श्री अन्न की खेती से बदलेगी बुंदेलखंड के किसानों की तकदीर : डीएम

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श्री अन्न की खेती से बदलेगी बुंदेलखंड के किसानों की तकदीर : डीएम


-सरकारी कार्यक्रमों में परोसे जायेगें श्रीअन्न से बने व्यंजन

-श्री अन्न उत्पादक कृषकों को मिलेगी नई पहचान

चित्रकूट,10 दिसम्बर (हि.स.)। उत्तर प्रदेश के चित्रकूट जिले के श्री अन्न अथवा मिलेट्स उत्पादक कृषकों को प्रोत्साहन देने के लिए जिलाधिकारी पुलकित गर्ग ने श्री अन्न उत्पादों को कार्यालय परिसर में स्थित कैंटीन, होटल, रेस्त्रां में मेनू में शामिल किए जाने तथा जिला स्तरीय बैठकों में सूक्ष्म जलपान के रूप में प्रस्तुत किए जाने के निर्देश समस्त कार्यालयाध्यक्ष को दिए हैं।

जिलाधिकारी श्री गर्ग ने बुधवार काे कहा कि चित्रकूट में पहले श्री अन्न जैसे सावां, कोदो, रागी, रामदाना, कुटकी आदि परंपरागत फसलों का उत्पादन बड़े पैमाने में होता रहा है, लेकिन सिंचाई के साधनों में बढ़ोत्तरी तथा अन्य कृषि-जलवायु कारकों से ये विलुप्त होने के कगार पर हैं। जबकि स्वास्थ्य एवं पोषण में श्रीअन्न कई महत्वपूर्ण खनिजों का भण्डार होने के कारण इसकी उपयोगिता अब जनसामान्य तक प्रचलित हो रही है। इस जागरूकता के कारण अब श्रीअन्न व उससे बने उत्पादों की कीमत अधिक है। ऐसे में कृषकों को धान-गेहूँ के स्थान पर इन परंपरागत मिलेट्स की खेती अपनाकर अपनी आर्थिक स्थिति में सुधार कर सकते हैं। वर्ष-2023 को अंतर्राष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष घोषित किए जाने से लोगों में इन फसलों के प्रति जागरूकता बढ़ी है और अब ये अनाज बाजार में दिखाई देने लगे हैं जिनकी कीमत धान्य फसलों की तुलना में अधिक है।

जिले के कुछ प्रगतिशील किसान श्री अन्न की खेती कर रहे हैं लेकिन उनको इसकी वांछित कीमत नहीं मिल पा रही है जबकि महानगरों में श्री अन्न व इनके उत्पाद काफी मंहगे मिलते हैं। डीएम ने कहा कि जिले के किसानों को श्री अन्न का उचित मूल्य मिले, इसके लिए सभी को इन्हें अपने आहार में शामिल करना होगा। ताकि आर्थिक लाभ के साथ ही लोगों का स्वास्थ्य अच्छा हो सके। डीएम ने सभी विभागों के कार्यालयाध्यक्ष को निर्देश दिए गए हैं कि समय-समय पर उनकी आयोजित होने वाली विभागीय बैठकों में बाजार में मिलने वाले उत्पादों के स्थान पर श्री अन्न के उत्पाद जैसे नमकीन, बिस्कुट, कुकीज़, चिप्स आदि सूक्ष्म जलपान के रूप में प्रचलन में लाए जाएं। जिससे श्री अन्न से जुड़े किसानों व खाद्य प्रसंस्करण से जुड़े लोगों को प्रोत्साहित किया जा सके। इसके अलावा जिलाधिकारी ने कहा कि इसी प्रकार कार्यक्रमों में अतिथिगणों को पुष्प गुच्छ, पुष्प दंडिका आदि के स्थान पर जिले का एक जनपद एक उत्पाद अंतर्गत लकड़ी के खिलौनों को दिए जाने का प्रचलन किया जाए। जिससे जिले को एक नई पहचान मिल सके और इन कार्यों में लगे लोगों को आत्मनिर्भर व आर्थिक रूप से सुदृढ़ बनाया जा सके।

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हिन्दुस्थान समाचार / रतन पटेल

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