जल्द गिरफ्तारी कर विश्वविद्यालय से निलम्बन हो सुनिश्चित : विहिप

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जल्द गिरफ्तारी कर विश्वविद्यालय से निलम्बन हो सुनिश्चित : विहिप


- समाज में धार्मिक विद्वेष फैला रहे ऐसे अराजक तत्व, इविवि छात्रों में भी ऐसे नकारात्मक भाव को दे रहे जन्म: सत्यप्रकाश मिश्र

- अभद्र टिप्पणी पर हिन्दू देंगे जवाब, गिरफ्तारी बगैर नहीं बैठेंगे शांत : बजरंग दल

प्रयागराज, 23 अक्टूबर (हि.स.)। विश्व हिन्दू परिषद, बजरंग दल तथा हिन्दू जागरण मंच ने संयुक्त रूप से इलाहाबाद विश्वविद्यालय के सहायक आचार्य विक्रम हरिजन द्वारा प्रभु श्री राम एवं श्री कृष्ण पर अभद्र टिप्पणी पर विश्वविद्यालय से त्वरित निलम्बन एवं गिरफ्तारी की मांग की है।

कहा है कि ऐसे कुत्सित मानसिकता रखने वाले व्यक्ति सामाजिक शांति के लिए खतरा हैं तथा उन्हें वैश्विक ख्याति प्राप्त इविवि में पढ़ाने का कोई हक नहीं है। शैक्षिक कार्यों की आड़ में विद्यार्थियों में धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का काम कर रहे हैं विक्रम हरिजन। इनके इस लोमहर्षक बयान को संगठन एवं हिंदू समाज कदापि स्वीकार नहीं करेगा।

संयुक्त रूप से विहिप, बजरंग दल एवं हिन्दू जागरण मंच द्वारा दी गई तहरीर पर कल देर शाम कर्नलगंज में प्राथमिकी दर्ज की गई है। हिन्दू समाज एवं विवि के विद्यार्थियों में संवैधानिक पद पर आसीन ऐसे व्यक्ति द्वारा ऐसे घृणित वक्तव्य के लिए आक्रोश व्याप्त है। संयुक्त रूप से तीनों संगठन विक्रम हरिजन को इलाहाबाद विश्वविद्यालय से त्वरित निलम्बन एवं गिरफ्तारी की मांग करती है। यदि ऐसे व्यक्ति पर कार्रवाही न सुनिश्चित की गई तो हिंदुओं को भावना को आहत करने का कार्य किया जाएगा तथा इससे समाज में अराजकता फैलेगी।

विहिप प्रयाग महानगर के महानगर मंत्री सत्यप्रकाश मिश्र ने कहा कि विश्व हिन्दू परिषद तथा अन्य अन्य हिन्दू संगठन विक्रम हरिजन द्वारा दिए गए व्यक्तव्य की कड़ी शब्दों में निंदा करती है। अपने मन में इस तरह की दुर्भावना लिए ऐसे व्यक्ति का इलाहाबाद विश्वविद्यालय जैसे प्रमुख शैक्षणिक संस्थान में सहायक आचार्य पद पर आसीन होना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण हैं। हम इनके विश्वविद्यालय से त्वरित निलम्बन एवं गिरफ्तारी की मांग करते हैं। यदि जल्द इस प्रकरण में गिरफ्तारी सुनिश्चित की गई तो विहिप सहित अन्य संगठन जल्द विरोध प्रदर्शन करेंगे।

विहिप प्रयाग जिला के जिला संयोजक शुभम ने कहा कि इविवि के सहायक आचार्य द्वारा किसी धर्म तथा जाति के लिए ऐसी कुंठित मानसिकता रखना विश्वविद्यालय एवं समाज के लोगों के लिए बिल्कुल भी ठीक नहीं है। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के आड़ में ऐसे कृत्य कदापि बर्दाश्त नहीं है तथा उच्चतम न्यायालय ने भी अपने कई फैसलों के माध्यम से यह स्पष्ट किया है कि कोई भी ऐसी अभिव्यक्ति जिससे सामाजिक शांति एवं धार्मिक भावना आहत हो, वह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता में सुरक्षित नहीं है। ऐसे व्यक्ति की जल्द गिरफ्तारी होनी चाहिए तथा इविवि में सहायक आचार्य के पद से तुरंत हटाना चाहिए।

हिन्दुस्थान समाचार/विद्या कान्त/प्रभात

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