वाराणसी: बाबा विश्वनाथ का रुद्राभिषेक कर प्रारम्भ होगी संस्कृति संसद

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वाराणसी: बाबा विश्वनाथ का रुद्राभिषेक कर प्रारम्भ होगी संस्कृति संसद


वाराणसी, 01 नवम्बर (हि.स.)। धर्म नगरी काशी में दो नवम्बर गुरुवार से आयोजित संस्कृति संसद में देशभर से आए संत भाग लेंगे। संस्कृति संसद में पहले दिन श्रीकाशी विश्वनाथ में देशभर से आए 500 संत रुद्राभिषेक करेंगे। रुद्राभिषेक अनुष्ठान के तीन संकल्प होंगे। जिसमें प्रथम संकल्प 'श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन के बलिदानियों की की मुक्ति हो और दूसरा संकल्प 'राष्ट्र की एकता और अखंडता अक्षुण्ण रहे' तथा 'सनातन सापेक्ष सरकार बने' तीसरा संकल्प होगा।

बुधवार को यह जानकारी अखिल भारतीय सन्त समिति एवं गंगा महासभा के राष्ट्रीय महामंत्री स्वामी जीतेन्द्रानंद सरस्वती ने पत्रकारों को दी। उन्होंने बताया कि यह कार्यक्रम अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद् एवं श्रीकाशी विद्वत परिषद् के मार्गदर्शन में गंगा महासभा के पहल पर आयोजित हो रहा है।

स्वामी जीतेन्द्रानंद सरस्वती ने बताया कि संस्कृति संसद का आयोजन सनातन उन्मूलन को चुनौती देने वालों को करारा जवाब देने के लिए किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि संस्कृति संसद में 3 नवम्बर को धर्म विमर्श, 4 नवम्बर को मातृ विमर्श और 5 नवम्बर को युवा विमर्श का आयोजन होगा। इन सत्रों में सनातन से जुड़े सभी पहलुओं पर विचार होगा और वामपंथी तथा सनातन धर्म विरोधियों द्वारा उठाये गए प्रश्नों का शास्त्रीय उत्तर भी दिया जाएगा। धर्म विमर्श में सनातन हिन्दू धर्म से जुड़े प्रश्नों और वर्तमान में मिल रही चुनौतियों पर विचार किया जाएगा। मातृ विमर्श में सनातन हिन्दू धर्म में मातृ केन्द्रित व्यस्थाओं और विभिन्न वैश्विक सम्प्रदायों और मज़हबों में नारी की स्थिति और स्त्री स्वतन्त्रता पर विचार किया जाएगा। चौथे और अन्तिम दिन युवा विमर्श में युवाओं से जुड़े विषयों पर बात होगी।

कार्यक्रम के संयोजक गोविंद शर्मा ने बताया कि 2 नवंबर को सभी संत सुबह रविदास घाट पर पहुचेंगे। जहां से सभी संत बजड़े के माध्यम से गंगा द्वार पर पहुचेंगे। संत गंगा पूजन करेंगे। श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर न्यास की ओर से संतों का स्वागत किया जाएगा।

गोविन्द शर्मा के अनुसार इस संस्कृति संसद में देश के 400 जिलों से 127 सम्प्रदायों के 1200 संत सम्मलित होंगे। देश के विभिन्न भागों से संतों का आना प्रारंभ हो गया है। अभी तक 250 संत काशी पहुंच चुके हैं। वार्ता में कैवल्य पीठाधीश्वर अविचल देवाचार्य, महाराष्ट्र के महामंडलेश्वर जनार्दन हरि, मध्यप्रदेश के महामंडलेश्वर मनमोहन दास राधे राधे बाबा, महाराष्ट्र से महामंडलेश्वर गोपाल चैतन्य, उड़ीसा के स्वामी श्रद्धानंद सरस्वती, श्रीकाशी विद्वत परिषद के महामंत्री प्रो. राम नारायण द्विवेदी, आयोजन समिति के अध्यक्ष विधायक कैलाश खरवार आदि भी मौजूद रहे।

हिन्दुस्थान समाचार/श्रीधर/राजेश

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