अधिक आलू उत्पादन के लिए नवीन प्रजातियों का प्रयोग साबित होगा लाभकारी
कानपुर, 06 फरवरी (हि.स.)। आलू उत्पादन के लिए नवीन प्रजातियों का प्रयोग करें तथा खेती में सभी सफलता तकनीक का भी प्रयोग करें। चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कानपुर के साग भाजी अनुभाग द्वारा मंगलवार को एक्रिप आलू फसल सुधार योजना के अंतर्गत अनुसूचित जाति उप योजना के अधीन आलू उत्पादन कृषक तकनीकी विषय पर ग्राम भगवंतपुर में आयोजित एक दिवसीय कृषक प्रशिक्षण कार्यक्रम में डॉक्टर संजीव सचान ने कहा।
उन्होंने कहा कि जनपद में आलू उत्पादन की असीम संभावनाएं हैं। अधिक उत्पादन के लिए नवीन प्रजातियों का प्रयोग करें तथा खेती में सभी सफलतम तकनीकियों का भी प्रयोग करें। इससे उत्तपादन के साथ आय में वृद्धि होगी। आगे जानकारी देते हुए श्री सचान ने लहसुन फसल पर तकनीकी चर्चा करते हुए सल्फर के प्रयोग करने की सलाह दी।
इस अवसर पर वैज्ञानिक डा.इंद्रपाल सिंह द्वारा बताया गया कि जिन खेतों में आलू की फसल की बुवाई की जाती है उसमें बुवाई से पहले हरी खाद का अवश्य प्रयोग करें। जिससे उर्वरक उपयोग क्षमता बढ़ेगी। कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर अरुण सिंह द्वारा आलू फसल की कटाई के उपरांत मूंग, उर्द मक्का की बुवाई करने की सलाह दी।
डॉ प्रांजल सिंह ने कहा कि जो किसान अपने द्वारा उत्पादित आलू कंदो को बीज के रूप में रखना चाहते हैं वे भंडारण से पूर्व उनका बोरिक एसिड से तीन प्रतिशत घोल से अवश्य उपचारित करें। डॉ आशुतोष उपाध्याय ने बताया कि जिस प्रकार फसलों को सूक्ष्म पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है उसी प्रकार पशुओं में भी इसकी आपूर्ति किया जाना आवश्यक है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता ग्राम प्रधान राम प्रकाश द्वारा की गई।इस कार्यक्रम में कृषक संतोष कुमार रघुवर दयाल सहित 100 अधिक महिला एवं पुरुष किसानों ने प्रतिभा किया।
हिन्दुस्थान समाचार/राम बहादुर/बृजनंदन
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