दिग्विजयनाथ स्नातकोत्तर महाविद्यालय गोरखपुर में काव्य कृतियों का लोकार्पण
गोरखपुर, 14 दिसम्बर (हि.स.)। संगम सांस्कृतिक, साहित्यिक एवं सामाजिक संस्था तथा दिग्विजय नाथ स्नातकोत्तर महाविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में रविवार को महाविद्यालय सभागार में कवि भीम प्रसाद प्रजापति की काव्य कृतियों ‘अनजाने पथ’ एवं ‘चाँद का बगीचा’ का भव्य लोकार्पण समारोह आयोजित किया गया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्रो. रामदेव शुक्ल ने कहा कि आज के डिजिटल परिवेश में विश्वविद्यालयों में हिंदी विषय के प्रति रुचि में कमी देखी जा रही है। ऐसे समय में भीम प्रसाद प्रजापति की कृतियाँ लोकबोध, संवेदना और समकालीन जीवनानुभवों का सशक्त चित्र प्रस्तुत करती हैं। उन्होंने कहा कि कविता शब्द-संपदा और संवेदना से निर्मित होती है तथा प्रजापति की कविताओं में नवीनता, सामाजिक चेतना और मानवीय सरोकार स्पष्ट रूप से दिखाई देते हैं, जो पाठक को भीतर से जोड़ते हैं।
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता प्रो. रामदरशा राय ने कहा कि कविता मनुष्य को भीतर से समृद्ध करती है और श्री प्रजापति की रचनाओं में जीवन-संघर्ष तथा सामाजिक यथार्थ का प्रभावी चित्रण मिलता है।
सारस्वत अतिथि प्रो. डॉ. अनिल कुमार राय ने कहा कि भाषा और शब्दों की दुनिया में रचना के बिना संसार बेजान हो जाता है। उन्होंने बताया कि श्री प्रजापति की कविताओं में सहजता, लोकबोध, अनुभव और भावों का सुंदर संयोजन दिखाई देता है।
कार्यक्रम का संचालन डॉ. अमिताभ पाण्डेय ने किया। समारोह में संगम संस्था के अध्यक्ष कृष्ण कुमार चंद ‘कौशिक’, प्रजापति की पत्नी मालती देवी, साथ ही विवेक, विकास, करुणानिधि, संजय सिंह, शैलेन्द्र सिंह एवं राज किशोर सिंह सहित अनेक साहित्यप्रेमी, शिक्षक एवं छात्र उपस्थित रहे।
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हिन्दुस्थान समाचार / प्रिंस पाण्डेय

