लोकसभा चुनाव : एक समय मेरठ से चुने गए थे तीन सांसद
मेरठ, 27 मार्च (हि.स.)। मेरठ-हापुड़ लोकसभा सीट पर चुनाव प्रचार रोचक होता जा रहा है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का प्रचार शुरू हो गया है तो 31 मार्च को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मेरठ में चुनावी रैली को संबोधित करेंगे। अभी मेरठ लोकसभा सीट से एक सांसद चुना जाता है, लेकिन एक समय मेरठ सीट से तीन सांसद चुने गए थे।
मेरठ लोकसभा सीट का इतिहास बड़ा ही रोचक है। 1952 में देश में हुए पहले आम चुनावों में मेरठ को तीन लोकसभा क्षेत्रों में बांटा गया था। इसमें मेरठ जिला (पश्चिम), मेरठ जिला (दक्षिण) और मेरठ जिला (उत्तर पूर्व)। इस चुनाव में मेरठ सीट से तीन सांसद चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचे। मेरठ पश्चिम सीट से पहली बार करांग्रेस के खुशीराम शर्मा सांसद चुने गए। उन्होंने निर्दलीय उम्मीदवार हुकुम सिंह को हराया। मेरठ दक्षिण सीट से कांग्रेस उम्मीदवार कृष्णचंद्र शर्मा (त्यागी) ने भारतीय जनसंघ के हरसरन दास को हराकर कराया। मेरठ उत्तर-पूर्व से कांग्रेस के जनरल शाहनवाज खान ने अखिल भारतीय राम राज्य परिषद के सूरज बल स्वामी को हराकर चुनाव जीता।
1957 में हुए दूसरे आम चुनाव में तीनों सीटों को मिलाकर एक कर दिया गया। इस चुनाव में कांग्रेस के जनरल शाहनवाज खान दूसरी बार चुनाव जीतने में कामयाब रहे। उन्होंने भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के बृजराज किशोर को हराया था। तीसरे नंबर पर भारतीय जनसंघ के बलबीर सिंह रहे। 1962 में तीसरे आम चुनाव में भी कांग्रेस की जीत का सिलसिला जारी रहा और जनरल शाहनवाज खान ने जीत की हैट्रिक लगाई। उन्होंने क्रांतिकारी सोशलिस्ट पार्टी के उम्मीदवार महाराज सिंह भारती को हराया। 1967 आते-आते मेरठ लोकसभा सीट का मिजाज बदल गया और पहली बार इस सीट पर कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा। 1962 में शाहनवाज खान से हारने वाले संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के महाराज सिंह भारती ने अपनी हार का बदला ले लिया और उन्होंने शाहनवाज खान को करारी शिकस्त दी। 1971 में हुए चुनाव कांग्रेस के शाहनवाज खान ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (ऑर्गनाइजेशन) के उम्मीदवार हरीकिशन को हराकर चौथी बार सांसद बनने में कामयाबी हासिल की। 1977 में भारतीय लोकदल के कैलाश प्रकाश ने कांग्रेस उम्मीदवार शाहनवाज खान के विजयी रथ को रोक दिया और 124732 वोटों के अंतर से करारी शिकस्त दी। 1980 में मेरठ लोकसभा सीट फिर से कांग्रेस के खाते में चली गई। कांग्रेस उम्मीदवार मोहसिना किदवई ने जनता पार्टी (एस) के उम्मीदवार हरीश पाल को हराकर जीत हासिल की। इसके बाद 1984 में मोहसिना किदवई ने जनता पार्टी की अंबिका सोनी को हराया। 1980 में मोहसिना किदवई से हारने वाले हरीश पाल ने 1989 के लोकसभा चुनाव में मोहसिना किदवई को हरा दिया।
1991 में पहली बार खुला मेरठ में भाजपा का खाता
श्रीराम मंदिर आंदोलन के दौर में हुए लोकसभा चुनाव में 1991 में मेरठ लोकसभा सीट पर भाजपा का खाता पहली बार खुला। भाजपा उम्मीदवार अमरपाल सिंह ने यहां से जीत दर्ज की। इसके बाद 1996 और 1998 में भी अमरपाल ने चुनाव जीतकर जीत की हैट्रिक लगाई। 1999 में हुए मध्यावधि चुनाव में कांग्रेस ने यह सीट भाजपा से छीन ली। कांग्रेस उम्मीदवार अवतार सिंह भड़ाना ने भाजपा उम्मीदवार को हराकर जीत हासिल की। 2004 के चुनाव में बहुजन समाज पार्टी के उम्मीदवार शाहिद अखलाक ने राष्ट्रीय लोकदल के मलूक नागर को हराया।
भाजपा सांसद राजेंद्र अग्रवाल ने लगाई हैट्रिक
2009 में हुए चुनाव में भाजपा के राजेंद्र अग्रवाल ने बसपा के मलूक नागर को हराकर चुनाव जीता। इसके बाद 2014 की मोदी लहर में भाजपा उम्मीदवार राजेंद्र अग्रवाल ने बसपा के शाहिद अखलाक को हराकर दूसरी बार लोकसभा में पहुंचने में कामयाबी पाई। 2019 के चुनाव में नजदीकी मुकाबले में राजेंद्र अग्रवाल ने फिर से बसपा के याकूब कुरैशी को शिकस्त देकर जीत की हैट्रिक लगाई। 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने राजेंद्र अग्रवाल का टिकट काटकर अभिनेता अरुण गोविल को चुनाव मैदान में उतारा है। उनके मुकाबले बसपा के देवव्रत त्यागी और सपा के भानु प्रताप चुनाव मैदान में है।
हिन्दुस्थान समाचार/ डॉ. कुलदीप/मोहित
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