BHU के पूर्व छात्र यतीन्द्र पति पाण्डेय को राज्य युवा पुरस्कार से किया जाएगा सम्मानित
वाराणसी। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र नेता रहे यतींद्र पति पांडेय को अपने अनूठे व उत्कृष्ट सामाजिक कार्यों के लिए राज्य युवा पुरस्कार स्वामी विवेकानंद यूथ अवार्ड से सम्मानित किया जाएगा। इस पुरस्कार के लिए प्रदेश से कुल 10 युवाओं का चयनित किया गया है। सबको मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आगामी जनवरी महीने में सम्मानित करेंगे।
बता दें कि यतीन्द्र पति पाण्डेय बीएचयू से बीए व हिंदी पत्रकारिता से एमए किया है। साथ ही बीएचयू के पूर्व छात्र नेता रह चुके है वह मूलरूप से मऊ जनपद के निवासी हैं।

कोरोना की पहली लहर में यतीन्द्र ने प्रवासी श्रमिकों व गरीबों के लिये भोजन वितरण का कार्य किया वहीं दूसरी कालरूपी महामारी में भी मजबूत हौसले से मऊ के अस्पतालों के चक्कर लगाते रहते थे। अस्पताल में कमी दिखने पर तत्काल उसे ठीक करवाते थे। गंभीर कोविड मरीजों के लिये ऑक्सीजन सिलेंडर भी उपलब्ध कराया। यतीन्द्र पांडे ठंड में अमीरों से कम्बल दान लेकर गरीबों में बांटा करते हैं।

वहीं जानवरों के भोजन के लिये कई स्थानों पर रोटी बैंक की स्थापना भी की। यतीन्द्र प्रदेश के विकास लिये हमेशा अग्रसर रहते हैं। वाराणसी में रहने के दौरान ये सामाजिक कार्यों में विशेष रुचि रखते थे। बीएचयू अस्पताल में आये बहुत से गरीब मरीजों की इन्होंने बहुत मदद की। बीएचयू में पढाई के दौरान दिव्यांग छात्रों की मदद करते रहे।

वाराणसी में फिल्म सिटी बनाने के लिये यतीन्द्र ने मुख्यमंत्री को पत्र भी लिखा है, जिस पर विचार चल रहा है। यतीन्द्र अपने जनपद मऊ में भी सामाजिक कार्य करते रहते हैं। यतीन्द्र का सबसे उत्कृष्ट कार्य वाराणसी में सड़क पर तख्ती लेकर भीख माँग रही अस्सी वर्षीय दलित वृद्ध महिला से भीख मांगने का कारण पूछा तो उसने बताया कि इकलौता बेटा है पेशे से ड्राइवर था फल लेकर काठमांडू जा रहा था, रास्ते में ही सड़क दुर्घटना के झूठे मामले में मेरे बेटे को नेपाल पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। वह 3 वर्ष से वहां की जेल में बंद है।
यतीन्द्र तत्काल दिल्ली गए और नेपाल की जेल में बंद महेंद्र को राजनयिक मदद दिलाई। बाद में यतीन्द्र बुजर्ग मां को लेकर भारतीय दूतावास काठमांडू चले गए। वहां के अधिकारियों से बात की लेकिन लेकिन वहां रिहाई के लिये बात नहीं बनी। महेन्द्र की रिहाई के लिये नेपाल के कानून अनुसार हर्जाना 5 लाख रुपए देना था और भारत सरकार व्यक्तिगत रूप से आर्थिक मदद नहीं कर सकती।
फिर यतींद्र ने नेपाल के कानून व विदेश मंत्रालय में भी गए और सांसद नारद मुनि राना से मदद मांगी। नेपाली सांसद ने मदद का भरोसा दिया । यतीन्द्र वापस भारत आये और वाराणसी के डीएम से मिले लेकिन बात वहां भी नहीं बन पाई। फिर यतीन्द्र मित्रों के सहयोग से बुजुर्ग मां के बेटे की रिहाई के लिये आर्थिक मदद का अभियान चलाया और आधे हर्जाने की रकम जमा कर ली फिर नेपाली सांसद नारद मुनि राना के माध्यम से नेपाल के चौधरी फाउंडेशन द्वारा आधी रकम अदा करने की स्वीकृति दे दी गयी।
यतींद्र बुजुर्ग दलित मां को लेकर नेपाल निकल गए और तीन दिन की न्यायिक प्रक्रिया के बाद महेंद्र रिहा हो गया। मां और बेटे का मिलन हो गया। वापस आने पर आजमगढ़ , मऊ व वाराणसी के जिलों के लोगों ने भव्यता से उनका स्वागत किया और यतीन्द्र की कुशल रणनीति और नेतृत्व शैली की सराहना भी की गई। यतीन्द्र रामा विश्वविद्यालय कानपुर से पीएचडी कर रहे हैं ।
इनके पिता डॉ प्रवीण पति पाण्डेय चिकित्सक हैं व माता रीता त्रिपाठी जूनियर हाई स्कूल मऊ में प्रधानाध्यापिका हैं और बड़े भाई डॉ फणीन्द्र पति पाण्डेय बीएचयू में वैज्ञानिक हैं।
इस अवार्ड के लिये चयनिय होने पर मऊ के जिला युवा कल्याण अधिकारी कृष्ण मोहन पाठक , यतीन्द्र के शोध निर्देशक डॉ प्रणय सिंह , विभागाध्यक्ष डॉ आदित्य मिश्र बीएचयू के प्रो ज्ञान प्रकाश मिश्र , प्रो० श्रद्धा सिंह और आईआईटी बीएचयू के प्रो प्रदीप कुमार मिश्र ने उन्हें शुभकामनाएं दीं।

