मनोकामना की पूर्ति या अनिष्ट टालने के लिए होता है यज्ञ : सतीश राय
--हवन से वातावरण शुद्ध एवं यज्ञ चिकित्सा के भी कई लाभ
प्रयागराज, 15 अप्रैल (हि.स.)। हिन्दू धर्म में हवन की परम्परा वैदिक काल से है। यज्ञ या हवन ऐसी धार्मिक क्रिया है जो किसी मनोकामना की पूर्ति या अनिष्ट को टालने के लिए किया जाता है। हवन यज्ञ का छोटा रूप है। यज्ञ किसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए किया जाता है। इसमें देवी-देवता, वेदमन्त्र, आहुति और दक्षिणा अनिवार्य होता है। यज्ञ मनुष्य तथा देवता के बीच सम्बंध स्थापित करने का एक माध्यम है।
यह बातें एसकेआर योग एवं रेकी शोध प्रशिक्षण और प्राकृतिक संस्थान रेकी सेंटर पर जाने-माने स्पर्श चिकित्सक सतीश राय ने यज्ञ चिकित्सा से होने वाले फायदे के बारे में बताते हुए कही। उन्होंने कहा वैदिक काल में हमारे ऋषि मुनियों को स्वस्थ रहने की बहुत सी उपचार पद्धतियां पता थी। उनमें से एक यज्ञ चिकित्सा भी थी। इसका उल्लेख हमारे अति प्राचीन ग्रंथ ऋग्वेद एवं अथर्ववेद में मिलता है। प्राचीन काल में विभिन्न उद्देश्य प्राप्ति के लिए भिन्न भिन्न प्रकार के यज्ञ होते थे। चिकित्सकीय लाभ पाने के लिए जो यज्ञ होता था उसे यज्ञ चिकित्सा या यज्ञोपैथी कहते हैं।
-हवन से हवा में मौजूद बैक्टीरिया नष्ट
सतीश राय ने कहा कि हवन शुद्धिकरण का एक अनुष्ठान है। बढ़ते प्रदूषण के कारण आसपास की हवा दूषित हो गई है। जिसके कारण अधिकतर लोग कई बीमारियों से पीड़ित हैं। ऐसे में यदि औषधीय से हवन करें तो आध्यात्मिक फायदा के साथ-साथ वहां का पूरा वातावरण शुद्ध होता है। हवा में मौजूद खतरनाक बैक्टीरिया और जीवाणु नष्ट हो जाते हैं।
-औषधि हवन से भी होता है रोगों का नाश
सतीश राय ने कहा कि आयुर्वेद में रोगों के लिए जो औषधि गुणकारी होती है यदि उससे हवन किया जाए तो उस औषधि से सम्बंधित रोगों में अधिक लाभ मिलता है। नित्य हवन करना भी पर्यावरण शुद्धि का एक उपाय है। हवन करने से भी रोगों का नाश होता है। हवन से निकलने वाली ऊर्जा एवं धुआं वायुमंडल में फैलते हैं जिससे हवा में घूमते असंख्य रोग वाले कीटाणु नष्ट हो जाते हैं। साधारण रोगों से बचने का सबसे अच्छा स्रोत हवन है।
-यज्ञ चिकित्सा से ग्रह नक्षत्र भी होते हैं शांत
सतीश राय ने कहा कि हवन का बड़ा रूप है यज्ञ। यज्ञ-चिकित्सा स्थूल शरीर के बजाय सूक्ष्म शरीर पर असर डालती है। यज्ञ चिकित्सा में विशिष्ट मन्त्रों से उच्चारण के कारण यह ज्यादा तेजी से असर करता है। दूर बैठा कोई व्यक्ति शारीरिक, मानसिक और आर्थिक संकट से जूझ रहा है तो ऐसे में उसके नाम से यज्ञ कराना सबसे बेहतर उपाय हो सकता है। यज्ञ के दौरान मन्त्रों का उच्चारण एक कम्पन उत्पन्न करता है, जिससे सकारात्मक ऊर्जा निकलती है। जो शरीर के सभी बड़े सात चक्रों (सहस्रार, आज्ञा, कंठ, हृदय, मणिपुर, स्वाधिष्ठान एवं मूलाधार चक्र) को शुद्ध करती है। यह ग्रह नक्षत्र को शांत कर उनसे होने वाले फायदे को बढ़ाने में मदद करता है। यज्ञ व्यक्ति को आध्यात्मिक रूप से मजबूत बनाता है।
हिन्दुस्थान समाचार/विद्या कान्त/राजेश
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