निरोग काया और सुख-समृद्धि की कामना के साथ 24 कुण्डीय महायज्ञ संपन्न, गायत्री साधकों ने जाना भारतीय संस्कृति और परंपराओं का महत्व
वाराणसी। गायत्री तीर्थ शांतिकुंज हरिद्वार के स्वर्ण जयंती वर्ष पर यज्ञ एवं सद्ग्रन्थों के महत्व से परिचय कराने के उद्देश्य से बनारस इंस्टीट्यूट ऑफ टीचर्स एजुकेशन कालेज, बाबतपुर वाराणसी में युग सृजेता गायत्री शक्तिपीठ,दानुपुर के संयोजन में 24 कुण्डीय गायत्री महायज्ञ व संगीतमय प्रवचन कोरोना संक्रमण के रोकथाम के लिए दिये गये निर्देशों के अनुक्रम में तीसरे दिन ही कार्यक्रम का समापन कर दिया गया।

कार्यक्रम में बाबतपुर स्थित अन्य महाविद्यालय के छात्र छात्राओं संग बनारस इंस्टीट्यूट ऑफ टीचर्स एजुकेशन कालेज के छात्र छात्राओं एवं क्षेत्रीय लोगों ने भाग लिया। गायत्री तीर्थ शांतिकुंज हरिद्वार से आये मनीषी सुखदेव शर्मा ने छात्र छात्राओं संग उपस्थित गायत्री साधकों को सम्बोधित करते हुए कहा कि कोरोना संक्रमण आज वैश्विक समस्या बन गया है जिसका मुख्य कारण हमारे जीवन शैली में बदलाव होना है। हम जैसे जैसे योग, प्राणायाम, यज्ञ, भारतीय एवं ऋषि परंपराओं से दूर होते गये एवम भारतीय व्यंजन के स्थान पर पश्चात्यवादी संस्कृति, भोग विलास,फास्ट फूड एवं मांसाहार को अपनाते हुए अपने जीवन में महत्वपूर्ण स्थान देते गए इसी कारण छोटा से छोटा वायरस भी हमारे जीवन के समक्ष संकट पैदा कर दे रहा है।

उन्होंने आगे कहा कि कोरोना जैसे वायरस से न तो डरना है न ही घबड़ाना है बस सतर्क रहना है ।मास्क धारण करें, अपरिचितों से दो गज की दूरी बनाये, भीड़भाड़ से बचें,योग एवं प्राणायाम को जीवन में महत्वपूर्ण स्थान दें एवं दैनिक औषधियुक्त आहुतियां यज्ञ में समर्पित करें। आपका परिवार व आपके पड़ोसी स्वास्थ एवं निरोगी रहेगें।

उन्होंने आगे कहा कि प्राचीनकाल में ऋषि- महर्षि जटिल से जटिल रोगों का इलाज यज्ञ में डाले जाने वाली औषधीय अग्निहोत से करते थे। आचार्य श्री सुखदेव शर्मा जी ने वैदिक मंत्रोच्चार कर षट्कर्म को पूर्ण कराने के उपरांत सुर्य देव का आवाहन कर 24 कुंडों में अग्नि स्थापना कराया। आचार्य सुखदेव जी ने कई पालियों में सबके लिये सद्बुद्धि सबके लिये उज्ज्वल भविष्य तथा सबके लिये निरोग काया एवं दीर्घायु जीवन की कामना से गायत्री महामंत्र, महामृत्युंजय महामंत्र, महाकाल मंत्र, गायत्री सरस्वती महामंत्र एवं गायत्री सूर्य महामंत्र से अग्निहोत्र कराया।
मनीषी आचार्य सुखदेव ने कहा कि सदग्रंथ एवं पुस्तकें मनुष्य के निराशापूर्ण जीवन में आशा की किरण को फैलते हैं।आपके जीवन की समस्याओं का समाधान सदग्रंथ ही करते हैं क्योंकि सदग्रंथ ज्ञान का भंडार होते हैं।
छात्र छात्राओं ने यज्ञ में आने वाली समस्याओं के बारे में पूछे जाने पर कार्यक्रम संचालक आध्यात्मिक संदेशवाहक व जिला समन्वयक, युवा प्रकोष्ठ वाराणसी अनिलेश तिवारी ने कहा कि गायत्री यज्ञ के लिये किसी पुरोहित की आवश्यकता नही है। अगर आपको वैदिक मंत्रोच्चार नही आता है तो आप गायत्री मंत्र बोल कर षट्कर्म करें। गायत्री मंत्र बोलते हुए सर्वदेव आवाह्नन करें। गायत्री महामंत्र बोलते हुए आहुतियां अग्निहोत करें।
कोरोना से बचाव के लिए नीम की सूखी पत्तियों, गिलोय की सूखी पत्तियों, गिलोय की सूखी डंडी,या गिलोय का चूर्ण दालचीनी, तेजपत्ता,गुगुल, कपूर आदि हवन सामग्री में मिलाकर 24 बार गायत्री महामंत्र से, 3 बार महामृत्युंजय महामंत्र से आहुतियां अग्निहोत करें और अंत में गायत्री मंत्र बालते हुए देव विदाई कर कलश के जल से सूर्य अर्घ्यदान कर दे । यज्ञ से उठने वाले धुवे से आपके घर के साथ साथ आपके आसपास के घर भी सेनिटाइज हो जायेगा और आपके आसपास का वातावरण भी शुद्ध रहेगा।साथ ही आप सभी पर कोरोना संक्रमण से भी बचाव होगा। यज्ञ प्राचीन काल से ही सेनिटाइजर का प्रमुख स्रोत रहा।
कलश पूजन प्राचार्य डॉक्टर वीरेंद्र पांडेय ने सपत्नीक किया एवं मुख्य यजमान डॉक्टर संजय जायसवाल सपत्नीक रहे। कार्यक्रम का संचालन अनिलेश तिवारी व स्वागत जिला समन्वयक पंडित गंगाधर उपाध्याय ने किया।
अंत में जिला समन्वयक पंडित गंगाधर उपाध्याय ने कोरोना संक्रमण के रोकथाम के लिए दिये गये। प्रशासनिक निर्देशों के तहत कार्यक्रम के समापन की घोषणा किया।
कार्यक्रम में मुख्य रूप से डॉक्टर संजय जायसवाल,डॉक्टर वीरेंद्र पांडेय, डॉक्टर अंगद सिंह, श्री नीलेश पांडेय,मिथलेश पांडेय,पंडित गंगाधर उपाध्याय,श्री रजनीश मल्होत्रा, रामाश्रय सिंह, हरीदास मौर्या, अवधेश मौर्या, श्रीनाथ मौर्या, महेश मौर्या अवधेश सिंह,घनश्याम राम, जनार्दन पांडेय,श्यामानंद सिंह,ज्योति गुप्ता,मनीषा दीक्षित,श्रीमती सावित्री सिंह, संगीता सिंह,शांति सिंह, अनिला बरनवाल, रेणु प्रजापति,कुमारी करिश्मा, कोमल तिवारी, अंजली दुबे, गीतांजलि, आँचल सिंह, मीनाक्षी, सरिता मौर्या, प्रियंका मौर्या सहित सैकड़ों छात्र छात्राएं एवं क्षेत्रीय जन ने चौबीस कुण्डीय गायत्री यज्ञ में भाग लिया।

