उप्र: दीप से दीप जले तो परास्त हुआ अंधेरा, आसमान में बिखरी सतरंगी छटा
लखनऊ/मीरजापुर, 12 नवम्बर (हि.स.)। दीपावली पर रविवार को राजधानी लखनऊ, वाराणसी, गोरखपुर, कानपुर, झांसी, आगरा, बरेली, मेरठ समेत प्रदेश के सभी शहरों से लेकर देहात तक रोशनी से जगमग हो गया। लोग अपने-अपने घरों को सजाने व संवारने में दिनभर जुटे रहे। देर शाम तक प्रदेश के सभी शहरों के बाजार और घर रंग-बिरंगी झालरों से जगमग दिखे। शाम होते ही दीप से दीप जलने के बाद ऐसा प्रतीत हो रहा था कि अंधेरा परास्त हो गई है, साथ ही आसमान में सतरंगी छटाएं बिखेर रही हो।
दीपोत्सव पर यूपी के शहरों एवं गांवों के अधिकांश इमारत रोशनी से नहाई हुई नजर आईं। सुबह से शाम तक ग्राहकों की बाजारों में काफी भीड़ रही। दुकानदारों को भी फुर्सत तक नहीं मिली। लोगों ने पूजा-पाठ के साथ जरूरत की हर चीज की खरीदारी की। दीपावली की खुशियां मनाने के लिए आम व खास सभी जुटे थे। वैसे तो धनतेरस पर ही लोगों ने एक साथ धनतेरस और दीपावली की खरीदारी पूरी कर ली, लेकिन रविवार को दीपावली का बाजार देखने लायक था।
दीप पर्व को लेकर बच्चे, बुजुर्ग सबों में गजब का उत्साह था। लोगों ने मां लक्ष्मी की पूजा कर परिवार की सुख-समृद्धि की कामना की। शहर भी रोशनी से जगमगा उठा। पटाखे की गूंज व लोगों के उत्साह से पूरा शहर भक्तिमय बना रहा। वैसे तो दोपहर से बाजार में चहल-पहल शुरू हो गई थी। लखनऊ के सदर, महानगर, अमीनाबाद, चौक, गोमतीनगर, हजरतगंज, मीरजापुर के वासलीगंज में एक ही जगह लाई-चूड़ा, दीया और मां लक्ष्मी व श्रीगणेशजी की मूर्ति मिलने के कारण ग्राहकों की संख्या ज्यादा थी। शहर के अलग-अलग स्थानों पर दुकान सजाए बैठे व्यापारियों के यहां भी ग्राहक दिखे। शाम होते-होते ऐसा लगा कि पूरा नगर ही उमड़ पड़ा। एक ओर परंपरागत मिट्टी का दिया, खिलौना और रूई की बाती का बाजार सजा हुआ था। दूसरी ओर मोमबत्ती और झालरों की जगमगाहट बाजार की चमक बढ़ा रही थी। गणेश-लक्ष्मी की विभिन्न रंग-रूपों वाली मूर्तियां खूब बिकीं। सभी चीजों की कीमतें चढ़ी हुई हैं, लेकिन ग्राहकों ने कीमत की परवाह किए बिना ही जमकर खरीदारी की।
उत्तर प्रदेश में दीपावली मनाने के लिए बड़ी संख्या में प्रवासी भी अपने घर आए हैं। इससे गांव-घर में रौनक का माहौल है। नगर में दुकानों व इमारतों को आकर्षक लाइटों से सजाया गया है। लोकल फॉर वोकल की अपील के चलते इस बार मिट्टी के दीये खूब बिके।
फूल-माला, झालर व मिट्टी के दीयों की खूब हुई खरीदारी
दीवाली पर अपने प्रतिष्ठानों व दुकानों की सजावट के लिए लोग सुबह से ही माला की भी डिमांड अधिक रही। सबसे ज्यादा गेंदे के माला की डिमांड थी। विद्युत झालरों की दुकानों पर भी सुबह से ही लोगों की भीड़ थी। किसी को नीले रंग तो किसी को मल्टी कलर का झालर लेना था। कुछ ऐसे झालर भी थे, जो फूलों की डिजाइन में थे और सभी को खूब आकर्षित कर रहे थे।
