प्रयागराज में विशिष्ट वाल्मीकि रामायण का हुआ लोकार्पण
--अद्भुत कृति की प्रिंटिंग फल एवं वनस्पति रंगो से
--विशिष्ट वाल्मीकि रामायण का क्रय मूल्य एक लाख पैंसठ हजार
प्रयागराज, 05 नवम्बर (हि.स.)। श्रीनिवास फाइन आर्ट्स शिवकाशी, तमिलनाडु द्वारा प्रकाशित वाल्मीकि कृत रामायण के अद्भुत तीन खण्डों में प्रकाशित स्वरूप का लोकार्पण रविवार को प्रोफेसर गया चरण त्रिपाठी ने सिविल लाइंस में किया। इस अद्भुत कृति की प्रिंटिंग फल एवं वनस्पति रंगों से की गई है। विशेष हस्त निर्मित कागज का प्रयोग किया गया है। प्रकाशक का दावा है कि 300 वर्षों तक यह कृति खराब नहीं होगी। इस विशिष्ट वाल्मीकि रामायण का क्रय मूल्य एक लाख पैंसठ हजार है।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि प्रोफेसर गया चरण त्रिपाठी ने कहा कि राम ब्रह्म तत्व हैं। राम ही वह तत्व हैं जो ब्रह्मांड के अणु-अणु में व्याप्त हैं। जिस ब्रह्म तत्व के साक्षात् प्राप्ति के लिए योगी तपस्या करते हैं, वह भी राम ही हैं। “रमन्ते योगिनो यास्मिन स रामः“। राम कथा हेतु ब्रह्मा का आशीर्वाद था कि जब तक समुद्र, नदियां एवं पर्वत पृथ्वी पर रहेंगे तब तक ब्रह्मांड में रामायण की कथा किसी न किसी रूप में प्रचलित रहेगी। इसकी व्यापकता अक्षुण्ण रहेगी। राम के चरित्र को कोई भूलेगा नहीं। वाल्मीकि ने जिन आदर्शों की स्थापना की वे सर्वकालिक और सार्वजनिक हैं। उन्होंने कहा कि इसमें मूल वाल्मीकि रामायण के साथ उसका अंग्रेजी, हिंदी एवं संस्कृत में भावार्थ भी दिया गया है।
स्वस्तिवाचन पंडित किशोर पाठक ने किया। श्रीनिवास फाइन आर्ट्स के प्रतिनिधि शेषाद्री वर्ध राजन ने इस प्रकाशन का परिचय देते हुए बताया कि आध्यात्मिक ग्रन्थों का कलात्मक स्वरूप में विशेष प्रकाशन व्यवसायिक दृष्टि से नहीं किया गया है। कार्यक्रम का संयोजन एवं संचालन डॉ शान्ति चौधरी एवं सौरभ अग्रवाल ने धन्यवाद ज्ञापन किया। कार्यक्रम में डॉ आरसी त्रिपाठी, जस्टिस राजेश अग्रवाल, इलाहाबाद संग्रहालय के डायरेक्टर राजेश प्रसाद, अरुण गुलवाडी, डॉ अनीता गोपेश, टीना अग्रवाल, स्नेह मधुर, संजय ममगईं, पार्षद आनन्द घिल्डियाल, प्रभा भार्गव समेत तमाम लोग उपस्थित रहे।
हिन्दुस्थान समाचार/विद्या कान्त/पदुम नारायण
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