संकिसा में मूर्तियां फेंकने के मामले में दोनाें पक्षों में शांति बहाल

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संकिसा में मूर्तियां फेंकने के मामले में दोनाें पक्षों में शांति बहाल


फर्रुखाबाद,18 दिसंबर (हि.स.)। उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद जनपद में तथागत की तपस्थली संकिसा में मूर्तियां फेंकने के मामले को दो दरोगा सहित 6 पुलिस कर्मियों के निलंबन के बाद मामला शांत हाे गया है। पुलिस प्रशासन ने बौद्ध एवं सनातन धर्मियों के बीच बैठक कर शांति बनाए रखने पर सहमत बनवाई है।

कायमगंज के सीओ राजेश कुमार द्विवेदी ने गुरुवार को दोपहर बाद मेरापुर थाने में दोनों पक्षों के साथ स्तूप से मूर्तियां हटाए जाने के विवाद के संबंध में बैठक की। मूर्ति विवाद के संबंध में पूछे जाने पर संकिसा भिक्षु संघ के अध्यक्ष डाॅ धम्मपाल महाथैरो ने बताया कि वह सारनाथ से आई धम्म यात्रा के भिक्षुओं के साथ स्तूप के नीचे पूजन करने के बाद धर्म देशना कर रहे थे। विवाद निपट जाने के बाद घटना की जानकारी हुई। सीओ द्विवेदी ने बताया कि चीवर धारण करने वाले नाबालिग भिक्षुओं को शांति का दूत समझा था, लेकिन उन्होंने जाने अनजाने में गलत हरकत करके अशांति फैलाने का प्रयास किया। जिसका खामियाजा पुलिस के आधा दर्जन कर्मचारियों को निलंबित करना पड़ा है।

उन्होंने कहा कि अब भविष्य में इस प्रकार की कोई घटना नहीं होनी चाहिए। मां बिसारी देवी सेवा समिति के संयोजक अतुल दीक्षित ने बौद्ध समर्थकों पर आरोप लगाया कि यह लोग वारदात करा देते हैं। दिलीप दीक्षित कोटेदार ने आरोप लगाया कि इन लोगों ने समझा बुझाकर भिक्षुओं को स्तूप पर भेजा था। गलत आरोप लगाए जाने पर सीओ श्री द्विवेदी ने नाराजगी जाहिर करते हुए दिलीप दीक्षित को चुप रहने के लिए कहा कि भिक्षु स्थानी नहीं सारनाथ से आने वाली यात्रा के थे।

भाजपा के जिला मंत्री अतुल दीक्षित अपनी भड़ास निकलते हुए कहा कि जब-जब डॉक्टर नवल किशोर धम्म यात्रा में शामिल होते हैं तभी बवाल होते हैं। धम्मालोको बुद्ध विहार सेवा ट्रस्ट के अध्यक्ष कर्मवीर शाक्य ने सफाई दी कि वे और उनके समर्थक सारनाथ से आने वाले भिक्षुओं के लिए भोजन की व्यवस्था कर रहे थे। इसीलिए वह लोग भिक्षुओं के साथ स्तूप पूजन कार्यक्रम में शामिल नहीं हो सके। श्री शाक्य ने दावा किया कि 45 वर्षों से स्तूप के ऊपर नहीं गए हैं। स्तूप के अंदर पूज्य भगवान बुद्ध की अस्थियां रखी है। इसलिए स्तूप वह अपने अनुयाइयों को भी स्तूप पर जाने के लिए रोकते हैं। श्री शाक्य ने कहा की स्तूप पर पंचशील अथवा भगवा झंडा लगाए जाने पर प्रतिबंध है।

इस दाैरान भंते धम्म रत्न, धम्मालोको बुद्ध विहार सेवा ट्रस्ट के उप्र प्रबंधक रघुवीर शाक्य, संजू पांडे आदि लोगों के साथ ही मेरापुर थानाध्यक्ष राजीव कुमार पांडे मौजूद रहे।

संकिसा मुक्ति संघर्ष समिति के संयोजक कर्मवीर शाक्य ने बताया कि अदालत का स्टे होने के कारण प्रति वर्ष बौद्ध स्तूप पर भगवा झंडा नहीं लगना चाहिए और न ही देवी देवताओं की मूर्तियों एवं चित्र स्तूप पर रखने चाहिए। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि यदि भविष्य में इस प्रकार की कोई हरकत की गई तो वह घटना का विरोध कर अनशन करने को मजबूर हो जाएंगे।

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हिन्दुस्थान समाचार / Chandrapal Singh Sengar

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