उत्तर प्रदेश बनेगा मृत्यु के कारणों के चिकित्सकीय प्रमाणन मॉडल राज्य
—मृत्यु के कारणों पर राष्ट्रीय संगोष्ठी,टाटा मेमोरियल सेंटर एवं कैंसर इंस्टीट्यूट की पहल
वाराणसी,13 फरवरी (हि.स.)। उत्तर प्रदेश मृत्यु के कारणों के चिकित्सकीय प्रमाणन माडल (एमसीसीडी) बनेगा। मृत्यु के कारणों के चिकित्सकीय प्रमाणन पर ट्रेनर का दो दिवसीय प्रशिक्षण वाराणसी में बुधवार 14 फरवरी से महामना पंडित मदन मोहन मालवीय कैंसर केंद्र में शुरू होगी। कैंसर महामारी विज्ञान केंद्र, महामना पंडित मदन मोहन मालवीय कैंसर केंद्र , होमी भाभा कैंसर अस्पताल और जनगणना कार्य निदेशालय, उत्तर प्रदेश के संयुक्त पहल पर आयोजित प्रशिक्षक कार्यशाला के इस प्रशिक्षण का उद्देश्य उत्तर प्रदेश राज्य के भीतर नागरिक पंजीकरण प्रणाली और मृत्यु के कारण के चिकित्सा प्रमाणन के लिए प्रशिक्षकों के एक समूह की क्षमता निर्माण करना है।
इस कार्यशाला में भाग लेने वाले डॉक्टर हैं, जिन्हें चिकित्सा एवं स्वास्थ्य महानिदेशक और उत्तर प्रदेश भर के 18 सरकारी मेडिकल कॉलेजों ने नामित किया है। इस कार्यशाला के बाद 15 से 21 फरवरी तक मालवीय कैंसर केंद्र में ही एक आईसीडी मृत्यु कोडिंग कार्यशाला का आयोजन किया गया है। इस 6 दिवसीय कार्यशाला के लिए प्रतिभागियों को भारत भर के 6 राज्यों में सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों ने नामित किया है। मृत्यु डेटा की सही कोडिंग स्वास्थ्य मंत्रालयों, अस्पतालों और राष्ट्रीय सांख्यिकीय डेटा संग्रहकर्ताओं के प्रमुख कार्यों में से एक है। मंगलवार को छावनी क्षेत्र के एक होटल में मृत्यु के कारणों के चिकित्सकीय प्रमाणन के लिए आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन में उक्त जानकारी दी गई।
सम्मेलन का उद्घाटन निदेशक एवं संयुक्त महारजिस्ट्रार (सीआरएस) शीतल वर्मा, निदेशक, टाटा मेमोरियल सेंटर डॉ सुदीप गुप्ता ने संयुक्त रूप से किया। सम्मेलन में डॉ सुदीप गुप्ता ने कहा कि टाटा मेमोरियल सेंटर की इकाई मृत्यु के कारणों के आंकड़ों की गुणवत्ता में सुधार लाने, मृत्यु के कारण के सही प्रमाणीकरण में डॉक्टरों को प्रशिक्षित करने की क्षमता को बढ़ाने के लिए एक विश्वसनीय संसाधन केंद्र के रूप में विश्व स्वास्थ्य संगठन और संयुक्त राष्ट्र सांख्यिकी प्रभाग मानकों के अनुसार सही कोडिंग में मृत्यु और प्रशिक्षण मृत्यु कोडर्स के अनुरूप वर्ष 2021 से काम कर रही है। इकाई की गतिविधियाँ महाराष्ट्र राज्य से शुरू हुईं और उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, नागालैंड, ओडिशा,असम, आंध्र प्रदेश, पंजाब, हरियाणा सहित 9 राज्यों तक विस्तारित हो गई हैं।
शीतल वर्मा ने बताया कि मृत्यु के कारणों का चिकित्सकीय प्रमाणन जन्म एवं मृत्यु पंजीकरण अधिनियम, 1969 (यथा संशोधित 2023) के अन्तर्गत किया जाता है। प्रत्येक डॉक्टर जिसने मृतक की अंतिम परिचर्या की है, के द्वारा निःशुल्क मृत्यु के कारण का प्रमाणन किया जाना है एवं इसकी प्रति मृतक के परिजन को देनी है। यह प्रमाणन फॉर्म विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से निर्धारित प्रारूप के अनुरूप ही हैं। उत्तर प्रदेश के सभी सरकारी अस्पताल एवं मेडिकल कॉलेज जन्म-मृत्यु पंजीकरण रजिस्ट्रार के रूप में अधिसूचित हैं। वस्तुत: मृत्यु के कारणों का चिकित्सकीय प्रमाणन भी मृत्यु पंजीकरण की प्रकिया का हिस्सा है। सम्मेलन में महाराष्ट्र, बिहार, छत्तीसगढ़, ओडिशा, पश्चिम बंगाल एवं असम राज्य के निदेशक एवं संयुक्त महारजिस्ट्रार (सी आर एस ),गोवा के मुख्य रजिस्ट्रार (जन्म-मृत्यु) ने प्रतिभाग किया । सभी ने मृत्यु के कारणों के चिकित्सकीय प्रमाणन के संबंध में अपने अपने अनुभवों को साझा किया। और इसमे सुधार के लिए अपना सुझाव भी प्रस्तुत किया। टाटा मेमोरियल सेंटर एवं कैंसर इंस्टीट्यूट ने जनगणना कार्य निदेशालय, उत्तर प्रदेश, गृह मंत्रालय, भारत सरकार के सहयोग से इस राष्ट्रीय सम्मेलन की मेजबानी की।
सम्मेलन में सार्वजनिक स्वास्थ्य, महामारी विज्ञान, चिकित्सा शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा प्रशासन के क्षेत्र में प्रतिष्ठित विशेषज्ञों के नेतृत्व में मुख्य भाषण, पैनल चर्चा और इंटरैक्टिव सत्र शामिल रहा।
हिन्दुस्थान समाचार/श्रीधर/पदुम नारायण
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