सर्दी मछलियों के लिए सबसे कठोर समय - डॉ. शशि कांत
कानपुर,19 नवम्बर (हि.स.)। सर्दी का समय मछली पालन के लिए बहुत ही कठोर समय होता है। यदि मछलियों की देखरेख में तनिक भी लापरवाही हुई तो मृत्यु दर बढ़ जाती है और मत्स्य पालक को लाभ नहीं मिलता। यह जानकारी देते हुए रविवार को चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कानपुर के कृषि विज्ञान केंद्र दिलीप नगर के पशुपालन वैज्ञानिक डॉक्टर शशिकांत ने दी।
उन्होंने बताया कि विश्व मत्स्य दिवस 21 नवंबर को है। मेरी मत्स्य पालकों से अपील है कि सर्दी के समय तालाबों की विशेष देखभाल करने से अधिक लाभ मिल सकता है। मछली पालन के लिए यह समय बहुत ही कठोर होता है। इस समय मछलियों की नवंबर, दिसंबर , जनवरी के महीनों में वृद्धि कम हो जाती है साथ ही साथ मछलियां काफी सुस्त हो जाती हैं। तालाबों में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है। जिससे मछलियों की मृत्यु दर बढ़ जाती है। इन सभी कारणों को ध्यान में रखते हुए मत्स्य पालकों को तालाबों में ऑक्सीजन की पर्याप्त व्यवस्था करने हेतु एरिएटर का प्रयोग करना चाहिए। यदि एरिएटर संभव न हो सके तब तालाब में प्रत्येक माह एक या दो बार पूरे तालाब के पानी का एक चौथाई पानी बदल कर ताजा पानी भरना चाहिए, जिससे पानी में ऑक्सीजन स्तर बढ़ जाय और मछलियों का जीवन सुरक्षित हो सके। इसके साथ ही साथ मत्स्य पालकों को ध्यान रखना चाहिए कि सर्दियों में मछलियां को आहार की मात्रा भी कम दें। इन बातों का ध्यान रखते हुए मत्स्य पालक सर्दी में भी अपने तालाब की मछलियों को अच्छी वृद्धि करा सकते हैं और रोगों से भी बचा सकते हैं ।
विश्व मत्स्य दिवस के बारे में बताते हुए डॉ० शशिकांत ने बताया कि मत्स्य पालन क्षेत्र को एक उभरता हुआ क्षेत्र माना जाता है और इसमें समाज के कमजोर वर्ग के आर्थिक सशक्तिकरण समाज और समावेशी विकास लाने की अपार संभावनाएं हैं। भारत वैश्विक मछली उत्पादन में 8 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ विश्व का तीसरा सबसे बड़ा मछली उत्पादक , दूसरा सबसे बड़ा जलीय कृषि उत्पादक, सबसे बड़ा झींगा उत्पादक और चौथा सबसे बड़ा समुद्री खाद्य निर्यातक है ।
उन्होंने बताया कि भारतीय मत्स्य पालन क्षेत्र लगातार बढ़ रहा है और मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के मत्स्य पालन विभाग का यह प्रयास रहा है न केवल 22 एमएमटी मछली उत्पादन के पीएमएमएसवाई लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए प्रगति को बनाए रखा जाए , बल्कि वित्तीय वर्ष 2024 - 25 तक एक लाख करोड़ रुपए का निर्यात भी किया जा सके । यह क्षेत्र देश में तीन करोड़ मछुआरों और मछली पालकों को रूप से आय एवं आजीविका प्रदान करने मे मुख्य भूमिका निभा रहा है ।
हिन्दुस्थान समाचार/राम बहादुर/बृजनंदन
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