पूजन सामग्री की भी हुई खरीदारी
दिवाली पूजन के लिए लोगों ने बाजार से खील, खिलौना, बतासे, मिट्टी के लक्ष्मी-गणेश, दीपक, रुई, कपूर, झाड़ू, लाई, चना, चूरा व मिठाई की खरीदारी की। शहर के मुख्य बाजार घंटाघर, वासलीगंज, बसनही बाजार, त्रिमोहानी में अच्छी खासी भीड़ दिखाई दी। इस कारण जाम भी लगा रहा।
दिवाली पर शुभ के लिए बनाए जाते हैं सूरन, खूब बिके
प्रदेश भर में दीपावली पर देसी सूरन की खूब डिमांड रही। कई लोग इसे धार्मिक मान्यताओं से जोड़कर देखते हैं तो कुछ सेहत से। अचानक मांग बढ़ने से सब्जी के कारोबारी भी इसका भरपूर फायदा उठाए। बाजार में सूरन 40 से 50 रुपये किलो बिका।
मचल उठी पटाखों से आसमान छूने की तमन्ना
उत्तर प्रदेश में शाम होते ही आतिशबाजी से आसमान चमक उठा। सड़कों, गलियों से छतों-पार्कों में अनार, चकरी, लटाई, फुलझड़ियां जलाई गईं तो वहीं राकेट जैसे पटाखों से आसमान छूने की तमन्ना मानो मचल उठी। सबसे अधिक उत्साह बच्चों और युवाओं में दिखा। आसमान में जाते ही कई रंग बिखेरने वाले स्काई शाट युवाओं को ज्यादा भाए।
लाई-चूड़ा से लेकर मूर्ति की दुकानों पर भीड़
दिवाली पर उत्तर प्रदेश के बाजार पूरी तरह से गुलजार रहे। कोई मां लक्ष्मी और भगवान श्रीगणेश की मूर्ति खरीदता नजर आया तो कोई लाई-चूड़ा। दीया बेचने वाले भी खाली नहीं रहे। हां, मोमबत्ती की दुकान सजाकर बैठे दुकानदारों को इस बार निराशा ही मिल रही थी।
मिष्ठान व भड़ेहर भी खूब बिके
दिवाली पर श्रीगणेश-लक्ष्मी को चढ़ाने के लिए प्रसाद के रूप में लड्डू व अन्य मिठाइयां भी खूब बिकीं। भैया दूज की तैयारी को लेकर भी खरीदारी हुई। भैया दूज के लिए भड़ेहर खूब बिके।
सैनिकों के नाम भी जले दीप
एक दीया जवानोंं के नाम के आवाह्न पर भी इस दीपोत्सव में लोगो में देशभक्ति का जज्बा भी दिखाई दिया। अधिकांश लोगों ने देश के जवानों के नाम एक की बजाय कई दीए जलाए। कई ने तो इस जवानों के नाम दीपक को विशेष रूप से भी सजाकर भी प्रदर्शित किया। आकर्षक रूप से प्रदर्शित जवानों के नाम दीपक रंगोली के साथ लोगों के आकर्षण का केन्द्र रहे और जवानों के प्रति लोगों की भावना के प्रदर्शन का माध्यम बने।
सांप्रदायिक एकता का परिचय
दिवाली की रात बिजली की झिलमिलाती झालरों, घी-तेल के दीये और मोमबत्ती की रोशनी अंधेरे पर भारी पड़ गईं। कोई कोना प्रकाश से वंचित नहीं रहा। घर-घर मां लक्ष्मी और भगवान गणेश का आह्वान हुआ। जमकर पटाखे चले, जमीन से लेकर आकाश तक धूम-धड़ाका हुए। बच्चों से लेकर बूढ़ों तक ने इसमें किसी न किसी रूप में हिस्सा लिया। खास बात रही कि सफाई से लेकर उजाले फैलाने तक सभी धर्मों के लोगों ने इस पावन पर्व पर सांप्रदायिक एकता का परिचय दिया।
