विश्व हिन्दू परिषद की ध्येय यात्रा के गौरवशाली 60 वर्ष पूरे
— हिन्दू जीवन मूल्यों के लिए अजेय हिन्दू शक्ति बनाएंगे
वाराणसी,24 अगस्त (हि.स.)। विश्व हिन्दू परिषद (विहिप)अपने स्थापना दिवस के 60 वर्ष श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर्व पर पूरे कर लेगी। ध्येययात्रा के गौरवशाली 60 वर्ष पूर्ण होने पर परिषद ने हिन्दू समाज से लक्षाधिक कार्यकर्ता बनाने, गांव—गांव तक संगठन तंत्र के विस्तार पर जोर दिया है। शनिवार को इंगलिशिया लाइन स्थित परिषद के कार्यालय में काशी प्रांत के सह मंत्री सत्य प्रकाश सिंह और अन्य पदाधिकारियों ने ये जानकारी दी।
पदाधिकारियों ने परिषद के स्थापना काल से लेकर अब तक की उपलब्धियों और कठिन संघर्षो को विस्तार से बताया। कहा कि हिन्दू जीवन मूल्यों, परम्पराओं, मान बिन्दुओं के प्रति श्रद्धा रखने वाली विश्व के कल्याण के लिए अजेय हिन्दू शक्ति तैयार करने के लिए श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर्व पर वर्ष 1964 में स्वामी चिन्मयानंद के आश्रम पवई मुम्बई में परिषद की स्थापना की गई। वर्ष 1966 तीर्थराज प्रयागराज के महाकुम्भ में परिषद की ओर से आयोजित प्रथम विश्व हिन्दू सम्मेलन सबसे विराट एकत्रीकरण था। 1969 उडूपी कर्नाटक में हिन्दू सम्मेलन,मंच पर संतों के साथ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के द्वितीय सरसंघचालक माधवराव सदाशिवराव गोलवलकर 'गुरूजी'की भी मौजूदगी रही। 1979 में तीर्थराज प्रयाग में संगम तट पर आयोजित द्वितीय विश्व हिन्दू सम्मेलन में देश—विदेश के प्रतिनिधियों ने भागीदारी की। पदाधिकारियों ने बताया कि वर्ष 1981 में तमिलनाडु प्रदेश के रामनाथपुरम जिले के मीनाक्षीपुरम गांव में हिन्दू समाज के सामूहिक इस्लाम पंथ में धर्मांतरण के बाद परिषद ने देश में एक व्यापक जागरण का अभियान शुरू किया। संस्कृति रक्षा निधि अभियान, व्यापक जागरण और सेवा निधि का एकत्रीकरण हुआ। निधि के जरिए देश के गिरिवासी और वनवासी क्षेत्र में सेवा कार्यों की एक लंबी श्रृंखला आरम्भ हुई।
1983 में भाषा और प्रान्त के नाम पर संघर्ष करने के प्रयत्न के खिलाफ संघर्ष हुआ। पदाधिकारियों ने कहा कि 07 अक्टूबर 1984 को अयोध्या नगरी में सरयू तट पर रामभक्तों का सैलाब उमड़ा। सन्तों के साथ उपस्थित रामभक्तों ने संकल्प लिया। रामलला की जन्मभूमि में आक्रांता बाबर द्वारा बनाई गई इमारत में ताले में बंद रामलला को मुक्त करा भव्य मंदिर के निर्माण का अहिंसक जनान्दोलन श्री राम जन्मभूमि आंदोलन शुरू हुआ। अंततः हिन्दू शक्ति के सामूहिक जागरण का सुपरिणाम हम सबके जीवन काल में आया। श्री रामलला के भव्य मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त हुआ। पदाधिकारियों ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण के प्राकट्य दिवस पर परिषद की स्थापना एक दैवी संयोग ही है। श्रीकृष्ण के अवतार के कालखण्ड में देश की परिस्थिति और परिषद के स्थापना के समय देश की स्थिति में अनूठा साम्य दिखता है। पदाधिकारियों ने कहा कि हिन्दू समाज के सम्मान के प्रत्येक संघर्ष में परिषद का अनूठा योगदान रहा।
हिन्दुस्थान समाचार / श्रीधर त्रिपाठी / विद्याकांत मिश्र
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