आईएमए ने डॉक्टरों को किया जागरूक: साइबर सुरक्षा, फेक कॉल और डिजिटल पेमेंट धोखाधड़ी पर वर्कशॉप
कानपुर, 10 दिसंबर (हि.स.)। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) कानपुर शाखा द्वारा चिकित्सकों के लिए एक महत्वपूर्ण वर्कशॉप का आयोजन आईएमए ऑडिटोरियम आईएमए भवन, टेंपल ऑफ सर्विस, में किया गया, जिसमें साइबर सुरक्षा, डिजिटल भुगतान धोखाधड़ी, फेक कॉल, डेटा प्राइवेसी एवं सोशल मीडिया प्रोफेशनलिज़्म जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा की गई।
आईएमए कानपुर के अध्यक्ष डॉ अनुराग मेहरोत्रा ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की एवं आए हुए लोगों का स्वागत करते हुए इस महत्वपूर्ण विषय पर वर्कशॉप को समय की आवश्यकता बताया। साथ ही उन्होंने चिकित्सकों के साथ हुए धोखाधड़ी के मामलों का उल्लेख करते हुए भविष्य में भी ऐसी उपयोगी व जागरूकता आधारित गतिविधियाँ जारी रखने की घोषणा की। कार्यक्रम का संचालन आईएमए कानपुर की सचिव डॉ शालिनी मोहन ने किया। अंत में धन्यवाद ज्ञापन आईएमए कानपुर के वित्त सचिव डॉ विशाल सिंह ने दिया।
विशेषज्ञों ने बताया कि किस प्रकार चिकित्सक्त कई बार ऑनलाइन कंसल्टेशन, डिजिटल पेमेंट, प्रोफेशनल डेटा एवं पहचान का उपयोग करके होने वाले साइबर अपराधों का शिकार हो सकते हैं तथा इससे बचाव के लिए सावधानियाँ और व्यावहारिक उपाय क्या हैं। वास्तविक मामलों के माध्यम से प्रतिभागियों को साइबर अपराध के आधुनिक तरीकों से अवगत कराया गया तथा उनके समाधान की रणनीतियों पर विस्तार से चर्चा की गई। उन्होंने ये भी बताया कि पिछले कुछ वर्षों में साइबर अपराधों में अत्यधिक वृद्धि हुई है। विभिन्न रिपोर्टों के अनुसार डिजिटल फ्रॉड व ऑनलाइन ठगी के मामले करीब 70 प्रतिशत तक बढ़े हैं, जिनमें प्रोफेशनल व चिकित्सक वर्ग तेजी से निशाना बन रहे हैं। अपराधी तकनीक के साथ-साथ भ्रम, घबराहट, भरोसा व लालच जैसे मनोवैज्ञानिक तत्वों का उपयोग कर लोगों को जाल में फंसाते हैं।
विशेषज्ञों ने चेताते हुए कहा कि आपका खाता बंद हो जाएगा, केवाईसी अपडेट कराइए, आपके खिलाफ शिकायत दर्ज है, आपके नाम से पार्सल पकड़ा गया है जैसे संदेश और कॉल वास्तव में सोच पर नियंत्रण कर तुरंत प्रतिक्रिया करवाने के लिए बनाए गए साइबर जाल होते हैं। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि सिर्फ इंटरनेट का उपयोग पर्याप्त नहीं, बल्कि सुरक्षित डिजिटल व्यवहार, संदिग्ध लिंक/कॉल से सावधानी, डेटा गोपनीयता और सही समय पर उचित निर्णय लेना ही असली साइबर सुरक्षा है।
उपस्थित वक्ताओं ने बताया कि डिजिटल युग में चिकित्सक कई बार ऑनलाइन कंसल्टेशन, डिजिटल भुगतान, व्हाट्सऐप/सोशल मीडिया पर बातचीत, प्रोफेशनल पहचान एवं डाटा के उपयोग के कारण साइबर अपराधों के निशाने पर आ जाते हैं। फेक काल, फिशिंग लिंक, ओटीपी ट्रैप, स्क्रीन शेयरिंग ऐप्स, नकली भुगतान और पहचान चोरी जैसी घटनाओं से बचने के लिए सावधान रहना आवश्यक है।
वर्कशॉप में वास्तविक मामलों के माध्यम से साइबर अपराध के बदलते तरीकों की जानकारी दी गई तथा उनसे बचाव के व्यावहारिक उपाय समझाए गए। वक्ताओं ने यह भी बताया कि समय रहते जागरूकता, सत्यापन, डिजिटल सतर्कता और डेटा सुरक्षा की आदत ही सबसे प्रभावी सुरक्षा है।
हिन्दुस्थान समाचार / रोहित कश्यप