अंधेरे को छिपने के लिए नहीं मिला कोई कोना
जगमगाती रोशनी में लक्ष्मी-गणेश, धन के देवता कुबेर और रिद्धि-सिद्धि की अक्षत-रोली, मिष्ठान, फूल आदि से पूजा-अर्चना की गई। श्रीराम दरबार के चित्र भी पूजे गए। मान्यता है कि जहां देवी लक्ष्मी का इस दिन प्रादुर्भाव हुआ, वहीं चौदह वर्ष का वनवास काटकर भगवान श्रीराम अयोध्या लौटे थे। इसी खुशी में घर-घर दीप जलाकर और आतिशबाजी कर खुशी का इजहार किया गया था। बच्चों ने दीपावली पर जमकर मौज मस्ती की। नए-नए परिधानों में सजकर दीपावली की जगमग रोशनी और आतिशबाजी का नजारा देखा। धरातल से आकाश तक रोशनी की साम्राज्य फैल गया। डरकर भागते अंधेरे को छिपने को कोने तक नहीं मिल सके।
दिवाली की मिठास भी बंटी जमकर
दिवाली पूजन के साथ खील-खिलौने और मिठाइयां खाने और बांटने की परंपरा का भी खूब निर्वहन हुआ। क्या गरीब, क्या अमीर, अपनी-अपनी हैसियत के अनुसार लोगों ने खीले-खिलौने और मिठाई से जहां मां लक्ष्मी को मनाया वहीं प्रसाद के रूप में पड़ोसी और परिचितों को मिष्ठान का वितरण कर दिपाली की शुभ कामनाएं दीं। दूर बैठे लोगों को मोबाइल पर विश किया। विदेशों में रहे परिवार के लोगों को भी आधुनिक तकनीक के सहारे दीपावली की शुभ कामनाएं दी गईं।
दुल्हन की तरह सजी शहर की इमारतें तो कुटिया भी हुई रोशन
दिवाली पर जहां पैसे वालों की कोठियां दुल्हन की तरह सज गईं तो दूसरी ओर गांव देहात की कुटियां भी रोशनी से नहाई रहीं। मिट्टी के दीयों ने भी कोने-कोने में छिपे अंधेरे को निकाल फेंका। साफ-सफाई में शहर ही नहीं गांव भी आगे रहे। गोबर की लिपाई और सफेद मिट्टी और गेरू से पुताई वाले घर भी अलग छटा बिखेर रहे थे। सजावट के लिए बंदनवारें, कागज और प्लास्टिक के फूलों, चित्रों और आलेखन की छटा अपना अलग प्रभाव दिखाती नजर आई।
नहीं माने जुआरी, चोरी छिपे करोड़ों के वारे-न्यारे
दिपाली जहां अंधेरे पर रोशनी और बुराइयों पर अच्छाइयों की प्रतीक है, वहीं इस मौके पर बुराई का प्रतिरूप जुआ भी हुआ। तमाम बंदिशों के बावजूद जुआरियों ने चोरी छिपे जुआ के दाव भी लगाए। बताते तो यह हैं कि प्रदेश के शहरों एवं जिलों के शहरों एवं गांवों में चोरी छिपे खेले गए जुआ में करोड़ों के वारे-न्यारे हो गए। हालांकि इस बार सबसे अच्छी बात यह रही कि कुछ सामाजिक संगठनों और कुछ व्यक्तियों ने इस बुरी प्रथा पर लोगों को जागरूक कर अपने-अपने क्षेत्रों में जुआ नहीं होने दिया। इस बार दिवाली पर इस बुराई के खिलाफ जागरूकता दिखाई दी।
सट्टा में लगी भारी-भरकम रकम
ताश की गड्डियों तक ही जुआ सीमित नहीं रह गया है। सट्टा में भी लोगों ने भारी-भरकम रकमें लगाईं। लूडो और शर्तों के आधार पर भी जुए की बुराई हावी रही।
हिन्दुस्थान समाचार/कमलेश्वर शरण/राजेश
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