स्वामी विवेकानंद ने परतंत्र भारत को उसके गौरवशाली अतीत का बोध कराया : डॉ नरेंद्र सिंह गौर

स्वामी विवेकानंद ने परतंत्र भारत को उसके गौरवशाली अतीत का बोध कराया : डॉ नरेंद्र सिंह गौर
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स्वामी विवेकानंद ने परतंत्र भारत को उसके गौरवशाली अतीत का बोध कराया : डॉ नरेंद्र सिंह गौर


प्रयागराज, 12 जनवरी (हि.स.)। पूर्व कैबिनेट मंत्री डॉ. नरेन्द्र सिंह गौर ने कहा कि स्वामी विवेकानंद ने परतंत्र भारत को उसके गौरवशाली अतीत का बोध कराया। योग और हिंदुत्व की प्रायः विस्मृत कड़ी को विश्व के समक्ष इस ढंग से रखा कि समस्त विश्व भारतीय संस्कृति की देदीप्यमान आभा में नतमस्तक होने लगा।

ट्रांसपोर्ट नगर में आयोजित कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि डॉ. गौर ने कहा कि स्वामी विवेकानंद ने महसूस किया कि भारतवासियों की परतंत्रता और दुर्व्यवस्था का मूल कारण है पाश्चात्य शिक्षा के कारण वे भारतीयता की विरासत से कटते जा रहे हैं। उन्होंने अपनी दूरदृष्टि से यह समझ लिया कि सुषुप्त भारतीय सिंहों को राष्ट्रवाद की ओर ले जाने का रास्ता भारतीय संस्कृति के गौरवशाली अतीत के स्मरण से ही मिल सकता है।

डॉ. गौर ने आगे कहा कि अनेक इतिहास वेत्ताओं का अभिमत है कि भारत के स्वाधीनता संग्राम को जो चिंगारी 1857 के बाद मंद पड़ गई थी, उसे पुनः प्रज्वलित करने का कार्य स्वामी विवेकानंद के व्याख्यानों एवं ओजपूर्ण विचारों से सम्भव हुआ, जिसके परिणाम स्वरूप आज भारत की संस्कृति का डंका सम्पूर्ण विश्व में बज रहा है। उन्होंने आत्मचिंतन तथा अपने गुरु स्वामी रामकृष्ण परमहंस से पर्याप्त तर्क-वितर्क करते हुए अपनी समस्त शंकाओं का समाधान किया। उसके बाद वे भारतीय संस्कृति के प्रचार-प्रसार हेतु सक्रिय हुए। आज देश जिस प्रकार के झंझावातों में जूझ रहा है, ऐसे में स्वामी विवेकानंद जैसे युगबोधक की महती आवश्यकता है जो आज के युवा वर्ग में पुनः कर्त्तव्य और राष्ट्र चिंतन के मन्त्र फूंक सके।

सचिव श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी और अलोपशंकरी मंदिर के प्रबंधक महंत यमुनापुरी ने कहा कि शुभ संकल्प, विशुद्ध अंतःकरण, धैर्य-साहस, उत्साह और पुरुषार्थ से संसार के कठिन से कठिन कार्य भी सिद्ध हो जाते हैं। शुभता परमात्मा की प्रथम विभूति है। सुसंस्कार-आध्यात्मिक विचार एवं दिव्य जीवन का अंकुरण बाह्यन्तर शुचिता-पवित्रता से ही सम्भव है। अतः मनसा, वाचा, कर्मणा पवित्र रहें। आप दूसरों से यदि सम्मान और सहयोग पाना चाहते हैं तो इसका एक ही उपाय है, अपना अन्तःकरण छल रहित बनाइये। उज्ज्वल व्यक्तित्व की यही परख है कि व्यक्ति की अन्तरात्मा कितनी पवित्र है। संसार में समय-समय पर जितने भी समाज सुधारक और महापुरुष हुए हैं, उन सबने मानव-समाज में सुख-शान्ति तथा सुव्यवस्था बनाये रखने के लिए इस बात पर अधिक बल दिया है कि लोगों के अन्तःकरण निर्मल एवं पवित्र बनें। यदि दूसरों को पीड़ित कर आप कुछ सफलता पा भी लें तो इससे आपका भला होना सम्भव नहीं। इसके बदले तो आपको पश्चात्ताप की आन्तरिक यंत्रणाएं ही मिलेंगी।

भाजपा महानगर अध्यक्ष राजेंद्र मिश्र ने कहा कि एक ऐसा समाज जो स्वयं की आलोचना, निन्दा एवं आत्महीनता में गौरव का बोध कर रहा था। जो अपनी संस्कृति, अपनी परम्परा और अपने आदर्शों के प्रति श्रद्धा भाव खो चुका था। एक ऐसा समाज जो गुलामी की बेड़ियों को ही वरदान मान चुका था। भारत के उस आत्मविस्मृति सोए हुए समाज को आत्म गौरव से परिपूर्ण कर नव चेतना एवं नव स्फूर्ति का संचार करने वाले आध्यात्मिक एवं सामाजिक पुनर्जागरण करने वाले स्वामी विवेकानंद जयंती पर बारम्बार प्रणाम।

इस अवसर पर भाजपा के महानगर मीडिया प्रभारी राजेश केसरवानी, चंद्रसेन शर्मा और माहेश्वरी ने भी अपने विचार रखें। कार्यक्रम की अध्यक्षता चंद्रसेन शर्मा एवं संयोजन और संचालन पवन राष्ट्रवादी ने किया। कार्यक्रम में प्रमोद मोदी, संजय कुशवाहा, शिव भारतीय, अमरजीत सिंह, दीपक कुशवाहा, मनोज कुशवाहा, पीयूष सिंह, अरुण सिंह पटेल, पवन गुप्ता, निरंकार त्रिपाठी, अंजनि सिंह, संदीप गोस्वामी, कुंज बिहारी मिश्र, विनय मिश्रा, अतुल केसरवानी, विकास पाण्डेय, कविराज, प्रमोद पटेल सहित कई लोग उपस्थित रहे।

हिन्दुस्थान समाचार/विद्या कान्त/सियाराम

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