वाराणसी में वनवासी समाज के लोगों ने पहली बार किया बाबा विश्वनाथ का दर्शन

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वाराणसी में वनवासी समाज के लोगों ने पहली बार किया बाबा विश्वनाथ का दर्शन


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वाराणसी में वनवासी समाज के लोगों ने पहली बार किया बाबा विश्वनाथ का दर्शन


वाराणसी, 29 अक्टूबर (हि.स.)। जनजाति सुरक्षा मंच उत्तर प्रदेश की पहल पर रविवार को पहली बार देशभर के वनवासी, गिरिवासी समाज के लोगों ने पूरे श्रद्धा के साथ काशी पुराधिपति के दरबार में हाजिरी लगाई और बाबा का विधिवत मंत्रोच्चार के बीच जलाभिषेक किया। काशी पुराधिपति का दर्शन कर और भव्य विश्वनाथ धाम देख कर समाज के लोग आह्लादित दिखे।

नमोघाट से नौका और बजड़े पर सवार होकर गंगानदी के रास्ते काशी विश्वनाथ धाम के गंगा द्वार पर पहुंचे वनवासी समाज के लोगों का मंदिर प्रशासन ने पुष्प वर्षा के बीच भव्य स्वागत किया। वनवासी समाज के लोगों ने अपने परम्परागत वाद्य यंत्रों की ध्वनि और आदिवासी नृत्य कर मंदिर चौक में आदियोगी बाबा विश्वनाथ की आराधना की। बाबा के दरबार में समाज की महिलाओं ने माथे पर कलश लेकर प्रवेश किया। दर्शन पूजन के बाद मंदिर चौक में वनवासी समाज के कलाकारों ने सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दीं। जनजाति गौरव का विमोचन कर काशी के संतों एवं आदिवासी समाज के लोगों ने जनजाति समाज के अधिकारों को लेकर विमर्श भी किया। जनजाति सुरक्षा मंच के महामंत्री देव नारायण खरवार ने बताया कि हमने बाबा विश्वनाथ के धाम में दर्शन पूजन कर महादेव से प्रार्थना की है कि हमारे समाज का उत्थान करें। देश भर के अलग-अलग इलाकों से आए हुए आदिवासी वनवासी और जनजाति समूह के करीब 1200 लोगों ने मंदिर में दर्शन पूजन किया। इनमें 111 प्रतिनिधि, 13 जिले, 45 विकास खण्डों और 1828 गांवों के 18 जनजाति समूहों के लोग भी शामिल रहे। देव नारायण खरवार ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संसदीय क्षेत्र से केन्द्र सरकार से मांग किया कि विधर्मी, मतान्तरित, धर्मान्तरित लोगों को जनजातीय सूची से बाहर कर जनजातीय समाज के साथ न्याय किया जाए। सनातनी जनजातीय समाज की धर्म संस्कृति, परम्परा के सरंक्षण और संवर्धन के लिए सरकार से गुहार भी लगाई।

जनजातीय सुरक्षा मंच के पदाधिकारियों ने बताया कि कार्तिक उराव अब स्वर्गीय ने 17 जून 1966-67 में तत्कालीन प्रधानमंत्री को वनवासी समाज के उत्थान के लिए ज्ञापन दिया था। उसमें 235 तत्कालीन सांसदों के भी हस्ताक्षर थे। इसके बाद 10 नवम्बर 1970 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को भी इस संदर्भ में ज्ञापन दिया गया। उन्होंने भरोसा भी दिया। इसके बाद भी समाज के हित में कुछ नही किया गया। इसके बाद समाज के अधिकार के लिए 2006 में जनजाति समाज के न्यास, जनजाति सुरक्षा मंच का गठन किया गया। वर्ष 2009 से देशभर में जागरण शुरू किया गया। संविधान के अनुच्छेद 342 में संशोधन करने के लिए 28 लाख लोगों का हस्ताक्षरित ज्ञापन भी तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल को सौंपा गया। इस तरह कुल 55 वर्ष बीत गए लेकिन समाज के हालात में कोई सुधार नही हुआ। जनजाति सुधार मंच की राष्टीय कार्यशाला 22-23 अक्टूबर 2021 को सम्पन्न हुई। पदाधिकारियों के अनुसार जनजाति समूह भी सनातन परंपरा को मानने वाले लोग हैं लेकिन धर्मांतरण के खेल में उनका धर्म नष्ट करने की कोशिश की जा रही है। आज हमने दुनिया की सबसे बड़ी अदालत बाबा विश्वनाथ के दरबार में समाज की वेदना दूर करने के लिए गुहार लगाई गई है। इस दौरान मंदिर न्यास के प्रो. नागेन्द्र पांडेय, मंदिर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी सुनील कुमार वर्मा, सेवा समर्पण संस्थान वनवासी कल्याण आश्रम के पदाधिकारी, जनजाति सुरक्षा मंच के संयोजक रामविचार टेकाम, सतेन्द्र सिंह, सूर्यकांत, मनीराम, आनंद, दीपक गोंड, दिवाकर दिवेद्वी, विद्यासागर पांडेय आदि भी मौजूद रहे।

हिन्दुस्थान समाचार/श्रीधर/दिलीप

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