योगीजी! जिस अफसर को दंड देना चाहिए उसे मिला प्रमोशन

योगीजी! जिस अफसर को दंड देना चाहिए उसे मिला प्रमोशन
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योगीजी! जिस अफसर को दंड देना चाहिए उसे मिला प्रमोशन


- अपर आयुक्त राज्य कर ने कराई है 14 सौ करोड़ रुपये की राजस्व क्षति

- काले कारनामों के कच्चे चिट्ठे की निष्पक्षता से हो जांच तो खुलेगी पोल

लखनऊ, 07 फरवरी (हि.स.)। एक तरफ योगी सरकार भ्रष्टाचार मुक्त उत्तर प्रदेश बनाने के तरफ बढ़ चुकी है तो दूसरी तरफ उच्च पदों पर बैठे कुछ भ्रष्ट अधिकारी भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रहे हैं।

राज्य कर विभाग को 1400 करोड़ रुपये राजस्व क्षति कराने वाले जिस अधिकारी के विरूद्ध कार्रवाई करनी चाहिए, उसे प्रमोशन मिल गई। आश्चर्य है कि जीरो टालरेंस नीति पर चलने वाली योगी सरकार में शासन स्तर पर जांच के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई। आरोप है कि उक्त अधिकारी ने करोड़ों रुपये का राजस्व जो सरकार को जाना चाहिए था, उससे वह अपनी जेब गर्म की। जिन अफसरों के संरक्षण में ऐसा हो रहा है, उनका बाल भी बांका नहीं हो पा रहा है। राज्य कर विभाग में एक ऐसे ही अधिकारी हैं संजय कुमार पाठक।

जहां सजा मिलनी चाहिए, इन्हें प्रमोशन दे दिया गया। श्री पाठक को हाल ही में कानपुर में अपर आयुक्त ग्रेड-2 (वि.अनु.शा.) राज्य कर कानपुर जोन प्रथम कानुपर पद पर पदस्थ किया गया है। अभी तक वे अपर आयुक्त ग्रेड-2 राज्य कर मुख्यालय लखनऊ में तैनात थे। इनकी हनक इतनी है कि शासन में बैठे अधिकारियों ने कार्रवाई के बजाय उक्त अधिकारी को कमाऊ कहलाए जाने वाले पद पर बैठा दिया है।

हिन्दुस्थान समाचार को मिले साक्ष्य के अनुसार इन्होंने लखनऊ में पोस्टिंग के दौरान कर विभाग को करोड़ों रुपये राजस्व की क्षति पहुंचाई है। इनसे जुड़े ऐसे कई मामले पिछले कई सालों से दबे हैं। इनके ऊपर कार्रवाई के बजाय पिछले दरवाजे से इन्हें प्रमोशन भी दे दिया है।

सूत्रों की मानें तो इस भ्रष्ट अधिकारी की धमक इतनी है कि पैसे के बल पर खुद को आरोप मुक्त करा लिया। शासन स्तर पर कार्रवाई न कर उल्टा उसे संरक्षित एवं महत्वपूर्ण पद पर तैनाती दे दी गई। धमक के कारण उक्त अधिकारी के खिलाफ कभी भी इंवेस्टीगेशन नहीं की जाती। कुछ समय के लिए पदमुक्ति कर आगे उससे भी उच्च पद सौंप दिया जाता है।

राज्य कर विभाग से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि अत्यंत गंभीर मामले में भ्रष्ट अधिकारी के विरूद्ध कार्रवाई न होना हैरान करने वाला है। भ्रष्ट अधिकारी को दोषमुक्त करना सही नहीं है। ऐसे अधिकारी के विरूद्ध कठोर कार्रवाई की जानी चाहिए। उक्त अधिकारी के तमाम काले कारनामों के कच्चे चिट्ठे हैं। यदि गहराई से निष्पक्षता के साथ उसकी जांच हुई तो मामला खुद-ब-खुद सामने आ जाएगा।

हिन्दुस्थान समाचार/कमलेश्वर शरण/राजेश

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