श्रीमद्भागवत से जीव में भक्ति, ज्ञान एवं वैराग्य के भाव उत्पन्न : आचार्य व्योम त्रिपाठी

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श्रीमद्भागवत से जीव में भक्ति, ज्ञान एवं वैराग्य के भाव उत्पन्न : आचार्य व्योम त्रिपाठी


मुरादाबाद, 17 दिसम्बर (हि.स.)। रामगंगा विहार स्थित सांई गार्डन में श्रीमद्भागवत सप्ताह भक्ति ज्ञान यज्ञ महोत्सव के सातवें दिन बुधवार को कथाव्यास आचार्य व्योम त्रिपाठी ने कहा कि श्रीमद्भागवत कथा के श्रवण से व्यक्ति भव सागर से पार हो जाता है। श्रीमद्भागवत से जीव में भक्ति, ज्ञान एवं वैराग्य के भाव उत्पन्न होते हैं। इसके श्रवण मात्र से व्यक्ति के पाप पुण्य में बदल जाते हैं। विचारों में बदलाव होने पर व्यक्ति के आचरण में भी स्वयं बदलाव हो जाता है।

उन्होंने कहा कि श्रीमद्भागवत कथा की दिव्य महिमा ऐसी है जो मानव जीवन को समस्त सांसारिक बंधनों से मुक्त कर मोक्ष की ओर अग्रसर करती है। यह कथा केवल सुनने मात्र से ही जीव का कल्याण करने वाली है और मनुष्य को ईश्वर से जोड़ने का सशक्त माध्यम है। भागवत कथा जीवन के प्रत्येक पहलू को आध्यात्मिक दृष्टि से समझने की प्रेरणा देती है। उन्होंने कहा कि रामचरितमानस हमें जीवन जीने की कला सिखाती है, जबकि श्रीमद्भागवत हमें मृत्यु को सुंदर और सार्थक बनाने की कला सिखाती है। मृत्यु से भयभीत होने के बजाय यदि मनुष्य भगवान के नाम और कथा का आश्रय ले तो मृत्यु भी मोक्ष का द्वार बन जाती है।

कथावाचक आचार्य व्योम त्रिपाठी ने कहा कि गोपियों ने भगवान श्रीकृष्ण से उन्हें पति रूप में पाने की इच्छा प्रकट की। भगवान श्रीकृष्ण ने गोपियों की इस कामना को पूरी करने का वचन दिया। अपने वचन को पूरा करने के लिए भगवान ने महारास का आयोजन किया। इसके लिए शरद पूर्णिमा की रात को यमुना तट पर गोपियों को मिलने के लिए कहा गया। सभी गोपियां सज-धजकर नियत समय पर यमुना तट पर पहुंच गईं। कृष्ण के बांसुरी की धुन सुनकर सभी गोपियां अपनी सुध-बुध खोकर कृष्ण के पास पहुंच गईं। उन सभी गोपियों के मन में कृष्ण के नजदीक जाने, उनसे प्रेम करने का भाव तो जागा, लेकिन यह पूरी तरह वासना रहित था। इसके बाद भगवान ने रास आरम्भ किया।

माना जाता है कि वृंदावन स्थित निधिवन ही वह स्थान है, जहां श्रीकृष्ण ने महारास रचाया था। यहां भगवान ने एक अद्भुत लीला दिखाई थी, जितनी गोपियां उतने ही श्रीकृष्ण के प्रतिरूप प्रकट हो गए। सभी गोपियों को उनका कृष्ण मिल गया और दिव्य नृत्य व प्रेमानंद शुरू हुआ। रुक्मिणी विवाह का वर्णन करते हुऐ कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने सभी राजाओं को हराकर विदर्भ की राजकुमारी रुक्मिणी को द्वारका में लाकर उनका विधिपूर्वक पाणिग्रहण किया।

इस मौके पर विनोद गुप्ता, मीनू गुप्ता, नलिन गुप्ता, प्राची गुप्ता, डॉ शशि अरोड़ा, अशोक अरोड़ा, निमित जायसवाल,चिराग गुप्ता, चेरी गुप्ता, संगीता गुप्ता, गिरीश गुप्ता, गीता, ज्योति, संगीता, शालिनी, रेखा आदि उपस्थित रहे।

हिन्दुस्थान समाचार / निमित कुमार जायसवाल

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