धरोहर से जुड़ना खुद की सार्थकता पाना : डॉ. विंध्याचल यादव

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धरोहर से जुड़ना खुद की सार्थकता पाना : डॉ. विंध्याचल यादव


—अंतरराष्ट्रीय काशी घाटवॉक विश्वविद्यालय की पहल पर महारानी लक्ष्मीबाई की जन्म स्थली पर संगोष्ठी

वाराणसी, 14 दिसम्बर (हि.स.)। उत्तर प्रदेश के वाराणसी में रविवार शाम भदैनी स्थित महारानी लक्ष्मीबाई जन्मस्थली पर अंतरराष्ट्रीय काशी घाटवॉक विश्वविद्यालय के तत्वावधान में 'काशी की विरासत व रानी लक्ष्मीबाई' विषयक संगोष्ठी का आयोजन हुआ। संगोष्ठी में महारानी के स्मृति में दीप जलाने के बाद वीरांगना के शौर्य को नमन किया गया।

तय हुआ कि प्रति वर्ष 14 दिसम्बर को इस जन्मस्थान पर 'लक्ष्मी दीपावली' का आयोजन किया जाएगा। इसके बहाने काशी में विरासत व वर्तमान के बीच एक संवाद स्थापित होगा। कार्यक्रम में लोक कलाकार अष्टभुजा मिश्र ने सुभद्रा कुमार चौहान द्वारा लिखी गई कविता 'खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी' की भावपूर्ण प्रस्तुति दी। समारोह में घाटवाक के संस्थापक बीएचयू के न्यूरो चिकित्सक प्रो. विजयनाथ मिश्र ने आगामी कार्यक्रम और अंतरराष्ट्रीय काशी घाटवॉक विश्वविद्यालय के बारे बताया। कहा कि हमें अपनी धरोहर को पहचानना होगा। इससे हमें काशी की विरासत पर गर्व की अनुभूति होगी।

संगोष्ठी में डॉ. विंध्याचल यादव ने कहा कि धरोहर से जुड़ना खुद की सार्थकता पाना है। वर्तमान से जुड़ कर हम अपने वर्तमान को सुदृढ़ करते हैं। रानी लक्ष्मीबाई में मातृत्व और वीरता का जबरदस्त सामंजस्य देखने को मिलता है।

संगोष्ठी की अध्यक्षता करते ​हुए वरिष्ठ साहित्यकार प्रो.श्रीप्रकाश शुक्ल ने कहा कि घाटवॉक विश्वविद्यालय अपने धरोहर को पहचानने के लिए दृढ़ संकल्पित है। रानी लक्ष्मीबाई को उन्होंने स्वराज के लिए समर्पित वीरांगना के रूप में याद किया और बताया कि वे काशी की ही बेटी हैं, इसमें संशय के लिए कोई जगह नहीं है। वे नारीत्व की आधुनिक प्रस्तोता रही हैं। जिन्होंने जाति व धर्म से परे जाकर झांसी को बचाने का संघर्ष किया। रानी लक्ष्मीबाई का कथन कि मैं अपनी झाँसी नहीं दूँगी–यह केवल एक वाक्य नहीं बल्कि स्वराज के लिए एक आह्वान था।

स्वाधीनता के संग्राम में दलित झलकारीबाई का भी महत्वपूर्ण योगदान रहा। संगोष्ठी में समाजवादी नेता सूबेदार सिंह ने भी विचार प्रकट किया। संचालन सामाजिक कार्यकर्ता रामयश मिश्र ने किया। कार्यक्रम के समापन पर गरीबों में कम्बल भी वितरित किया गया।

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हिन्दुस्थान समाचार / श्रीधर त्रिपाठी

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