लखनपुरी में चल रहे अवध महोत्सव में जहां कथक के रंग दिखे वहीं अवधी लोक और सूफियाना गीत की खुशबू भी उड़ी



लखनपुरी में चल रहे अवध महोत्सव में जहां कथक के रंग दिखे वहीं अवधी लोक और सूफियाना गीत की खुशबू भी उड़ी


लखनपुरी में चल रहे अवध महोत्सव में जहां कथक के रंग दिखे वहीं अवधी लोक और सूफियाना गीत की खुशबू भी उड़ी


अवधी परिधान प्रतियोगिता में महिलाओं ने पहनी सीधे पल्ले की चटक रंग की साड़ी, पुरुषों ने पहना धोती कुर्ता व शेरवानी

लखनऊ, 19 मार्च (हि.स.)। लखनपुरी के गोमती नगर स्थित उप्र संगीत नाट्य अकादमी परिसर में चल रहे अवध महोत्सव के दूसरे दिन रविवार को मुख्य मंच पर जहां एक ओर मुंबई से आई गायिका ऐशवर्या पंडित का गायन रहा, वहीं लखनपुरी की नेहा सिह मिश्रा व कांतिका मिश्रा के कथक नृत्य में अवधी रंग दिखाई दिया। वहीं अवधी लोक गीतों में यहां की संस्कृति की झलक भी दिखाई दी। इसके अलावा मालवा, मध्य प्रदेश के निगुर्ण गायक कालूराम वमानिया ने कबीर के भजनों से समां बांध दिया। वहीं अकादमी में हुई अवधी परिधान प्रतियोगिता। इस अवसर पर प्रदेश के पर्यटन एवं संस्कृति विभाग के प्रमुख सचिव मुकेश मेश्राम, विशेष सचिव, संस्कृति, आनंद कुमार व उप्र संगीत नाटक अकादमी के निदेशक तरुण राज विशेष रूप से उपस्थित हुए।

लखनऊ घराने की कथक नृत्यागंना भाभी-ननद जोड़ी से मशहूर नेहा सिह मिश्रा और कांतिका मिश्रा ने अपनी प्रस्तुति की शुरुआत भगवान शिव की वंदना से की। इसके बाद उन्होंने इस घराने की परम्परागत बंदिशें तीन ताल में प्रस्तुत की। इसमें उन्होंने लयकारी, चक्कर, हस्त और पांव के संचालन से दर्शकों को मुग्ध कर दिया। इसके बाद गोस्वामी तुलसी रचित ’श्रीरामचंद्र कृपाल भजमन, पर कथक का अभिनय पक्ष प्रस्तुत किया। प्रस्तुति की समाप्ति सूफी गीत पर नृत्य करके की। इसकी कोरियोग्राफी व निर्देशन पं. अनुज मिश्रा ने किया।

इसके बाद शहर की लोक गायिका शिखा भदौरिया ने कार्यकम की शुरुआत देवी गीत ’मैया चलो दियना बार...’ से किया। इसके बाद प्रभु श्रीराम और सिया का गुणगान करते हुए गाया ’कथा हम गाई’। इसके बाद गीत ’बलम लखनऊवा मिले, मोरी गुईंया’ गाया। श्रोता इन गीतों पर मंत्रमुग्ध हो उठे। इनके साथ बांसुरी पर दीपेंद्र कुंवर, ढोलक पर सत्यम् शिवम् सुंदरम् सिंह व होरमोनियम पर संतोष तिवारी, साइड रिद्म पर शोभनाथ चौरसिया ने साथ दिया।

मालवा, मध्य प्रदेश से आए निर्गुण गायक कालूराम बमानिया ने कबीर दास जी के भजनों को गाकर माहौल का अलग दिशा दी। उन्होंने शुरुआत गुरुवंदना ’सतगुरु से मीलवा चालोरी सजो सीण गारो री...’ इसके बाद उन्होंने कबीर के कई भजन सुनाए। मुंबई से आई बाॅलीवुड सिंगर ऐशवर्या पंडित ने गजल गायिका बेगम अख्तर की लोकप्रिय गजल ’आज जाने की जिद न करों...’ गाया तो श्रोताओं ने तालियां बजाकर उनका इस्तकबाल किया। इसके सूफियान कलाम दमादम मस्तकलदर... गाया तो लोग झूमने लगे। इसके इसके बाद अल्ला हू अल्ला... हूं.... आज हुआ दीदार माही दा... केशरिया बालम सहित कई गीत सुनाए। श्रोता मगन होकर सुनते रहे। कार्यक्रम का संचालन श्वेता तिवारी ने बड़ी खूबसूरती से किया।

अकादमी में अवधी परिधान प्रतियोगिता भी रविवार से शुरू हुई। पहले दिन 15 से 25 आयुवर्ग के महिलाएं और पुरुष भाग लेने आए थे। प्रतियोगिता में महिलाएं जहां सीधे पल्ले की चटक रंग की साड़ी पहने हुए थीं, वहीं पु्रुष धोती कुर्ता व शेरवानी पहने हुए थे। प्रतियोगिता की संयोजक निधि श्रीवास्तव ने बताया कि प्रतियोगिता का फाइनल महोत्सव के आखिरी दिन 22 मार्च को होगा। सोमवार को 3 बजे से 26 से 35 साल तक के प्रतिभागियों को चयन किया जाएगा।

उधर पुतुल शो में मुंशी प्रेमचंद की कहानी पंच परमेश्वर को कठपुतलियों के जरिए दिखाया गया। इसका निदेशन राजेंद्र श्रीवास्तव ने किया। इसकी प्रस्तुति बनारस की अभिनव समिति ने दी। उधर नादरगंज में पतंगबाजी प्रतियोगित हुई।

अवध महोत्सव में सोमवार को सुबह 7 बजे से लखनऊ विश्वविद्यालय बंधे से डालीगंज गोमती नदी पुल तक इक्का-तागा दौड़ होगी। शाम 6 बजे से नृत्यागंना विधि नागर का ’कबीर द वीयर’, नृत्य नाटिका, हिमाशु बाजपेई किस्सागोई प्रस्तुत करेंगे। इसके अलावा पराक्रम बैड का शास्त्रीय फ्यूजन म्यूजिक व मुंबई की निराली कार्तिक व जोतपुर के सलीम खान लोक संगीत फ्यूजन की प्रस्तुति होगी।

हिन्दुस्थान समाचार/शैलेंद्र

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