पुरुष नसबंदी में वाराणसी प्रदेश में दूसरे स्थान पर
- नसबंदी में भ्रांतियों को तोड़ आशा कार्यकर्ता बदल रहीं हैं समाज की सोच
वाराणसी,30 अगस्त (हि.स.)। परिवार नियोजन के अंतर्गत जो दंपति दो बच्चों के बाद भविष्य में बच्चा नहीं चाहते हैं। ऐसे दंपति को प्रेरित कर पुरुष व महिला नसबंदी के लिए प्रोत्साहन करने में आशा कार्यकर्ता बेहद खास भूमिका निभा रही हैं। इस वर्ष के विश्व जनसंख्या स्थिरता पखवाड़ा में जनपद में 175 पुरुष नसबंदी हुईं। इस उपलब्धि से वाराणसी प्रदेश में दूसरे स्थान पर रहा। जबकि 1762 महिला नसबंदी के साथ वाराणसी प्रदेश में पहले स्थान पर रहा।
महिला नसबंदी की तुलना में सबसे आसान और सुरक्षित पुरुष नसबंदी के बारे में प्रेरित करने में पाण्डेयपुर की आशा कार्यकर्ता रीता सिंह व पूनम और अर्दली बाजार की इन्दु देवी सबसे आगे रहीं। आशा रीता सिंह ने पखवाड़े में सबसे अधिक 21 पुरुष व 4 महिला नसबंदी कराने में सफल रहीं। पूनम ने 6 पुरुष व 2 महिला नसबंदी कराई। इन्दु ने 4 पुरुष और 3 महिला नसबंदी कराई।
बदल रही है सोच, आगे आ रहे पुरुष
आशा कार्यकर्ता रीता सिंह का कहना है “मेरे क्षेत्र में जितने दंपति हैं, उनसे मेरी बातचीत होती रहती है। ऐसे दंपत्ति जिनका परिवार पूरा हो चुका है और वह आगे बच्चा नहीं चाहते हैं। ऐसे में जब वह उनसे मुलाक़ात करती हैं तो वह पुरुष नसबंदी के बारे में विस्तार से समझाती हैं। जब ये बातें उनकी समझ में नहीं हैं तो वह अपने पति के पुरुष नसबंदी कराने के बारे में बताती हैं। इससे वह आश्चर्यचकित हो जाते हैं और मेरी बातों को समझने लगते हैं। महिलाओं और उनके रोज मर्रा के कार्य एवं उनके स्वास्थ्य को देखते हुए धीरे-धीरे पुरुषों की सोच बदल रही हैं और वह नसबंदी के लिए आगे आ रहे हैं। उन्होंने बताया कि मैंने बहुत से संघर्षों का सामना किया है लेकिन उनके पति राघवेंद्र सिंह ने हमेशा साथ दिया है। अपनी पत्नी के काम को देखकर राघवेंद्र ने स्वयं की नसबंदी कराकर क्षेत्रवासियों को बेहतर संदेश दिया।
पाण्डेयपुर की आशा पूनम बताती है “पखवाड़ा शुरू होने से पहले ही वह अपने क्षेत्र में समस्त दंपत्ति को जागरूक करने का कार्य करती हैं। महिला और पुरुष नसबंदी के बारे में विस्तृत जानकारी देती है। उनकी सभी शंकाओं को भी दूर करती हैं। पति और पत्नी से अलग-अलग और अकेले में बात कर उन्हें समझाती हैं। इस दौरान पुरुष नसबंदी चैम्पियन के बारे में भी बताती हैं, जिससे उनका विश्वास बढ़ जाता है। इसके बाद पति पत्नी आपसी समझ से नसबंदी की सेवा लेते हैं।
हिन्दुस्थान समाचार / श्रीधर त्रिपाठी
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