महामना की विरासत का पुनरुद्धार : पुनर्निर्मित छात्रावास और बलरामपुर हॉल का उद्घाटन

WhatsApp Channel Join Now
महामना की विरासत का पुनरुद्धार : पुनर्निर्मित छात्रावास और बलरामपुर हॉल का उद्घाटन


प्रयागराज, 17 दिसंबर (हि.स.)। इलाहाबाद विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. संगीता श्रीवास्तव और कांता मालवीय (दिवंगत न्यायमूर्ति गिरधर मालवीय की धर्मपत्नी) ने बुधवार को पुनर्निर्मित छात्रावास के पुनर्निर्माण स्मारक पत्थर और भव्य बलरामपुर हॉल का अनावरण किया। इस अवसर पर महामना मदन मोहन मालवीय की प्रपौत्री रुचि मालवीय, महामना के परिवार के अन्य सदस्य और विश्वविद्यालय के संकाय सदस्य उपस्थित रहे।

कुलपति प्रो. संगीता श्रीवास्तव ने कहा कि वह चाहती थीं कि छात्रावास का नवीनीकरण न्यायमूर्ति मालवीय के जीवनकाल में ही पूरा हो जाए। उन्होंने याद किया कि न्यायमूर्ति मालवीय अपनी विरासत को लेकर काफी भावुक थे और एक समय विश्वविद्यालय द्वारा इसके अधिग्रहण में हो रही देरी से व्यथित थे, जिसे प्रो. श्रीवास्तव ने कार्यभार संभालने के बाद गति प्रदान की।

कुलपति ने कहा कि छात्रावास में महामना द्वारा निर्धारित शर्तों का पालन जारी रहना चाहिए, जिसके अनुसार परिसर में मांसाहार और मदिरा का सेवन वर्जित रहे। उन्होंने याद दिलाया कि मोतीलाल नेहरू और राजा गायकवाड़ जैसी महान विभूतियों ने इस छात्रावास के निर्माण के लिए दान दिया था। महामना के अपार योगदान के लिए उन्हें मरणोपरांत ’भारत रत्न’ से सम्मानित किया जाना सर्वथा उचित था।

कांता मालवीय ने इस दिन को अपने जीवन का एक यादगार क्षण बताया। उन्होंने कहा कि “महामना का मानना था कि विश्वविद्यालय में छात्रों के विकास के लिए बुनियादी सुविधाएं अनिवार्य हैं। न्यायमूर्ति गिरधर मालवीय ने इसी दृष्टिकोण को आत्मसात करते हुए छात्रावास विश्वविद्यालय को दान कर दिया था। वर्तमान कुलपति प्रो. श्रीवास्तव के नेतृत्व में विश्वविद्यालय अपने पुराने गौरव की बहाली और कायाकल्प की ओर बढ़ रहा है।“

रुचि भार्गव ने कहा कि छात्र यहां गरिमा के साथ रह सकते हैं और जीवन के मूल्यों को सीख सकते हैं। उन्होंने बताया कि न्यायमूर्ति मालवीय ने इस बहुमूल्य विरासत को विश्वविद्यालय को सौंपने का निर्णय इसलिए लिया ताकि यह राष्ट्र निर्माण और शिक्षा का एक सशक्त माध्यम बन सके। महामना को याद करते हुए उन्होंने उल्लेख किया कि उन्होंने ही राष्ट्रवादी आंदोलन को ’सत्यमेव जयते’ का आदर्श वाक्य दिया, जो आज देश का राजकीय प्रतीक है।

इसके पूर्व शुरुआत में महामना और दिवंगत न्यायमूर्ति मालवीय को पुष्पांजलि अर्पित की गई। छात्र कल्याण अधिष्ठाता और कॉलेज विकास परिषद के अधिष्ठाता प्रो. एन. के. शुक्ला ने अपने स्वागत भाषण में कहा कि यह छात्रावास महामना के आदर्शों और मूल्यों का जीवंत प्रमाण है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि कैसे आने वाली पीढ़ियां इस पवित्र परम्परा को आगे बढ़ा रही हैं।

कार्यक्रम का संचालन डॉ. ऋतंभरा मालवीय ने किया। छात्रावास के वार्डन प्रो. राम मनोहर यादव और अधीक्षक डॉ. महेंद्र तिवारी ने जानकारी दी कि छात्रावास के दो ब्लॉकों में कुल 184 कमरे हैं। ए-ब्लॉक के 97 कमरों, डाइनिंग हॉल (मेस) चालू हैं तथा अन्य का पुनर्निर्माण कार्य चल रहा है। जिसका आज पुनर्निर्माण स्मारक पत्थर तथा भव्य बलरामपुर कम्युनिटी हॉल का उद्घाटन किया गया।

---------------

हिन्दुस्थान समाचार / विद्याकांत मिश्र

Share this story