सतत विकास के लिए नवाचारों पर ध्यान देना होगा : प्रो. पूनम टंडन
गोरखपुर, 03 नवम्बर (हि.स.)। “पर्यावरण, प्रौद्योगिकी और सतत ग्रामीण विकास” विषयक राष्ट्रीय संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता करते हुए दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. पूनम टंडन ने कहा कि उच्च शिक्षा संस्थानों में समाज, देश दुनिया के लिए उपयोगी विषयों पर चर्चा होनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि पर्यावरण, प्रौद्योगिकी और सतत विकास एक ऐसा ही उपयोगी विषय है। उन्होंने कहा कि रोज तेजी से बदल रही दुनिया में प्रौद्योगिकी एक दोधारी तलवार जैसी है। इसके फायदे हैं तो नुकसान भी। प्रौद्योगिकी से होने वाले नुकसान को कम करने व सतत विकास के लिए नवाचारों पर अधिक ध्यान देने की जरूरत है। अच्छी बात यह है कि देश व प्रदेश में शासन की तरफ से नवाचारों को बढ़ावा देने के लिए विशेष ध्यान दिया जा रहा है।
प्रौद्योगिकी और पर्यावरण के बीच अंतरसंबंध सुधारने की जरूरत : प्रो. वीएन शर्मा
विशिष्ट अतिथि काशी हिंदू विश्वविद्यालय में भूगोल विभाग के अध्यक्ष प्रो. वीएन शर्मा ने कहा कि प्रौद्योगिकी मानव निर्मित है, जबकि पर्यावरण जैव विविधता का भंडार होने के साथ स्वयं निर्मित है। प्रौद्योगिकी से पर्यावरण का संरक्षण होना चाहिए, न की इसका शोषण। प्रौद्योगिकी और पर्यावरण के सामंजस्य से होने वाला विकास सतत या टिकाऊ रहे, इसके लिए दोनों के बीच अंतरसंबंध को सुधारने पर भी लगातार ध्यान देना होगा।
दिग्विजयनाथ स्नातकोत्तर महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ ओमप्रकाश सिंह ने स्वागत संबोधन के साथ राष्ट्रीय संगोष्ठी की प्रस्ताविकी प्रस्तुत की। इस अवसर पर सांसद रविकिशन शुक्ल, महापौर डॉ मंगलेश श्रीवास्तव, महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के पदाधिकारी एवं सदस्य, राष्ट्रीय संगोष्ठी के प्रतिभागी, शिक्षक व बड़ी संख्या में विद्यार्थी मौजूद रहे। कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री ने राष्ट्रीय संगोष्ठी की स्मारिका का विमोचन भी किया।
हिन्दुस्थान समाचार/डॉ. आमोदकांत/मोहित
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