सुभासपा और रालोद के साथ गठबंधन के बाद अति आत्मविश्वास में भाजपा

सुभासपा और रालोद के साथ गठबंधन के बाद अति आत्मविश्वास में भाजपा
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सुभासपा और रालोद के साथ गठबंधन के बाद अति आत्मविश्वास में भाजपा


लखनऊ, 04 मार्च (हि.स.)। उप्र में भाजपा द्वारा किये गये टिकट बंटवारे को देखकर ऐसा लगता है कि पार्टी अति आत्मविश्वास में है। इसी कारण हारी हुई जिन चार सीटों पर घोषणा की गयी, उनमें तीन हारे हुए चेहरों पर ही दांव लगा दिया गया। इसका कारण भी है, रालोद सुभासपा भाजपा के साथ है। कांग्रेस की स्थिति प्रदेश में नगण्य है, जिसका समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन है।

यदि पिछले लोकसभा चुनाव परिणामों को देखें तो भाजपा को अकेले प्रदेश में 49.98 प्रतिशत मत मिले थे। उसके साथ गठबंधन में अपना दल (सोनेलाल) भी था, जिसको प्रदेश में 1.21 प्रतिशत वोट मिले अर्थात दोनों को वोट शेयर 51.19 प्रतिशत था। राष्ट्रीय लोकदल उस समय समाजवादी पार्टी और बसपा गठबंधन के साथ, जिसे प्रदेश में 1.69 प्रतिशत मिले थे। इस बार वह भाजपा के साथ है। यदि उसका भी वोट शेयर भाजपा वाले गठबंधन के साथ कर दिया जाय तो 52.88 प्रतिशत वोट हो जाते हैं।

वहीं ओम प्रकाश राजभर भी पिछली बार अपने दम पर लोकसभा चुनाव लड़े थे और 19 लोकसभा सीटों पर उन्होंने उम्मीदवार उतारे थे। हालांकि किसी भी सीट पर सुभासपा जीत नहीं सकी थी, लेकिन आठ सीटों पर सुभासपा तीसरे स्थान पर रही थी। ऐसा माना जाता है कि पूर्वांचल के 18 जिलों में राजभर अच्छी संख्या में हैं और 26 लोकसभा सीटों पर सुभासपा की पकड़ है, जहां वह अकेले दम पर जीत तो नहीं सकती, लेकिन जिसके साथ ओम प्रकाश राजभर चले जाएंगे। उस पार्टी को जीताने का माद्दा रखते हैं।

उनके सभी उम्मीदवार मिलकर तीन लाख से कम वोट पाये थे, लेकिन यदि वे भाजपा के साथ हैं तो ऐसा विश्लेषकों का मानना है कि छह लाख वोट बढ़ाने की क्षमता रखते हैं। पूर्वांचल के बलिया, मछलीशहर सीटों पर सुभासपा ने अच्छी फाइट दी थी। पूर्वांचल की सात सीटों पर बीजेपी के जीत का अंतर मात्र 50 हजार वोट से कम का रहा था।

जौनपुर जिले की मछलीशहर लोकसभा सीट से बीजेपी के भोलानाथ महज 181 वोट के करीबी अंतर से जीत सके थे। इस सीट पर सुभासपा के राजनाथ ने 11223 वोट पाकर तीसरे नम्बर पर रहे थे। इसी तरह बलिया लोकसभा सीट से बीजेपी के वीरेन्द्र सिंह मस्त 15519 वोट से जीत पाये और सुभासपा के उम्मीदवार को यहां 35900 वोट मिले थे।

राजनीतिक विश्लेषक हर्ष वर्धन द्विवेदी का कहना है कि इस बार भाजपा यह मानकर चल रही है कि कोई उम्मीदवार हो, जनता सिर्फ कमल का फुल देख रही है। हालांकि कई बार अति आत्मविश्वास घातक भी हो जाता है।

हिन्दुस्थान समाचार/उपेन्द्र/बृजनंदन

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