अदालतों में लंबित वादों की पैरवी में कोताही बर्दाश्त नहीं : अतुल वत्स

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अदालतों में लंबित वादों की पैरवी में कोताही बर्दाश्त नहीं : अतुल वत्स














-जीडीए उपाध्यक्ष ने की विधि अनुभाग की समीक्षा

-विधि अनुभाग में चार लिपिकों व दो सहायक अभियन्ताओं की तैनाती

-अब सचिव स्तर पर हर सप्ताह होगी समीक्षा

गाजियाबाद,18 मई(हि.स.)। गाजियाबाद विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष अतुल वत्स ने शनिवार को विधि अनुभाग के कार्यों की समीक्षा बैठक ली। बैठक ने उन्होंने सम्बंधित अधिकारियों को निर्देश दिए कि अदालतों में लंबित वादों में जीडीए अपनी पैरवी मजबूती के साथ करे। कोई भी कोताही बर्दाश्त नहीं कि जाएगी। उन्होंने बताया कि काम को प्रभावी ढंग से अंजाम देने के लिये विधि अनुभाग में चार लिपिक और तैनात किए गए हैं। साथ ही दो सहायक अभियन्ताओं को भी जिम्मेदारी सौंपी गई है।

हर 15 दिनों विधि से सम्बंधित कार्यों की जीडीए उपाध्यक्ष तथा प्रत्येक सप्ताह सचिव समीक्षा करेंगे।

बैठक में उपाध्यक्ष ने जनपद-न्यायालय स्तर पर लम्बित सीलिंग वादों,उच्च न्यायालय में लम्बित वादों,उच्चतम न्यायालय में लम्बित वादों, उप्र भू-सम्पदा विनियामक प्राधिकरण (रेरा) में लम्बित वादों की समीक्षा की गई। इसके साथ ही प्राधिकरण स्तर पर वादों के कम्प्यूटर फीडिंग कार्य व एससी व एसटी, जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग में लम्बित वादों की समीक्षा भी की गई।

जीडीए उपाध्यक्ष ने निर्देश दिए कि सभी न्यायालयों से सम्बन्धित विचाराधीन समस्त वादों की प्रभावी पैरवी अधिवक्ताओं के माध्यम से की जाये। समीक्षा में यह पाया गया कि वादों की नियमित समीक्षा के लिये एक पोर्टल बनाया गया था, परंतु उसका उपयोग न होने के कारण वह अप्रचलित हो गया था। इसमें डाटा फीड कर अद्यतन करने के निर्देश दिये गये।

उन्होंने बताया कि यदि किसी मुक़दमें में प्राधिकरण के विपरीत आदेश हुआ है तो अग्रिम कार्यवाही के लिए जीडीए अधिवक्ता स्पष्ट विधिक परामर्श उपलब्ध कराएंगे। उन्होंने कहा कि प्रभावी पैरवी एवं समीक्षा के अभाव में प्राधिकरण के वादों में अप्रत्याशित बढ़ोतरी हुई है। यह आवश्यक है कि प्राधिकरण से सम्बन्धित महत्वपूर्ण वादों को ससमय पटल प्रभारियों से समन्वय स्थापित करते हुए उच्चाधिकारियों को भी व्यक्तिगत रूप से सूचित करते हुए प्राथममिकता के आधार पर निस्तारित किया जाये।

भविष्य में सहायक प्रभारी विधि का यह दायित्व होगा कि वह अपने न्यायालय से संबंधित अधिवक्ता से एक सप्ताह पूर्व केस के तथ्यों पर चर्चा कर अधिवक्ता को अवगत करा दें, तथा नयी दायर याचिकाओं की maintainability पर भी उन्हें challenge करे। इसके अतिरिक्त सभी स्थानीय न्यायालयों में विचाराधीन समस्त वादों का डेटा प्राधिकरण के पैरोकार व लिपिक को अद्यतन किए जाने के लिए निर्देशित किया गया।

बैठक में जीडीए सचिव राजेश कुमार सिंह,विशेष कार्याकारी गुंजा सिंह,कनिका सिंह,वित्त नियंत्रक एके बाजपेयी,सहायक प्रभारी विधि रुद्रेश शुक्ला उपस्थित रहे।

हिन्दुस्थान समाचार/फरमान

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