गंगा के मैदानी इलाकों में जल संकट भारत के लिए खतरा- डॉ. सुशील कुमार

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गंगा के मैदानी इलाकों में जल संकट भारत के लिए खतरा- डॉ. सुशील कुमार


-नदियों के अध्ययन में उपयोगी है रिमोट सेंसिंग तकनीक : डा. अतुल सिंह

जौनपुर, 09 अप्रैल (हि.स.)। वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय स्थित रज्जू भैया संस्थान के अर्थ एंड प्लेनेटरी साइंसेज विभाग में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय भारत सरकार द्वारा प्रायोजित कार्यशाला के पांचवें दिन मंगलवार को जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के विशेषज्ञ डाॅ. सुशील कुमार ने जल संरक्षण एवं जल स्रोतों का पता लगाने हेतु रिमोट सेंसिंग तकनीक की उपयोगिता पर चर्चा की।

उन्होंने कहा कि वर्तमान परिदृश्य में जल संरक्षण अत्यंत महत्वपूर्ण विषय है। अगर गंगा के मैदानी इलाकों में जल संकट बढ़ रहा है तो यह संपूर्ण भारतवर्ष के लिए बहुत बड़े खतरे का सूचक है। इसलिए नदियों, तालाबों व अन्य प्राकृतिक जल स्रोतों को बचाना नितांत आवश्यक है। विश्व की 17 प्रतिशत जनसंख्या भारत में रहती है। यह विश्व के कुल भूभाग का 2.5 प्रतिशत है। बढ़ती आबादी के इस दौर में नये जल संसाधन तलाशने होंगे और नए स्रोतों के संदर्भ में शोध करने की जरूरत है। रिमोट सेंसिंग तकनीक का उपयोग इस दिशा में सकारात्मक परिणाम ला सकता है।

पूर्वोत्तर पर्वतीय विश्वविद्यालय के डाॅ. अतुल कुमार सिंह ने नदी विज्ञान के क्षेत्र में रिमोट सेंसिंग तकनीक के उपयोग पर व्याख्यान दिया। उन्होंने कहा कि भारत की नदियों के बनने का क्रम कहीं न कहीं हिमालय की उत्पत्ति से संबंधित है तथा हिमालय पर्वतमाला में होने वाली प्रत्येक भूगर्भीय घटनाओं से नदियों की प्रकृति प्रभावित होती है। नदियों में विपथन की अपनी प्रकृति होती है जो स्वाभाविक है। हम इसे रोक नहीं सकते। इसलिए नदी परिक्षेत्र में होने वाले प्रत्येक निर्माण एवं अन्य विकास योजनाओं से पहले नदी का पूर्व में विपथन एवं पथ विस्थापन की सटीक जानकारी होना आवश्यक है। इसलिए नदियों के अध्ययन में रिमोट सेंसिंग की उपयोगिता और भी बढ़ जाती है। उन्होंने घाघरा नदी के पथ विस्थापन एवं उसके कारणों पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा कि नदी अपनी प्रकृति के अनुरूप व्यवहार करती रहती है जो बड़ी बाढ़ का कारण बनता है। हम इसे रोक तो नहीं सकते परन्तु यदि नदियों की प्रकृति की वैज्ञानिक समझ के अनुसार विकास कार्य हो तो प्रत्येक वर्ष लाखों लोग विस्थापित होने से बच जाएंगे एवं बाढ़ आने पर त्रासदी का रूप नहीं लेगी।

हिन्दुस्थान समाचार/विश्व प्रकाश/दिलीप

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