लोकसभा चुनाव में जब पूर्व मंत्री के गढ़ में साइकिल हुई थी पंचर
--जातीय समीकरण में कांग्रेस आई थी वेंटीलेटर पर
हमीरपुर, 10 मई (हि.स.)। हमीरपुर-महोबा संसदीय क्षेत्र की सीट के आम चुनाव में पूर्व मंत्री के गढ़ में साइकिल पंचर हो गई थी। भाजपा की सूनामी में जातीय समीकरणों का खेल बिगड़ने पर कांग्रेस को बड़ा झटका लगा था। वोटों का मजबूत जनाधार खिसकने से यह पार्टी वेंटीलेटर पर आ गई थी। इस बार कांग्रेस आम चुनाव में खुद तो नहीं लड़ रही है लेकिन सहयोगी दल सपा की साइकिल को रफ्तार दे रही है। हालांकि यहां चुनावी फाइट अब त्रिकोणीय हो गई है।
बुंदेलखंड के हमीरपुर-महोबा-तिंदवारी संसदीय सीट पर भाजपा, सपा और बसपा सुप्रीमो की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। सिटिंग एमपी पुष्पेन्द्र सिंह चंदेल तीसरी बार भाजपा के टिकट से चुनाव मैदान में हैं। वहीं अबकी बार लोधी बिरादरी से इकलौते अजेन्द्र सिंह राजपूत इंडी गठबंधन में सपा की साइकिल दौड़ा रहे हैं। ये सांसद बनने के लिए पहली बार चुनाव मैदान में आए हैं। बसपा सुप्रीमो मायावती ने भाजपा और सपा के चुनावी समीकरण का खेल बिगाड़ने के लिए पहली बार ब्राह्मण जाति से निर्दाेष दीक्षित पर दांव लगाया है।
शुरू में सर्कस मालिक मोहम्मद फतेह खान को प्रत्याशी बनाए जाने पर पार्टी ने मंथन किया था, लेकिन बाद में जातीय समीकरण के फेर में मायावती ने ब्राह्मण चेहरे को चुनाव मैदान में उतारा। तो यहां भाजपा और सपा में टेंशन बढ़ गई। वर्ष 2014 के आम चुनाव में क्षेत्रीय दलों की विदाई भाजपा की सुनामी में ऐसी हुई कि आज तक ये दल उबर नहीं पा रहे हैं। बुंदेलखंड की सभी सीटों पर कमल खिला था। वहीं पूर्व मंत्री के गढ़ में साइकिल पंचर हुई थी। अबकी बार चुनाव मैदान में सीट पर कमल खिलाने की भाजपा की राहें साइकिल और हाथी की चाल से आसान नहीं नजर आ रही है।
सोलहवीं लोकसभा के चुनाव में मुलायम सिंह ने पूर्व मंत्री पर लगाया था दांव
2014 के आम चुनाव में हमीरपुर-महोबा-तिंदवारी संसदीय सीट से पहली बार भाजपा ने पुष्पेन्द्र सिंह चंदेल को प्रत्याशी बनाया था। वहीं मुलायम सिंह यादव ने पूर्व कैबिनेट मंत्री विशम्भर प्रसाद निषाद पर दांव लगाया था। संसदीय सीट में हमीरपुर और तिंदवारी विधानसभा क्षेत्र में निषाद बिरादरी के सर्वाधिक मतदाता हैं। इसके बावजूद पूर्व मंत्री की साइकिल पंचर हो गई थी। भाजपा की सुनामी में पुष्पेन्द्र सिंह चंदेल 47.45 फीसदी मत लेकर सांसद बने थे। वहीं पूर्व मंत्री के खाते में सिर्फ 19.28 फीसदी मत आए। पिछले आम चुनाव में भी भाजपा ने बसपा के प्रत्याशी कारोबारी दिलीप सिंह को पराजित किया था।
भाजपा की सुनामी में साइकिल हो गई थी पंचर, कांग्रेस भी आई थी वेंटीलेटर पर
सोलहवीं लोकसभा के चुनाव में सबसे ज्यादा कीमत राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी को चुकानी पड़ी थी। इसकी जमानत भी जब्त हो गई थी। संसदीय सीट के हमीरपुर सदर विधानसभा क्षेत्र में 13360 मत मिले थे जबकि राठ विधानसभा क्षेत्र में 28601, महोबा विधानसभा क्षेत्र में 7624, चरखारी विधानसभा क्षेत्र में 21470 व तिंदवारी विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस को 7175 मत मिले थे। संसदीय क्षेत्र में 8.11 फीसदी मत ही उसके खाते में आए। भाजपा की आंधी में कांग्रेस वेंटीलेटर पर चली गई थी। कांग्रेस ने लोधी बिरादरी के दिग्गज नेता प्रीतम सिंह पर जातीय समीकरण को देखते दांव लगाया था लेकिन ये दांव हवा में उड़ गया।
संसदीय सीट के पांचों विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा से सपा की हुई थी सीधी फाइट
हमीरपुर-महोबा-तिंदवारी संसदीय क्षेत्र में सोलहवीं लोकसभा के चुनाव में भाजपा की लहर में राष्ट्रीय और क्षेत्रीय दलों की हवा निकल गई थी। संसदीय सीट के हमीरपुर भाजपा की सपा से सीधी फाइट हुई थी। जिसमें हमीरपुर सदर विधानसभा और तिंदवारी विधानसभा क्षेत्र में सपा की भाजपा से सीधी लड़ाई हुई थी। वहीं राठ, महोबा और चरखारी आदि विधानसभा क्षेत्र में सपा तीसरे स्थान पर रही। इन तीनों विधानसभा क्षेत्र में ही भाजपा की बसपा से सीधी फाइट हुई थी। चुनाव में मोदी की लहर में भाजपा के प्रत्याशी पुष्पेन्द्र सिंह चंदेल ने पहली बार 2.66 लाख 788 मतों के अंतर से यहां की सीट पर कमल खिलाया था।
हिन्दुस्थान समाचार/पंकज//विद्याकांत
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