वंदे मातरम गीत ही नहीं बल्कि भारत की आत्मा है : न्यायमूर्ति मुनीर
राष्ट्रगीत के गायन के साथ सुमंगलम न्यास की ओर से 1971 के युद्ध में भाग लिए सैनिकों का सम्मान भी किया गया
प्रयागराज, 16 दिसंबर (हि.स.)। वंदे मातरम गीत नहीं बल्कि भारत की आत्मा है , जिसने आजादी के आंदोलन में भारतीय योद्धाओं में जोश भरा , प्रेरणा दी , जिसके परिणामस्वरूप हिंदुस्तान आजाद हुआ। उक्त बात जिला पंचायत सभागार में मंगलवार को विजय दिवस के अवसर पर श्री सुमंगलम परिवार की ओर से आयोजित राष्ट्रगीत वंदेमातरम का सामूहिक गायन कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति जे.जे . मुनीर ने कहा।
उन्होंने कहा कि सभी भारतवासियों का दायित्व बनता है कि भारत माता के प्रति समर्पण और भारत के श्रृंगार का गीत गाना अपना कर्तव्य समझें। इस दौरान कवियों ने वीर रस और हर देशवासियों से देश के प्रति कर्तव्य निभाने की ओजपूर्ण कविता सुनाकर सबको भावविभोर कर दिया।
कवि डॉ. विनम्र ने कहा कि जिंदगी अब जंग बनकर हौसला दिखला रही है .... और धुआं धुआं धूल धक्कड़ में शहर डूब जाएंगे , उस वक्त गांव बहुत याद आएंगे आदि कविता सुनाकर उपस्थित जनों को मंत्रमुग्ध कर दिया। इस दौरान श्रीसुमंगलम सेवा न्यास के बच्चों ने सैनिकों के सम्मान में गीत प्रस्तुत किया।
जिला पंचायत सभागार में मंगलवार को विजय दिवस के अवसर पर राष्ट्रगीत वंदेमातरम का सामूहिक गान किया गया। बंकिमचंद्र चटर्जी द्वारा लिखित इस गीत के 150 वर्ष पूरे होने पर यह गायन हुआ। इस अवसर पर 1971 के भारत -पाक युद्ध में शामिल सैनिक पूर्व कर्नल श्याम राज दुबे , डॉ. मुख्तार आलम सिद्दकी और हीरालाल को श्री सुमंगलम परिवार की ओर से सम्मानित किया गया। इसके बाद काव्यपाठ का भी आयोजन हुआ। दीप प्रज्वलन के बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट के चारो न्यायमूर्तियों का सुमंगलम न्यास द्वारा सम्मान किया गया।
इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि के रूप में न्यायमूर्ति मंजू रानी चौहान , न्यायमूर्ति सिद्धार्थ , न्यायमूर्ति सौरभ श्रीवास्तव , अपर महाधिवक्ता महेश चतुर्वेदी , जिला पंचायत अध्यक्ष डॉ. बीके सिंह , वेद दुबे , धर्मेंद्र प्रताप सिंह , राधाकांत ओझा , डॉ. बीबी अग्रवाल , अरविंद श्रीवास्तव , सुजीत सिंह , अधिवक्ता मनोज सिंह , मीडिया प्रभारी पवन श्रीवास्तव , अनिल सिंह , शैलेंद्र श्रीवास्तव , उमाशंकर पाल आदि अधिक संख्या में लोग मौजूद रहे।
विजय दिवस 16 दिसम्बर को मनाया जाता है । इसी तारीख को 1971 में भारत ने पाकिस्तान पर विजय हासिल की और पाकिस्तान के 93 हजार सैनिकों को भारतीय सेना के सामने आत्मसमर्पण करना पड़ा। इसके बाद पूर्वी पाकिस्तान स्वतंत्र हो गया , जो आज बांग्लादेश के नाम से जाना जाता है।
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हिन्दुस्थान समाचार / रामबहादुर पाल

