पछुआ हवाएं और ओस बढ़ाएंगी गेहूं की फसल का उत्पादन

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पछुआ हवाएं और ओस बढ़ाएंगी गेहूं की फसल का उत्पादन


​— सामान्य से नीचे चल रहा तापमान साबित होगा वरदान

कानपुर, 06 जनवरी (हि.स.)। बीते दिनों बारिश के बाद पहाड़ों से बर्फीली हवाएं बराबर उत्तर प्रदेश के मैदानी इलाकों में आ रही हैं। इन पछुआ हवाओं के चलने से तापमान सामान्य से नीचे चल रहा है। इसके साथ ही ओस भी जबरदस्त पड़ रही है जो गेंहू की फसल के उत्पादन को बढ़ाने के लिए वरदान साबित हो रही है। सीएसए के मौसम वैज्ञानिक का कहना है कि जनवरी का महीना गेहूं की फसल के लिए सबसे अहम होता है। इन दिनों अगर सर्द भरी पछुआ हवाएं चलती रहीं व ओस पड़ती रही तो आने वाले दिनों में उत्पादन बेहतर होने की पूरी संभावना बनी रहती है।

चन्द्रशेखर आजाद कृषि प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (सीएसए) के कृषि मौसम वैज्ञानिक डॉ. एस एन सुनील पाण्डेय ने सोमवार को बताया कि सर्दियों में खेतों में उगाई जाने वाली फसलों में से गेहूं किसानों की प्रमुख पसंद है। हर साल नवंबर के अंत से लेकर दिसंबर तक गेहूं की बुवाई होती है। इसके बाद जनवरी का महीना गेंहू के प्रारंभिक ग्रोथ का होता है। इस समय गेहूं की फसल के लिए बारिश फायदेमंद है क्योंकि फुटाव अच्छा होगा। बारिश से मिट्टी में नमी की कमी पूरी होती है और पोषक तत्वों की पूर्ति हो जाती है। यही नहीं गेहूं के पौधों को आवश्यक पोषक तत्व मिलते हैं। बारिश के बाद अगर पछुआ हवाएं चलती रहीं तो सर्दी व ओस उपज में वृद्धि के लिए वरदान साबित होती है। इस दौरान हालांकि कभी कभार मिट्टी में मौजूद सूक्ष्म जीवों की गतिविधियां धीमी हो जाती हैं। इसके कारण मिट्टी में पौधों को पोषण देने वाले तत्वों की कमी हो जाती है। ऐसे में किसान भाई नाइट्रोजन का छिड़काव करना न भूलें। कुल मिलाकर किसान जनवरी माह में गेहूं की फसल की अगर अच्छी देखभाल कर लें तो यह सर्दी उत्पादन के लिए वरदान है।

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हिन्दुस्थान समाचार / अजय सिंह

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