कि उक्त हवन पूजन में प्रकृति का आपसी समन्वय स्थापित रहता है, जो कि आध्यात्मिक दृष्टि के साथ साथ प्रकृति को इससे जोड़कर भारतीय संस्कृति को स्थापित करता है।

हवन पूजन में प्रकृति के साथ अध्यात्म का समन्वय-जिसमें आम की लकड़ी, गूलर की छाल और पत्ती, पीपल की छाल और तना, बेर, आम की पत्ती और तना, चंदन की लकड़ी, बेल, नीम, पलाश का पौधा, कलीगंज, देवदार की जड़, तिल, जामुन की कोमल पत्ती, अश्वगंधा की जड़, कपूर, लौंग, बहेड़ा का फल और हर्रे तथा घी, शकर, जौ, चावल, ब्राम्ही, मुलैठी की जड़, तिल, गुगल, लोभान, इलायची एवं अन्य वनस्पतियों का बूरा उपयोगी होता है। हवन के लिए गाय के गोबर से बने छोटे-छोटे उपले घी में डुबोकर डाले जाते हैं।

कुलपति प्रो त्रिपाठी ने बताया कि हवन पूजन से प्रकृति में हो रहे बदलाव पर नियन्त्रण प्राप्त होता है,वातावरण औषधियुक्त होकर शुद्ध हो जाता है।

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